कोरोना जैसी विकट स्थिति में समाज सेवा हेतु कई कदम सुनिश्चित किए गएः आरोग्य भारती

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चंडीगढ़, 12 मई। आरोग्य भारती पंजाब की वर्चुअल बैठक बुधवार को हुई। जिसमें राज्य में कोरोना के बिगड़ते हालातों का जायजा लेने व समाज कल्याण हेतु कदम सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से की गई ।

इस बैठक में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सह सचिव डॉ राकेश पंडित का मुख्य रूप से मार्गदर्शन मिला व पंजाब आरोग्य भारती के अध्यक्ष आरपी शर्मा, सचिव डॉ प्रमोद व उत्तर क्षेत्र महिला प्रमुख मनिंदरजीत कौर के साथ पंजाब के सभी जिलों से आरोग्य भारती के सदस्यों ने भी भाग लिया ।

इसमें कोरोना जैसी विकट स्थिति में समाज सेवा हेतु कई कदम उठाने सुनिश्चित किए गए ,साथ ही आम नागरिकों की सुविधा के लिए भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आयुष विभाग द्वारा दिए गए कोरोना गाइड लाइंस को ध्यान में रखते हुए कुछ आसान से दिशा-निर्देश सुझाए गए हैं। इस बैठक में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सह सचिव राकेश पंडित ने  कोविड के बचाब के लिए अपने व्यक्तव्य में बताया कि

* मास्क – 3 तहा/ लेयर  कपड़े वाला,  साथ में -2  गज की दूरी बनाकर रखें।
* स्वच्छता साबुन या सैनिटाइजर से हाथ धोना ।
* घर का बना ताजा भोजन नियमित सेवन करें।
*  नींबू, आंवला, लहसुन, हल्दी का नियमित सेवन करें।
*  अदरक, दालचीनी, लौंग, काली मिर्च, पिपली,पुदीना तुलसी की चाय, या  काढ़ा सेवन करें।
* प्रातः काल आधा घंटा धूप सेकने का प्रयास करें।
*  प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर खुली जगह में जाकर आधा घंटा गहरी सांस लें।
*  कपालभाति या भस्त्रिका या सिंघम क्रिया या सुदर्शन क्रिया नियमित करें
* टीवी/सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के ओवरडोज से बचें
*अपना मनोबल एवं सोच सकारात्मक रखना।
*  तनाव या अवसाद से बचने के लिए परिवार या मित्रों से संवाद बनाए रखें।

महामारी से जीवन रक्षा

*लक्षण होने पर चिंतित न हो,घर पर रहकर अपने को आइसोलेट या अलग कर लें।
* बुखार, गले में खराश, खांसी/सूखी खांसी, नाक से पानी बहना, बदन में दर्द,मुंह में स्वाद का अभाव, नाक में गंध का अभाव, लक्षण मिलने पर अपने आप को अकेले या परिवार के साथ अलग कर लेना चाहिए।
* बुखार दो बार सुबह 8-9बजे/ शाम 4-5 बजे नापना है।
* बुखार अगर 102 डिग्री से ऊपर जाए तो भीगे तौलिए से पोंछ- पोंछ  शरीर के तापमान को 100 डिग्री के आसपास ले आना है।
*पेरासिटामोल या किसी भी दवा का प्रयोग केवल चिकित्सक की सलाह पर ही लें।
* सांस लेने में तकलीफ होने पर ही चिकित्सक या अस्पताल से सलाह लें।
*सांस लेने की गंभीर स्थिति में ही अस्पताल में भर्ती हों।
* आरटी पीसीआर ज्ञान एंटीजन टेस्ट को एक रूटीन काम के रूप में लें।
*यदि संभव हो तो समय-समय पर OXYGEN की सघनता की जांच OXYMETER से करवाते रहें।
*सांस लेने में कष्ट या प्राणवायु/ ऑक्सीजन की कमी महसूस होने पर 10 मिनट से लेकर 40 मिनट तक पेट के बल लेटना लाभकारक है।
* अधिक कष्ट या तीव्र लक्षण होने की स्थिति में हर 8 घंटे पर 20 से 25 मिनट पेट के बल लेटना लाभकारी है।
* गहरी श्वास, साधारण प्राणायाम, अनुलोम- विलोम, कपालभाति, भ्रामरी प्राणायाम का 10-20 मिनट नियमित अभ्यास वायरस के प्रभाव को कम करता है।
* लंबा श्वास लेने के बाद ॐ ( अ-उ -म)  का उच्चारण नासिका गला, श्वास नलियों एवं फेफड़ों को बल देता है।
* उबलते पानी में एक चम्मच अजवाइन या पुदीने के पत्ते या बाम या नीलगिरी का तेल या अमृत धारा या विक्स डालकर दिन में दो-तीन बार भाप लेना लाभकारी है।

अपने अंतर्निहित रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के उपाय:

*पूर्ण आराम करें।
* पानी और तरल पदार्थ जैसे शिकंजी, सूप इत्यादि भरपूर मात्रा में लें। भोजन बहुत ही हल्का जैसे पतली खिचड़ी/ दलिया खाएं।
*तरबूज, खरबूजा, पपीता जैसे फल पर्याप्त मात्रा में लें।
* रात का खाना 7:00 बजे से पहले करने का प्रयास करें।
* रात में जल्दी सोना चाहिए।
* आयुष काढ़ा नियमित सेवन करें।

आयुष काढ़ा बनाने की विधि-

दालचीनी पाउडर आधा चम्मच, 2,3 दाने काली मिर्च, 1, 2 ग्राम सौंठ या 1 इंच अदरक का टुकड़ा, तुलसी के 5,6पत्ते, मुनक्का 5,6  दाने, दो कप पानी में उबालें। एक कप रहने पर छानकर आधा ग्राम काला नमक, नींबू का एक चौथाई भाग मिला दे मिठास के लिए शहद, गुड़ या शक्कर डालकर गर्म गर्म पीएं।

अपने सांस को बल देने के उपाय:-

*प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर खुली जगह जाकर आधा घंटा गहरी सांस लें।
* कपाल भाती या भस्त्रिका या सिंघम क्रिया या सुदर्शन क्रिया करना  है।
*इन सांस  की क्रियाओं को आपको खाली पेट की अवस्था में नाश्ते से पहले, दिन के भोजन और सायं, रात्रि के भोजन के पहले भी दोहराना है। यानी दिन में 4  बार। दिन में 4 बार आधा आधा घंटा भ्रामरी करना है। प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में, नाश्ते से पहले, दिन के खाने के पहले एवं सायं, रात के खाने से पहले।

अन्य उपाय

*प्रातः काल एवं सायंकाल उपरोक्त वर्णित सभी क्रियाओं के बाद आपको सेंधा नमक एवं हल्दी चूर्ण डालकर गर्म पानी के गार्गल/ गरारे करना है।
* प्रातः काल एवं सायंकाल उपरोक्त वर्णित सभी क्रियाओं के बाद, गार्गल के पश्चात, सेंधा नमक डालकर गुनगुने पानी से नेति करने के बाद शवासन में रहना लाभकारी है।
*दिन में एक बार तेल लगाकर 15-20 मिनट के लिए धूप में बैठना है।
*वायु/पर्यावरण में वायरस लोड कम करने के लिए घर आंगन चौपाल गली मोहल्लों में गाय के उपले गाय के शुद्ध देसी घी, अक्षत चावल से या सरसों, नीम पत्र, गुग्गुल, लौंग, कपूर से नियमित हवन करें।
*102 डिग्री से अधिक बुखार व सांस लेने में कठिनाई होने पर तुरंत स्वास्थ्य कर्मी चिकित्सक या अस्पताल से संपर्क करें।

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