सीएसआईआर-सीएसआईओ ने सार्स-सीओवी-2 का मुकाबला करने के लिए यूवी कीटाणुशोधन तकनीक की विकसित

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चंडीगढ़, 25 मई। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईआर-सीएसआईओ) ने एक अल्ट्रा-वायलेट-सी (यूवी-सी) एयर डक्ट प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली उचित मात्रा के साथ 254 एनएम पराबैंगनी प्रकाश का उपयोग करके 99 प्रतिशत से अधिक वायरस, बैक्टीरिया, कवक और अन्य जैव-एरोसोल इत्यादि को निष्क्रिय करने में मदद करती है। यह एक ऊर्जा कुशल प्रणाली है जो कॉइल के माध्यम से वायु प्रवाह में सुधार करती है, अंदर की हवा की गुणवत्ता को बढ़ाती है और इसे कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।
आवश्यक वेंटिलेशन उपायों, आवश्यक सुरक्षा और उपयोगकर्ता दिशानिर्देशों और परीक्षण किए गए जैव-सुरक्षा मानकों आदि के साथ एरोसोल में निहित सार्स सीओवी-2 वायरस को निष्क्रिय करने की आवश्यकताओं के अनुसार यह तकनीक विकसित की गई है। मौजूदा महामारी में, यह अंदरूनी गतिविधियों के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित वातावरण प्रदान करेगी ।
सीएसआईआर-सीएसआईओ विकसित उत्पाद का परीक्षण 99 प्रतिशत से अधिक कीटाणुशोधन के लिए किया गया है और इसे इमारतों, परिवहन वाहनों और अन्य उत्पादों के अनुप्रयोगों के वायु नियंत्रण इकाई (एएचयू) के लिए एक पुनः संयोजन समाधान के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह प्रणाली व्यावसायीकृत मानकों और प्रमाणपत्रों के साथ आती है।
सीएसआईआर-सीएसआईओ पहले ही इस तकनीक को 28 कंपनियों को हस्तांतरित कर चुका है। सीएसआईआर-सीएसआईओ के निदेशक, प्रो. एस अनंत रामकृष्ण ने कहा कि यह अब इन कंपनियों के माध्यम से पूरे देश में व्यापक उपलब्धता के साथ तैनाती के लिए उपलब्ध है।
सीएसआईआर संघटक प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए हालिया शोध ने प्रयोगात्मक रूप से प्रदर्शित किया था कि सार्स-सीओवी-2 वायरल कणों को एक कमरे से संक्रमित व्यक्तियों के बाहर निकलने के 2 घंटे के बाद भी हवा में पाया जा सकता है और कुछ मीटर से अधिक दूरी पर भी इसके हवाई संचरण में मौजूद होने के सबूत पाए जाते हैं।

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