चंडीगढ़, 24 मई। पानी के बिल ने लॉकडाउन की मार झेल रहे शहरवासियो को एक बार फिर से महंगाई का झटका दिया है। निगम द्वारा पारित पानी के रेट घटाने के प्रस्ताव को चंडीगढ़ के प्रशासक ने पहले ही रद्द कर दिया है और अब फिर से शहरवासियो के अप्रैल महीने के पानी के बिलों में तीन फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गयी है क्योंकि सितंबर 2020 में पारित अधिसूचना के आधार पर पानी के दाम हर साल अप्रैल महीने में तीन फीसदी बिना किसी अग्रिम मंजूरी के बढ़ाने का प्रावधान है।
इस पर समस्या समाधान टीम के दिनेश दिलेरे ने कहा की चंडीगढ़ के पानी के बिल पड़ोसी शहर पंचकुला और मौहाली से डेड गुना ज्यादा आ रहे है । पंचकुला और मौहाली में पानी के अधिकतम दाम 10 रुपये प्रति किलो लीटर है जबकि चंडीगढ़ में यह 25 रुपये प्रति किलो लीटर है। प्रशासन हर बार पानी के रेट घटाने से मना कर देता है और कारण बताता है कि पानी से आर्थिक नुकसान हो रहा है और अगर रेट घटा दिये तो आर्थिक नुकसान बढ़ जायेगा, परन्तु नगर निगम आर्थिक घाटा बढ़ाने वाले कारणों को दुरुस्त करने पर कोई ठोस कार्यवाही नही करता इसलिए हमने प्रशासन को पत्र लिख कर आर्थिक घाटा बढ़ाने वाले कारणों पर कार्यवाही करके पानी के दाम घटा कर पंचकुला और मौहाली के बराबर करने के लिए प्रशासक व अन्य अधिकारियो को पत्र लिखा है।
इस पर संगीता कौशल का कहना है कि अवैध कनेक्शन पानी की बर्बादी और सरकारी खजाने का भार बढ़ाने का एक मुख्य कारण है। नवंबर 2020 में हुई सदन की बैठक में निगम ने जानकारी दी थी कि शहर में 2128 लोग बिना पानी का कनेक्शन लिए पानी का उपयोग कर रहे है और शहर के गांवों में 3837 कनेक्शन लाल डोरे के बाहर है। अवैध कनेक्शन धारक बेतहाशा फ्री पानी उपयोग कर रहे है। इस फ्री पानी उपयोग की कीमत शहर के उन बिल अदा करने वाले ईमानदार लोगों से बिलों में बढ़ोतरी करके वसूले जाते है, जो पानी का बिल अदा करते है । सरकार को इस पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
ओंकार सैनी का कहना है कि इसके विपरीत शहर में बहुत से उपभोगता ऐसे भी है, जिन्होंने वैध कनेक्शन तो लिया है परन्तु पानी का बिल अदा नही करते| इन डिफाल्टरो में बहुत से सरकारी संस्थान और प्राइवेट उपभोग्ता है। पिछले साल सितंबर 2020 में छपी खबरों से पता चला था कि शहर में 23000 पानी के डिफाल्टर है जिन पर नगर निगम का 41 करोड़ रुपया बकाया है। ऐसे डिफाल्टरों की वज़ह से निगम को आर्थिक नुकसान होता है जिसकी भरपाई नगर निगम उन ईमानदार उपभोक्ताओं के बिलों में बढोतरी करके वसूलता है, जो रेगुलर बिल अदा करते है इसलिए हमने प्रशासन को इन डिफाल्टरों से जुर्माने सहित वसूली करने और ईमानदार उपभोक्ताओं को पानी के दाम घटा कर ईनाम दिया जाने के लिए लिखा है।
इस पर बबलू वर्मा ने कहा कि शहर में घरों तक पानी पहुचने में प्रशासन करोड़ो रूपये खर्च करता है परन्तु शहर में घरों तक पानी पहुचने में लगभग 35 प्रतिशत पानी ‘लीकेज’ में बर्बाद हो जाता है, इस वजह से पानी और सरकारी पैसे दोनों की बर्बादी होती है। प्रशासन को ये पानी लीकेज की समस्या को तुरंत ठीक करना चाहिए और इससे होने वाले आर्थिक नुकसान पर रोक लगेगी और पानी के दाम घटेंगे।
इस पर मनोज शुक्ला का कहना है कि नगर निगम 24 घंटे पानी सप्लाई देने की योजना पर काम कर रहा है और इसके लिए फ्रांस की कंपनी से 500 करोड़ का लोन ले रहा है। निगम के पास पहले ही अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे नही है और ऐसा में अगर लोन लिया गया तो इसकी भरपाई पानी के बिलों में बढ़ोतरी करके वसूल की जाएगी, इसलिए इस योजना को तुरंत स्थगित कर देना चाहिए।
24 घंटे पानी देने की योजना के लिए 500 करोड़ का लोन लेने पर पानी के बिलों में होगी बेतहाशा वृद्धि: मनोज शुक्ला
