कुदरती स्त्रोतों के बीच सहभागिता को लागू करने की रफ़्तार बहुत धीमी: विशेषज्ञ

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कपूरथला, 22 मई । अंतरराष्ट्री जैविक विभिन्नता के दिवस 2021 पर पुष्पा गुजराल साइंस सिटी की ओर से जैविक विभिन्नता एक्ट अधीन उद्योग, अतिरिक्त लाभ और सहभाग‌िता के विषय ते कंफ़ेडरेशन इंडियन इंडस्ट्री (सी.आई.आई) के साथ मिलकर सांझे तौर पर पंजाब जैविक विभिन्नता बोर्ड चंडीगढ़ के सहयोग से एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस मौके भारत के 300 से अधिक उद्योगपतियों , माहिरों, विज्ञानियों, जीव विज्ञान के विद्यार्थियों और अध्यापकों ने हिस्सा लिया।

इस मौके राष्ट्रीय जैविक विभिन्नता बोर्ड के चेयरमैन डा. वी.बी माथुर ने ” उद्योग और अतिरिक्त लाभ सहभागिता की अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय महत्ता से वे‌बिनार में उपस्थित लोगों को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि उद्योग, अतिरिक्त लाभ और सहभागिता (ए.बी.एस) स्थायी विकास का एक अहम औज़ार बन सकता है। इसका उद्देश्य जैविक स्रोतों के स्थायी प्रयोग और सांभ-संभाल के साथ-साथ टिकाऊ विकास की दर को आगे ले जाना हैे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि भारत ए.बी.एस को लागू करन में अगुआ देश है और दूसरे देश हमारे की तरफ देख कर इसको लागू कर रहे हैं। उन्होंने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि जैविक विभिन्नता के रखरखाव (सी.बी.डी) अधीन धारा 15,16 और 19 अधीन उद्योग, अतिरिक्त लाभ और सहभागिता को लागू करन की रफ़्तार बहुत धीमी है।
इस मौके कंफ़ेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्रीज चंडीगढ़ के चेयरमैन और प्रसिद्ध उद्योगपति बहावदीप सरदाना ने अपने स्वागती संबोधन में बताया कि कुदरती स्रोतों का वितरण दुनिया में एक समान नहीं है और जिन देशों में जैविक स्रोतों की बहुतायत है, वह इनकी समझदारी के साथ प्रयोग करके आर्थिक स्थायी विकास की दर को आगे बढ़ाना यकीनी बनाएं। उन्होंने कहा कि जहाँ पौधे, रोगाणु और जानवर जटिल और नाजुक वातावरण के संतुलन को बनाई रखते हैं और वहीं देश के आर्थिक विकास में भी इनका महत्वपूर्ण रोल है। उन्होंने कहा कि अनुवांशिक स्रोतों तक पहुंच और सभी को एक ही जैसे लाभ, हमें कुदरती साधनों के रखरखाव की तरफ अग्रसर करेंगे। इन यतनों के सदका ही कुदरती स्रोतों का स्थायी विकास के लिए अधिक से अधिक लाभ लिया जा सकता हैे।
इस मौके राष्ट्रीय जैविक विभिन्नता अथारिटी के सचिव जस्टिन मोहन,आई.एफ़.एस ने अपने विचार पेश करते कहा कि उद्योग और अतिरिक्त लाभ सहभागिता (ए.बी.एस) के सेध-लीहें अनुवांशिक जैविक स्रोतों तक पहुंच और इन को प्राप्त करन की प्रक्रिया के प्रति हमें जागरूक करती हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से उद्योगों की तरफ से इन सेध-लीहों को अपने आप ही लागू करके इनकी प्रशंसा की जा रही है और कुछ उद्योग तो दूसरों के लिए रौल माडल के तौर पर उभर कर सामने आए हैं।
इस मौके साइंस सिटी की डायरेक्टर जनरल डा.नीलिमा जैरथ ने जानकारी देते बताया कि एक अनुमान के मुताबिक जैविक स्त्रोत दुनिया में 125 ट्रिलीयन डालर की सेवाएं देते हैं। इसलिए हरेक देश को जैविक स्रोतों को महत्ता देने का प्रभुसत्ता अधिकार है। उन्होंने बताया कि जैविक स्रोतों के पक्ष से भारत बहुत अमीर देश है। उन्होंने कहा कि जंगलों की कटाई, जंगली जीवों के टिकानों के कब्ज़े करने और उनके ख़ात्मे, साल में एक से अधिक फसलें लेने की लालसा समेत मानवीय गतिविधियों के कारण जलवायु इतनी तेजी से बदल रहा कि इसने कुदरत को भी पीछे छोड़ दिया है। यदि हम इस ही रास्ता पर चलते रहे और जैविक विभिन्नता का खात्मा करते रहे तो आने वाले समय में हमारा जीना मुश्किल हो जाएगा। हमारे खाने के लिए कुछ नहीं रहेगा और न ही हमारे रहने के लिए स्वच्छ वातावरण रहेगा। कोविड-19 महामारी का संकट हम सभी के सामने एक जीती जागती मिसाल है कि जब हम जैविक विभिन्नता का नाश करेंगे तो हमारी ज़िंदगी खतरे में पड़ जाएगी। कुदरत ने हमें यह संदेश दिया है जैविक विभिन्नता को बचाने के लिए अब हमें एकजुट होकर यत्न करने चाहिएं।
इस मौके जी.आई.जैड की डा. गीथा नायक ने कहा कि कुदरती साधनों की सुरक्षा विश्व की आ‌र्थिकता की मददगार है और जहां यह लोगों के लिए नौकरियां पैदा करते हैं, वहीं रोजी-रोटी का जरिया भी बनते हैं। उद्योग, अतिरिक्त लाभ और सहभागिता, सनअत और जैविक विभिन्नत का अटूट हिस्सा है।
इस मौके “उद्योग, अतिरिक्त लाभ और सहभागिता कैटागिरी में भारत जैविक विभिन्नता 2021 अवार्ड हासिल करने वाली हैदराबाद की वलैगरो बायोसाइंसिस के देश मैनेजर संजे कुमार ने कहा कि ए.बी.एस का उद्देश्य उत्पादक और उपभोगता को जैविक-स्त्रोतों का बराबर लाभ देना है, जिनके साथ कुदरती संसाधनों के रखरखाव के लिए खोज के नए-नए रास्ते खुले हैं। इसलिए जैविक- सत्रोतों तक पहुंच और लाभ सहभागिता टिकाऊ विकास की कुंजी है। इस मौके पंजाब जैविक विभिन्नता बोर्ड की मैंबर सचिव डा. जतिंदर कौर अरोड़ा ने कहा कि पंजाब जैविक विभिन्नता बोर्ड जंगली और स्थायी जीव जंतुओं के रखरखाव में अहम भूमिका निभा रहा हे और इसका उद्देश्य जैविक स्रोतों के स्थायी प्रयोग को उत्साहित करना है।
इस मौके साइंस सिटी के डायर्रेक्टर डा. राजेश ग्रोवर ने जानकारी देते बताया कि अंतरराष्ट्रीय जैविक विभिन्नता दिवस पर दवाओं में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटियों के विषय पर आयुर्वेद विभाग के सेवामुक्त सेहत अधिकारी डा. एस. मल्होत्रा की तरफ से भी जानकारी दी गई है। इस के अलावा जैविक विभिन्नता को दर्शाते विद्यार्थियों में लेख लेेखन के मुकाबले भी करवाए, जिनके परिणाम विश्व वातावरण दिवस पर घोषित किए जाएंगे।

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