चण्डीगढ़, 20 अप्रैल। सुचारू रूप से चल रहे तथा लगातार मुनाफा कमा रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ मंगलवार को बिजली कर्मियों ने यूटी पावरमैन यूनियन के आह्वान पर कलम छोड़/ औजार छोड़ हड़ताल की। हड़ताल कल रात 12 बजे से शुरू हो गई थी जो आज रात 12 बजे तक चलेगी। हड़ताल के दौरान ना ही कोई शिकायत नोट की गई और ना ही शिकायतों का निपटारा किया गया और ना ही होई ब्रेकडाउन अटैन्ड हुई न मुरम्मत का काम हुआ। दफ्तरों में भी बिलिंग, मिटरिंग आदि का काम भी नहीं हुआ। हड़ताली कर्मचारी सुबह 10 बजे अपने अपने कार्यालयों में आये तथा प्रषासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए यूनियन द्वारा सैक्टर 17 में की जा रही रैली में पहुँचे।
बिजली दफ्तर सैक्टर 17 में हड़ताली कर्मचारियों की रैली को सम्बोंधित करते हुए यूनियन तथा फैड़रेशन के महासचिव गोपाल दत्त जोषी, यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह, संयुक्त सचिव अमरीक सिंह, पान सिंह, गुरमीत सिंह ने मुनाफे में चल रहे बिजली विभाग का निजीकरण करने के लिए चण्डीगढ़ प्रशासन तथा केन्द्र सरकार की कड़ी निन्दा की तथा चण्डीगढ़ की आम जनता को प्रषासन की नीति का कड़ा विरोध करने की अपील करते हुए कहा कि बिजली विभाग में सामान का प्रबन्ध न करने तथा 1780 संषोधित पोस्टों में से सिर्फ 1000 से कम कर्मचारियों के बावजूद उपभोक्ताओं को सस्ती तथा निर्विघ्न बिजली सप्लाई दी जा रही है। चण्डीगढ़ की जनता को बिजली की दरों में पिछले पांच साल से कोई बढ़ोतरी न करने तथा इस साल बिजली की दरें घटाने की बात को गंभीरता से सोचना चाहिए जो बिजली कर्मचारियों की कर्मठता तथा कड़ी मेहनत का नतीजा है। इसलिए आम जनता को निजीकरण के खिलाफ हल्ला बोलना समय की ऐतिहासिक जरूरत है।
उन्होंने कहा कि चण्डीगढ़ प्रषासन द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाकर निजीकरण के लिये नियुक्त नोडल अधिकारी की अनुपस्थिति में बिड़ खोलने से कई शंकाऐं पैदा होती है जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है। देष के प्रमुख संगठनों तथा औद्योगिक क्षेत्र के संगठनों के ऐतराज के बावजूद प्रषासन ने गैर कानूनी तौर पर बिड को खोल दिया गया जिसे तुरंत रद्द करने की जरूरत है। यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रषासन की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि अभी कंपनी बनी भी नहीं है लेकिन उसको 100 प्रतिषत बेचने के लिए बिड़िग खोली गई है जबकि इस सारी प्रक्रिया को करने से पहले कर्मचारियों तथा उपभोक्ताओं से सुझाव व ऐतराज लेने चाहिए थे तथा ट्रांसफर पॉलिसी की अधिसूचना जारी करनी चाहिए थी तथा स्टेट ट्रांसमिषन यूनिट व स्टेट लोड़ डिस्पेच सैंटर का गठन करना चाहिए था। जिसकी प्रक्रिया अभी शुरू ही नहीं हुई है तथा स्टैर्ण्डड बिंिडंग डाक्यूमैंट भी फाईनल नहीं हुआ है फिर भी बिंड खोल दी गई जो सरासर धोखा तथा एकतरफा फैसला हैं जिसमें गैर जरूरी जल्दबाजी की गई है। उन्होंने कहा कि बार बार अपील करने तथा ज्ञापन देने के बावजूद कर्मचारियों के हितों को भी सुरक्षित रखने के लिए प्रषासन चर्चा करने को भी तैयार नहीं है।
फैड़रेषन ऑफ यूटी इंम्पलाई एण्ड वर्करज के प्रधान रघबीर चन्द, वरिष्ठ उप-प्रधान राजेन्द्र कटोच, हरकेष चन्द, बिषराम, नसीब सिंह, बिहारी लाल ने सरकार की निजीकरण की नीति पर करारा हमला करते हुए केन्द्र सरकार की तीखी निन्दा की तथा आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार अपने वायदे से मुकर गई है। केन्द्र सरकार बार बार सिर्फ घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण की बात कर रही है तथा सरकारी या निजी कंपनी की मनोपली खत्म कर कई कंपनीयों को लाईसैंस देकर कंपीटीषन की बात कर रही है लेकिन चण्डीगढ़ में बिजली विभाग को मुनाफे में चलने के बावजूद निजी कंपनीयों को बेचा जा रहा है। उन्होंने सरकार की करनी व कथनी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर बिजली विभाग का 100 प्रतिषत शेयर निजी मालिको को बेच दिया जाएगा तो कंपीटिषन की बात कहा रह जाती है। उन्होने बिडिंग प्रोसैस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक बार आरएफपी बेचने के बाद अंतिम दिनांक से कम से कम 45 दिन पहले आरएफपी में बदलाव किया जा सकता है लेकिन प्रषासन बिडिंग के लिए छः कंपनियों के आवेदन के बाद आरएफपी में बदलाव किया तथा 10 दिन के अंदर ही नयी कंपनीयों को उसमें शामिल कर लिया नियमों को ताक में रख कर किया गया यह फैसला कर्मचारियों तथा जनता के साथ सरासर धोखा है।
पैंषनरस ऐसोसिेऐषन के आगू मनमोहन सिंह, उजागर सिंह मोही, वाटर सप्लाई के चैन सिंह, हॉर्टीकल्चर के सोहन सिंह, यूनियन के सचिव सुखविन्द्र सिंह व रणजीत सिंह ने कहा कि विभाग को बैस्ट यूटिलिटी का अवार्ड भी लगातार मिल रहा है बिजली की दर भी पडौसी राज्यों व केन्द्रषासित प्रदेषों से कम है। ट्रांसमिषन व डिस्ट्रीब्यूषन (टी एण्ड डी) लास भी बिजली मंत्रालय के तय मानक 15 प्रतिषत से काफी कम है। पिछले 5 साल से विभाग लगातार 150 करोड से 250 करोड़ तक मुनाफा कमा रहा है। विभाग का वार्षिक टर्न ओवर 1000 करोड़ के करीब है जिस हिसाब से कम से कम कीमत 15000 करोड़ से अधिक बनती है लेकिन ताजुब्ब की बात है कि बोली सिर्फ 174 करोड की लगाई जा रही है। जमीन व इमारतों का किराया सिर्फ एक रूपया प्रति महिना , 157 करोड़ रूप्या जनता का जमा एसीडी निजी मालिकों को देने का फैसला, 300 करोड़ से अधिक कर्मचारियों का फण्ड निजी ट्रस्ट के हवाले करने की बात की जा रही है जिसे किसी भी हालत में बर्दास्त नहीं किया जा सकता। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रषासन निजीकरण करने के लिए इतना उतावला है कि उसे विभाग में खाली पड़ी पोस्टे भरने, वेतन विसंग्ति दूर करने, मृृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी देने तथा कई सालों से आऊटसोर्स पर कर्मचारियों पर काम कर रहे कर्मचारियों को विभाग के अधीन कर उन पर बराबर काम के लिए बराबर वेतनमान देने आदि मांगों पर विचार करने का भी समय नहीं है। यहां तक कि कर्मचारियों को काम करने के औजार भी नसीब नहीं हो रहे है।
रैली को संयुक्त कर्मचारी मोर्चा यूटी व एम सी के नेता राजिन्द्र कुमार, बिपिन शेर सिंह, सुखबीर सिंह, अष्वनी कुमार, बलविन्द्र सिंह, रंजीत मिश्रा, अषोक कुमार, आदि ने भी सम्बोंधित करते हुए बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ सीधे संघर्ष का ऐलान किया।
रैली में प्रषासन को चेतावनी दी कि अगर गैर कानूनी तौर पर किया जा रहा निजीकरण का प्रौसेस रद्द नहीं किया तो शीघ्र ही यूनियन की मीटिंग बुलाकर अनिष्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया जाएगा।