चण्डीगढ़ , 12 मई। सन्त निरंकारी मण्डल के महा सचिव तथा मिशन के समर्पित गुरसिख ब्रिगेडियर पी0 एस0 चीमा जी (रिटा. ) का आज 12 मई दिल्ली में आज सुबह अपने इस नश्वर शरीर को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गये। उनकी उम्र 72 साल वर्ष थी।
ब्रिगेडियर चीमा जी, एक सक्षम सेना अधिकारी और मिशन के एक भक्त थे जिन्होंने जीवन के हर पहलू में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और सभी को अपने अनुशासन, समर्पण और संत गुणों से प्रेरित किया। चीमा जी का जन्म 14 मार्च, 1949 को उनका जन्म सतगुरु की शिक्षा के साथ एक दिव्य और आध्यात्मिक माहौल में हुआ था। उन्होंने जुलाई 1956 में ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया। एक बुद्धिमान और मेहनती युवा परमिंदर जी एक ईमानदार भक्त थे, जिन्होंने खेल, शिक्षा और कई अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वह भारतीय सेना में शामिल हो गए, जहां भी उन्होंने अपने आध्यात्मिक संपर्क को बनाए रखा। अपने समकालीनों को विश्वास और अच्छाई के साथ प्रेरित किया। उन्हें डॉ0ए0 पी0 जे0 अब्दुल कलाम द्वारा डीआरडीओ प्रौद्योगिकी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
29 अप्रैल, 2006 को ब्रिगेडियर चीमा को परम पावन सतगुरु बाबा हरदेव सिंह महाराज ने कार्यसमिति का सदस्य बनाया और उसके बाद 28 अप्रैल, 2007 से कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने और समाज कल्याण से जुड़े। ब्रिगेडियर चीमा सुरक्षा सलाहकार समिति के सदस्य भी थे। उन्हें सत्गुरू बाबा द्वारा 01 मई, 2007 को ब्रह्मज्ञान देने की प्रमीशन मिली और उन्हें 12 अप्रैल 2010 को संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य के रूप में भी मनोनित किया गया था।
वर्तमान में सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज द्वारा 2018 में चीमा को मंडल के महासचिव की सेवा दी गई और इसके इलावा वे मैम्बर इंचार्ज के रूप में स्वास्थ्य, आईटी, सुरक्षा, स्टूडियो और दूरसंचार के विभागों की देखभाल कर रहे थे। वह मिशन के आगामी संत निरंकारी हैल्थ सिटी प्रोजेक्ट की रीढ़ भी थे। भौतिक दुनिया से उनका जाना मिशन के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
ब्रिगेडीयर चीमा ने अपने महान आध्यात्मिक जीवन द्वारा मानवता की सेवा में एक अमिट छाप छोड़ी है जो आने वाली पीढियों के लिए मार्गदर्शक एवं प्रेरणा का स्रोत बनीं रहेगी। आपकी सेवाओं को निरंकारी मिशन सदैव ही याद रखेगा।