चंडीगढ़, 7 अप्रैल। आयुष्मान भारत एक परिवार को एक साल में 5 लाख रुपए तक की स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त उपलब्ध कराने की योजना है। विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना में अब तक करनाल जिले में सबसे अधिक कुल 45 अस्पताल इंपैनल्ड है जिनमें 9 सरकारी व शेष प्राइवेट हैं। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत करनाल जिले में अभी तक 25 करोड़ रूपए की सहायता मरीजों को दी जा चुकी है। रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल कार्यक्रम में आयुष्मान योजना संबंधी विशेष अंक में हरियाणा ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान व करनाल जिले की आयुष्मान योजना की नोडल अधिकारी डॉ सरोज बाला के मध्य हुई वार्ता में यह तथ्य उभर कर सामने आए।
इस अवसर पर ग्रन्थ अकादमी उपाध्यक्ष ने कहा कि 31 अप्रैल तक चलने वाले विशेष अभियान में वे सभी परिवार अपना आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं जो 2011 के सर्वेक्षण में पात्रता के अनुसार सूचीबद्ध हो गए थे किंतु अभी तक किसी भी कारण से अपना आधार कार्ड नहीं बनवा पाए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 2011 के सर्वे में सूचीबद्ध परिवारों के वह सदस्य भी अपने आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं जो 2011 के बाद पैदा या विवाहित होकर उस परिवार के सदस्य बने हैं ।
रादौर से अमित कंबोज ने कार्ड न बनने और लिस्ट में कुछ लोगों के छूटने का मुद्दा उठाया जिस के उत्तर में डॉ. सरोज ने कहा कि 2011 में निर्धारित सूची के अनुरूप ही अभी कार्य हो रहा है । 2011 में हुए सर्वे के आधार तैयार सूची में से जिन लोगों का कार्ड बनाना रह गया है उन्हीं लोगों के कार्ड वर्तमान में बन रहे हैं। इस संदर्भ में करनाल जिले की स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि 2011 के रिकॉर्ड के अनुसार करनाल जिले में 1 लाख 15 हजार परिवारों के लगभग 5 लाख व्यक्ति आयुष्मान योजना के लाभार्थी हैं जिनमें से अभी तक 2 लाख 20 हजार व्यक्तियों के ही कार्ड बने हैं। बाकी लोग जो शेष बचे हैं उनके लिए विशेष कैंपेन चलाया जा रहा है जिसे अब 31 अप्रैल 2021 तक बढ़ा दिया गया है। इसके अंतर्गत आशा वर्कर व अन्य संबंधित लोग 2011 के रिकॉर्ड की लिस्ट के अनुसार घर घर जाकर बचे हुए लोगों से कार्ड बनवाने के लिए संपर्क कर रहे हैं।
अधिवक्ता राजेश शर्मा के अनेक डॉक्टरों व अस्पतालों द्वारा आयुष्मान योजना अंतर्गत इलाज ना करने या टालमटोल करने संबंधित प्रश्न के जवाब में डॉ. सरोज ने कहा कि आयुष्मान योजना के अंतर्गत लगभग 1450 पैकेज बने हुए हैं। कोई भी एंपेनल्ड हॉस्पिटल या डॉक्टर इन 1450 पैकेज के अंतर्गत इलाज करने से मना नहीं कर सकता। प्राइवेट अस्पताल केवल उन पैकेज के लिए मना कर सकते हैं जो केवल सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आरक्षित हैं। किसी प्राइवेट अस्पताल द्वारा गैर आरक्षित पैकेज के अंतर्गत इलाज करने से मना करने पर आप संबंधित नोडल अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं। करनाल नोडल ऑफिस में ऐसी अनेक समस्याएं व शिकायतें आती हैं जिनका डॉक्टर से बात कर समाधान किया जाता है तथा अगर किसी अस्पताल द्वारा नियम के विपरीत रोगी या उसके परिवार से कुछ राशि चार्ज कर ली जाती है तो उस राशि को अस्पताल द्वारा वापस भी करवाया जाता है।
बल्ला से अंकित द्वारा आयुष्मान भारत योजना में नए लोगों को जोड़ने के लिए नवीन सर्वे के संबंध में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ. सरोज ने कहा कि अभी ऐसा कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान द्वारा पूछा गया कि रोगी के अस्पताल पहुंचने पर उसकी आयुष्मान पात्रता की जांच को लेकर कोई स्वचालित प्रणाली है या नहीं ? डॉ. सरोज ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई स्वचालित सिस्टम अभी नहीं है। सामान्यतः रोगी के राशन कार्ड या फैमिली आईडी द्वारा यह जांच अस्पताल में उपस्थित आयुष्मान मित्र द्वारा कर ली जाती है। इसी क्रम में उन्होंने कहा की पीएमजेएवाई पोर्टल पर परिवार पहचान संख्या द्वारा रोगी या उसके परिवार द्वारा खुद भी जांचा जा सकता है कि वह इस योजना का लाभ पात्र है या नहीं।
पानीपत से बलजीत द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सरोज ने कहा कि 2011 के सर्वेक्षण के अनुसार जो परिवार पात्रता सूची में सूचीबद्ध हैं उन परिवारों के सदस्य इंपैनल्ड अस्पतालों में (चाहे सरकारी हो या प्राइवेट) जाकर आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं। एंपेनल्ड सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान मित्र भी सहायता के लिए उपलब्ध हैं। जो लोग अस्पताल ना जाना चाहे या सरकारी अस्पताल से दूर रहते हो वे अटल सेवा केंद्र या आशा वर्कर की सहायता लेकर भी आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं।
खुखराना से संदीप की शिकायत थी कि प्राइवेट अस्पताल द्वारा उनकी माताजी के फ्रैक्चर के लिए पैसे मांगे गए। डॉ. सरोज बाला ने कहा कि ध्यान रखें आयुष्मान योजना के अंतर्गत पात्रता प्राप्त रोगी व उसके परिवार को अस्पताल को कोई पैसा नहीं देना है। अस्पताल द्वारा ज्यादा खर्चे का हवाला देकर पैसे मांगना भी खर्चे के 5 लाख से ऊपर के ना होने पर गलत है। एक साथ दो ऑपरेशन या दो फ्रैक्चर आदि की दशा में भी मल्टीपल पैकेज की सुविधा भी इस योजना में उपलब्ध है। अस्पताल को सभी पैसे सरकार से ही प्राप्त होंगे । किसी भी दवाब में ना आएं और संबंधित नोडल अधिकारी से संपर्क कर शिकायत करें । अगर अस्पताल को पैसे दे भी दिए हैं तो भी संपर्क करें आपके पास भुगतान के दस्तावेज हैं तो अस्पताल को आपको यह पैसे वापस देने होंगे।
अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान के आयुष्मान पखवाड़े के दौरान अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की विभाग की रणनीति के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ सरोज ने बताया कि प्रचार हेतु विभिन्न स्थानों पर होर्डिंग आदि तो लगाए ही गए हैं इसके साथ – साथ 15 मार्च तक आयुष्मान वाहन चलाया गया था जो सभी गांवों में पहुंचा था। आयुष्मान वाहन ने जागरूकता तो फैलाई ही थी साथ ही साथ इस वाहन में आयुष्मान मित्र भी था जो कार्ड भी बनाता था। इन सबके अतिरिक्त आशा वर्कर ने घर-घर संपर्क किया और लोगों को उसी गांव के अटल सेवा केंद्र पर कार्ड बनवाने के लिए प्रेरित किया। यहां पर डॉक्टर सरोज ने स्पष्ट किया कि आयुष्मान पखवाड़े के दौरान अटल सेवा केंद्र पर आयुष्मण कार्ड निशुल्क बनाए जा रहे हैं जबकि पहले ₹30 प्रति कार्ड चार्ज लिया जाता था।
इंद्र सिंह द्वारा पीएम लैटर्स में नाम अलग होने के कारण आने वाली परेशानियों के सवाल के जवाब में डॉ. सरोज ने कहा कि 2018 में उन परिवारों को पीएम लैटर्स भेजे गए थे जो इस योजना के पात्र थे। पीएम लैटर व दस्तावेजों में नाम अलग होने पर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। परिवार के सभी सदस्यों के दस्तावेज राशन कार्ड, आधार कार्ड, परिवार पहचान आईडी आदि लेकर हमारे कार्यालय में संपर्क करें या अपने जिले के नोडल अधिकारी से संपर्क करें। नाम संबंधी सुधार सामान्यतः सभी दस्तावेजों की जांच के आधार पर बिना किसी दिक्कत के हो जाता है।
जाली आयुष्मान कार्ड के संदर्भ में डॉ. सरोज ने बताया कि करनाल जिले में अपेक्षाकृत कम मामले हैं और ऐसे दो अटल सेवा केंद्र संचालकों को सजा भी दी गई है।