करनाल, 18 अप्रैल। आर. ओ. सिस्टम का अनावश्यक और अव्यवस्थित उपयोग पानी की बर्बादी का सबब बन रहा है। करनाल ज़िले में अधिकांश स्थानों पर पेयजल के लिए आर. ओ. के उपयोग की आवश्यकता ही नहीं है। हम सब को पानी की बर्बादी भी रोकने के लिए हरसंभव उपाय करने की आवश्यकता है। रेडियो ग्रामोदय के कार्यक्रम वेक अप करनाल में ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान और रसायनशास्त्री कुंवर अमित सिंह के मध्य हुई चर्चा में यह बिंदु उभरकर सामने आए. कार्यक्रम में ग्रामीण अंचल में जल संरक्षण के कार्य में नई पीढ़ी की भूमिका को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई और कोरोना से निजात के बाद इस दिशा में ग्रामोदय न्यास की अगुवाई में ज़िले में व्यापक अभियान चलाने का संकल्प भी लिया गया। इसके अलावा कार्यक्रम में कोरोना के नए दौर के कारण पैदा हुई स्थितियों पर भी विस्तार से चर्चा हुई.विदित हो कि कुंवर अमित सिंह कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए थे और उसे मात देकर कुछ ही दिनों पहले काम पर लौटे हैं।
चर्चा में कहा गया कि एनजीटी के निर्देश के मुताबिक पानी का टीडीएस स्तर 500 से 700 तक होने की स्थिति में आरओ का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आरओ पानी से आवश्यक खनिजों को भी बाहर कर देता है जो शरीर के लिए जरूरी है। आरओ का इस्तेमाल तभी जरूरी है जब पीने के पानी का टीडीएस स्तर 1000 से लेकर 1200 तक हो।
कोरोना संक्रमण के दौरान इसके लक्षणों, परेशानियों, उपचार के लिए किए गए उपायों, खानपान व अन्य सावधानियों के बारे में पूछे गए डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान के सवाल पर अमित सिंह ने बताया कि गत मार्च के महीने में एक विवाह समारोह से लौटने पर उन्हें कोरोना संक्रमित होने का पता चला। बुखार होने पर पहले वायरस का संदेह हुआ और उसकी दवाई खाई। पेरासिटामोल लेने पर बुखार तो ठीक हो गया, लेकिन फिर खांसी की शिकायत शुरू हो गई। सांस चढ़ने लगी तो कोविड टेस्ट कराया जिसमें पॉजिटिव निकला।
अमित सिंह ने कहा कोरोना का फिर से लौटना और इसके तेजी से बढ़ते मामले चिंता का विषय जरूर हैं, लेकिन सकारात्मक रहकर और कुछ घरेलू उपायों से इस बीमारी पर विजय प्राप्त की जा सकती है। कोरोना भी एक प्रकार का फ्लू ही है। उचित खानपान, पर्याप्त आराम और योग – प्राणायाम के नियमित अभ्यास से इससे इसके साथ प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है ।
अमित सिंह ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव घोषित होने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक पैकेट उन्हें दिया गया जिसमें काढ़े का सामान था। उन्होंने बताया कि कोरोना हो जाने पर पीड़ितों को पर्याप्त खुराक लेनी चाहिए और विटामिन सी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए जैसे संतरा, मौसमी, नींबू आदि का जूस और नारियल पानी, किवी, ओ.आर.एस. आदि। इसके अलावा गर्म पानी, गिलोय और भाप का भी सेवन नियमित रूप से अवश्य करना चाहिए।
अमित सिंह ने कहा कि कोरोना से जूझने की प्रक्रिया में आयुर्वेद अत्यंत प्रभावी है। अदरक, तुलसी, लौंग, काली मिर्च व दालचीनी युक्त गर्म पानी का भाप लेने के अलावा विटामिन डी और विटामिन बी कॉन्प्लेक्स का सेवन भी फायदेमंद होगा। अमित सिंह ने बताया कि कोरोना वैक्सीन दरअसल मरा हुआ कोरोना वायरस ही है जो मनुष्य के शरीर में बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज या प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। अतः यह वैक्सीन सबको लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है, अतः सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करें।
चर्चा के दौरान एक श्रोता के सवाल का जवाब देते हुए अमित सिंह ने कहा कि गर्मी के मौसम में भी गर्म पानी का यथासंभव इस्तेमाल करना जरूरी है। उन्होंने मस्तिष्क में नकारात्मक विचार न लाने पर जोर दिया और इसके लिए टीवी की नकारात्मक खबरें ना देखने की सलाह भी दी। उनके अनुसार यह मानसिक अवसाद पैदा कर सकता है।