चंडीगढ़, 7 अप्रैल। यूटी इम्प्लाइज हाउसिंग वेल्फेयर सोसायटी चण्डीगढ की ओर से बुधवार को सोसाइटी के प्रधान सरदार बलविंदर सिंह और महासचिव डॉ.धर्मेन्द्र ने संयुक्त रूप से प्रैसनोट जारी करते हुए कहा कि हम चण्डीगढ प्रशासन द्वारा चण्डीगढ की कमर्शियल प्रापर्टी पर कलेक्टर रेट कम करने के लिए चण्डीगढ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर और प्रशासक के सलाहकार मनोज कुमार परिदा का धन्यवाद प्रकट करते हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि कमर्शियल प्रापर्टी के कलेक्टर रेट्स 10% घटाना ऊँट के मुँह में जीरे के समान है इन रेट्स को 40 से 50% तक कम करना चाहिए जिससे लोगों को कुछ लाभ मिले।
महासचिव डॉ.धर्मेन्द्र ने प्रशासक वी पी सिंह बदनौर और सलाहकार मनोज कुमार परिदा से अनुरोध किया कि कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए चण्डीगढ़ में हाउसिंग के लिए भी 50% तक जमीनों के कलेक्टर रेट्स कम करने चाहिए ताकि यूटी इम्प्लाइज हाउसिंग स्कीम जो पिछले 13 साल से लम्बित है और माननीय हाईकोर्ट में रेट्स के मुद्दे पर ही मामला विचाराधीन है सिरे चढ सके । कलेक्टर रेट्स के ज्यादा होने के कारण यूटी इम्प्लाइज हाउसिंग स्कीम सहित चण्डीगढ हाउसिंग बोर्ड की कई स्कीमें उलझकर रह गई । प्रधानमन्त्री आवास योजना भी ठण्डे बस्ते में पड़ी है । सैक्टर- 53 में जनरल हाउसिंग स्कीम के लिए चण्डीगढ हाउसिंग बोर्ड ने आम लोगों से फार्म भराकर सर्वेक्षण कराया लेकिन पर्याप्त खरीदार नहीं जुटा पाया ।
डॉ. धर्मेन्द्र ने चण्डीगढ़ प्रशासन से मांग की कि चण्डीगढ़ में कर्मचारियों और दूसरे आम नागरिकों की हाउसिंग की जरूरतों को देखते हुए लोगों के हित में जमीनों के कलेक्टर रेट्स 50% तक कम किये जाएं। इससे 2008 से लम्बित यूटी इम्प्लाइज हाउसिंग स्कीम में सफल उम्मीदवारों/कर्मचारियों को फ्लैट्स अफोर्डेबल रेट्स पर उपलब्ध हो सकेंगे और प्रधानमंत्री आवास योजना सहित जनरल हाउसिंग स्कीम भी सफल हो सकेगी और लोगों की हाउसिंग की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। यदि चण्डीगढ प्रशासन हाउसिंग के लिए भी जमीनों के कलेक्टर रेट्स कम कर देता है तो चण्डीगढ में इसके बहुत ही शानदार दूरगामी परिणाम होंगे। चण्डीगढ प्रशासन में काम कर रहे कर्मचारी प्रशासन की रीढ की हड्डी हैं। कर्मचारी चण्डीगढ प्रशासन, हाईकोर्ट,चण्डीगढ हाउसिंग बोर्ड, चण्डीगढ नगर-निगम और चण्डीगढ के दूसरे विभागों में काम करते हुए अपने जीवन के 35-40 साल लगा देते हैं लेकिन रिटायर्मेंट पर उन्हें शहर छोड़कर जाना पड़ता है या फिर चण्डीगढ जैसे महंगे शहर में किराए के मकानों में किराए के रूप में अपनी पैंशन का पैसा बर्बाद करने के लिए मजबूर होना पड़ता है ।
डॉ.धर्मेन्द्र ने कहा कि यूटी इम्प्लाइज हाउसिंग स्कीम-2008 का ड्रा 04-11-2010 को चण्डीगढ हाउसिंग बोर्ड द्वारा किया गया जिसमें केटेगरी-ए के तहत 252 , केटेगरी-बी के तहत 168, केटेगरी-सी के तहत 3066 और केटेगरी-डी के तहत 444 कर्मचारी सफल रहे थे । कुल 7827 कर्मचारियों ने स्कीम में अप्लाई किया था और 58 करोड़ रुपये चण्डीगढ हाउसिंग बोर्ड ने कर्मचारियों से इकट्ठा किए थे लेकिन आज तक स्कीम सिरे नहीं चढ़ सकी । स्कीम लांच करने के समय 2008 में केटेगरी-ए के फ्लैट का रेट 34 लाख 70 हजार, केटेगरी-बी के फ्लैट का रेट 24 लाख 30 हजार, केटेगरी-सी के फ्लैट का रेट 13 लाख 53 हजार और केटेगरी-डी के फ्लैट का रेट 5 लाख 75 हजार रुपये बताया था लेकिन 2016 में कलेक्टर रेट 74131/- रुपये गज के हिसाब से लागू करते हुए फ्लैट्स का रेट चण्डीगढ़ प्रशासन की न्यू प्रपोजल के अनुसार क्रमश: केटेगरी-ए के फ्लैट का 1 करोड़ 51 लाख, केटेगरी-बी के फ्लैट का 1 करोड़ 17 लाख, केटेगरी-सी के फ्लैट का 69 लाख और केटेगरी-डी का 48 लाख तय किया गया जो कि किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं है
डॉ.धर्मेन्द्र ने आगे कहा कि 2008 से अब तक 400-500 लोग तो रिटायर भी हो चुके हैं। कुछ तो अपने फ्लैट्स का सपना लिए दुनिया ही छोड़कर चले गए। इन सब अन्तर्मन को छू लेने वाले तथ्यों को ध्यान में रखते हुए चण्डीगढ प्रशासन को हाउसिंग के लिए जमीन के कलेक्टर रेट्स 40-50 % तक कम करके कर्मचारियों और शहर के सभी नागरिकों को तोहफा देना चाहिए ।