चंडीगढ़, 11 अप्रैल। पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ राजीव सिवाच जारी एक बयान में बताया कि नाबार्ड ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि(आरआईडीएफ), सूक्ष्म सिंचाई कोष, ग्रामीण अवसंरचना के निर्माण और खाद्य प्रसंस्करण जैसी विभिन्न रियायती निधियों के माध्यम से राज्य सरकार को सीधे तौर वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। नाबार्ड कृषि एवं ग्रामीण उद्यमों के लिए सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, बैंकों और अन्य एजेंसियों के लिए पुनर्वित्त सहायता भी प्रदान करता है. मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि नाबार्ड ने पिछले वर्ष के दौरान 51% की वृद्धि दर्ज करने के साथ राज्य में 12,108 करोड़ रुपए की सर्वाधिक वित्तीय सहायता प्रदान की है।
इस वर्ष राज्य सरकार के सक्रिय सहयोग सहयोग से, पिछले वर्ष की तुलना में आरआईडीएफ संवितरण दोगुना हो गया। नाबार्ड ने आरआईडीएफ के तहत 600 करोड़ का संवितरण किया था। डॉ. सिवाच ने सूचित किया कि स्मार्ट स्कूल कक्षाओं, ग्रामीण सड़कों और पुलों, पीने के पानी और स्वच्छता, सिंचाई, स्वास्थ्य आदि के लिए 564 करोड़ की आरआईडीएफ सहायता संबंधी नई परियोजनाओं को मंजूरी दी। राज्य में भूजल के क्षय के मुद्दे के समाधान के लिए सूक्ष्म सिंचाई निधि को राज्य में लागू किया गया, जिसके लिए 150 करोड़ की मंजूरी दी गई, इससे लगभग 26000 हेक्टेयर भूमि को लाभ होगा. इसके अतिरिक्त कोविड महामारी के दौरान राज्य सरकार के स्वामित्व वाले फेडरेशन मिल्कफेड (वेरका) को लिक्विडिटी सहायता के लिए क्रेडिट सुविधा प्रदान की गई।
मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि राज्य में 11311 करोड़ की पुनर्वित्त सहायता प्रदान की गई. यह पिछले वर्ष की तुलना में 48% अधिक है. इसमें किसानों को फसली ऋण के लिए 8061करोड़ का अल्पावधि पुनर्वित्त शामिल हैं, जिसमें से 6416 करोड़ पैक्स के माध्यम से सहकारी बैंकों को दिए गए. 3251 करोड़ दीर्घावधि पुनर्वित्त के रूप में बैंकों के माध्यम से ग्रामीण गतिविधियों हेतु निवेश ऋण के लिए दिए गए।
कोविड लॉकडाउन के दौरान रबी की फसल की कटाई और धान की फसल की बुवाई के लिए किसानों को निरंतर एवं बाधारहित ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण वित्तीय संस्थानों को विशेष तरलता फंड के तहत 1500 करोड़ की प्रदान की गई वित्तीय सहायता भी पुनर्वित्त में शामिल है।
वर्ष के दौरान राज्य में 10 करोड़ से अधिक की कुल अनुदान सहायता स्वीकृत की गई और विभिन्न विकास्तमक गतिविधियों के लिए 4 करोड़ से अधिक जारी किए गए। पहली बार रोपड़ जिले के कंडी क्षेत्र में मिट्टी के कटाव को रोकने और जल संरक्षण के लिए एक वाटरशेड परियोजना स्वीकृत की गई. मिट्टी की क्षारीयता की समस्या को दूर करने के लिए पटियाला और संगरूर जिलों में 1000 हेक्टेयर के क्षेत्र को क्षारमुक्त करने के लिए 6.37 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ एक पायलट परियोजना को मंजूरी दी गई। पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय ने संगरूर जिले में फुलकारी आधारित महिलाओं का ऑफ-फार्म फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन को मंजूरी दी है। जलवायु परिवर्तन अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां नाबार्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. एक नाबार्ड जलवायु परिवर्तन निधि के लिए राष्ट्रीय कार्यान्वयन इकाई है। राज्य में कार्यान्वित की जा रही दो एनएएफसीसी परियोजनाओं के लिए 14.31 करोड़ की वित्तीय सहायता जारी की गई।
नाबार्ड ने वित्तीय साक्षरता सृजन और बैंकिंग प्रौद्योगिकी आदि के लिए पंजाब में ग्रामीण वित्तीय संस्थानों और अन्य बैंकों / एजेंसियों को वित्तीय समावेशन निधि के तहत 4.64 करोड़ की सहायता को मंजूरी दी है।
मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि नाबार्ड किसान उत्पादक संगठन के प्रचार में अग्रणी है. वर्ष 2020-21 के दौरान सेन्ट्रल सेक्टर योजना को संचालित किया गया है, 5 सीबीबीओ को अनुमोदन प्रदान किया गया है।