करनाल, 19 अगस्त। राज्य के पशुपालन विभाग ने गोवंश में हो रहे लंपी संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कमर कस ली है। प्रभावित ज़िलों में बचाव व रोकथाम के लिए इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन उपलब्ध करा दी गई है। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने राज्य राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जे.पी. दलाल से इस संबंध में विमर्श के उपरांत एक कार्यक्रम में यहाँ इस आशय की जानकारी दी। उन्होंने करनाल के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. तरसेम राणा के साथ पशुपालकों से ज़मीनी स्थिति की जानकारी भी हासिल की। डॉ. चौहान ने कहा कि एक खास किस्म के वायरस से गोवंश में फैल रही लंपी स्किन डिजीज एक संक्रामक रोग है। थोड़ी सी सावधानी और घरेलू उपचार से इस बीमारी से पशुओं को बचाया जा सकता है। इस बीमारी में मृत्यु दर अत्यंत कम है, इसलिए घबराने की नहीं, सिर्फ सावधानी बरतने की जरूरत है। राज्य सरकार ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन खरीद कर प्रभावित जिलों में भिजवानी शुरू कर दी है। डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान रेडियो कार्यक्रम ‘ग्रामोदय लाइव’ में पशु चिकित्सक डॉ. तरसेम राणा से इस बीमारी के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कर रहे थे।
डॉ. चौहान ने कहा कि लंपी स्किन डिजीज पर केंद्र और राज्य सरकारें गंभीर हैं। इस संबंध में केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने हरियाणा के पशुपालन मंत्री जे.पी. दलाल के साथ विस्तृत बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि बीमारी से निपटने की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा हुई है। राज्य सरकार ने वैक्सीन की खरीद कर ली है। कई स्थानों पर वैक्सीन पहुंच भी गई है, लेकिन ध्यान देने लायक बात यह है कि इस बीमारी की खास वैक्सीन अब तक तैयार नहीं हो पाई है। फिलहाल अन्य बीमारियों में कारगर वैक्सीन का ही इस वायरल संक्रमण में भी ट्रायल किया जा रहा है। संक्रमण के हर मामले में वैक्सीन की जरूरत है भी नहीं। घरेलू उपचार से भी इस बीमारी से निपटा जा सकता है।
वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि हरियाणा में यह संक्रमण पहली बार फैला है और अब करनाल जिले के लगभग सभी क्षेत्रों में इस बीमारी के मामले सामने आ चुके हैं। दक्षिण से फैलने वाली यह बीमारी राजस्थान से होते हुए हरियाणा तक पहुंची है। उन्होंने बताया कि लंपी वायरस छुआछूत और मक्खी-मच्छर से भी फैलता है। इस बीमारी में पशुओं को 104-105 डिग्री तक बुखार आ जाता है, त्वचा ढीली हो जाती है और उस पर चकत्ते बन जाते हैं। उसमें घाव भी हो जाते हैं। डॉ. तरसेम ने बताया कि किसी भी गोवंश को यदि तेज बुखार हो जाए और संक्रमण के अन्य लक्षण दिखें, तो सर्वप्रथम उसे अन्य पशुओं से तत्काल अलग कर दें। इसके बाद 10 लीटर पानी में 100 ग्राम फिटकरी के पाउडर और नीम के पत्तों को डालकर उबाल लें। इस उबले पानी का संक्रमित पशुओं पर दिन में तीन से चार बार रोज स्प्रे करना चाहिए। इससे गोवंश को राहत मिलेगी और बीमारी 10 से 15 दिनों के भीतर चली जाएगी। लंपी स्किन डिजीज से गोवंश की मृत्यु दर मात्र 3 से 4% आंकी गई है। इसलिए पशुपालकों को घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।
डॉ. तरसेम ने कहा कि एंटीसेप्टिक पानी का छिड़काव गौशाला की दीवारों, बाउंड्री और बाड़े पर भी किया जाना चाहिए। इस बीमारी में दवा और वैक्सीन ज्यादा कारगर नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि घोड़े इस संक्रमण से काफी हद तक सुरक्षित हैं। यह बीमारी गायों से भैंसों में और भैंसों से गायों में फैल सकती है। डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान के सवाल का जवाब देते हुए डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि पशुपालन विभाग अपने स्तर पर शिविर आयोजित कर पशुपालकों को बीमारी के प्रति जागरूक कर रहा है। एक हफ्ते के भीतर वैक्सीन आ जाने की भी उम्मीद है। इसके बाद विभाग की ओर से दवा और वैक्सीन उपलब्ध करवाए जाएंगे। अभी जो दवा उपलब्ध है वह सिर्फ बुखार के लिए है, लंपि संक्रमण के लिए अभी कोई दवा तैयार नहीं हो पाई है। इन दिनों मौसम के कारण पशुओं में मल्टीपल इन्फेक्शन देखे जा रहे हैं। निसिंग, असंध, करनाल और अलावला समेत करनाल जिले के अधिकतर क्षेत्रों में बीमारी फैल चुकी है, इसलिए किसानों को वैक्सीन आने का इंतजार नहीं करना चाहिए। स्वस्थ पशुओं को संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से रोका जाए। एक सवाल के जवाब में पशु चिकित्सक डॉ तरसेम ने बताया कि संक्रमित पशु का दूध उबालकर पीने में कोई नुकसान नहीं है। इस चर्चा में डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान और डॉ. तरसेम राणा के अलावा गुंदर से नन्हाराम प्रजापती, कांगड़ा से विकास चौधरी और अलावला से सुधीर ने भी भाग लिया।
प्रभावित ज़िलों में लंपी के बचाव को टीकाकरण शुरू: डॉ. चौहान
