मोहाली, 18 अप्रैल । लिवर के साथ अन्य सभी तरह के रोगों के इलाज से बेहतर उन सभी रोगों से बचाव ही है। इसलिए, एक स्वस्थ जीवन शैली को अपनाएं और शराब के अत्यधिक उपयोग से बचना चाहिए। ये कहना है डॉ.अरविंद साहनी, डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली का।
विश्व लिवर दिवस के मौके पर, जो हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाता है, डॉ.साहनी ने कहा कि ‘‘हाल ही में कोविड-19 महामारी ने लिवर रोग में एक और आयाम जोड़ा है। कोविद-19 संक्रमण से लिवर को भी नुक्सान हो सकता है और पहले से मौजूद लिवर के किसी रोग के मामले में यह बीमारी जीवन के लिए खतरा बन सकती है। ऐसे में, पहले से मौजूद लिवर की बीमारी वाले रोगियों को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 से सुरक्षा के लिए वैक्सीनेशन करवा लेनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘नियमित तौर पर स्क्रीनिंग और शुरुआती स्तर पर बीमारी का पता लगाना हैपेटाइटिस जैसे साइलेंट किलर से निपटने का एकमात्र तरीका है, क्योंकि क्रोनिक वायरल हैपेटाइटिस में लिवर की क्षति तब तक लक्षणों के बिना होती है जब तक कि यह लीवर कैंसर या लीवर सिरोसिस के रूप में टर्मिनल बीमारी के फेज तक नहीं पहुंच जाती। हालांकि, टीकाकरण हेपेटाइटिस ए और बी वायरस के लिए उपलब्ध है।
डॉ.साहनी ने कहा कि ‘‘लिवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है और सैकड़ों ऐसे मेटाबोलिक कार्य करता है जो जीवन के लिए आवश्यक हैं। हमारा लिवर हमारी जीवनशैली से प्रभावित होता है। अधिक मात्रा में शराब पीने से अल्कोहल से संबंधित लिवर सिरोसिस हो सकता है और अधिक वसा युक्त भोजन का सेवन हाई कैलोरी नॉन-एल्कोहोलिक फैट्टी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) का कारण बन सकता है।’’
डॉक्टर साहनी ने कहा कि पीलिया लिवर रोग का सबसे आम लक्षण है, लेकिन कुछ मामलों में यह बाद में डायग्रोसिस में देरी का कारण बन सकता है।
वायरल संक्रमण लिवर रोग का एक सामान्य कारण है। हेपेटाइटिस ए और ई जैसे वायरस जल जनित हैं और गंभीर लिवर क्षति का कारण बनते हैं। हेपेटाइटिस बी और सी जैसे वायरस रक्त जनित हैं और सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसे स्थायी लाइनर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए इन वायरल संक्रमणों (बी और सी) का शीघ्र और उचित उपचार किया जाना चाहिए।