करनाल, 11 अगस्त। किसान जब तक अपने कृषि उत्पादों का कारोबार करने वाला व्यापारी नहीं बनेगा, तब तक उसकी वास्तविक स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा। केंद्र सरकार ने देश में 10000 किसान उत्पादक कंपनियां बनाकर उन्हें किसानों की आर्थिक समुन्नति का माध्यम बनाने का निर्णय लिया है। एक लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष भी इस उद्देश्य से स्थापित किया गया है। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने आज बाग़वानी प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में प्रदेशभर से आए अग्रणी किसानों और किसान उत्पादक कंपनियों के प्रतिनिधियों से संवाद में यह टिप्पणी की।
डॉ. चौहान ने कहा कि सरकार की योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसका लाभ लेने के लिए आगे आने वाले लाभार्थी कितनी जिद और जुनून के साथ अपने सपनों को इस योजना के साथ जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा लगातार कार्यों की प्रगति की समीक्षा की जा रही है।काम के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि किसान उत्पादक कंपनियों के गठन और उनकी कामयाबी को लेकर प्रधानमंत्री स्वयं बहुत संजीदा हैं और वे काम की प्रगति का अपने स्तर पर लगातार फीडबैक ले रहे हैं।
नाबार्ड के सेवानिवृत्त अधिकारी सीएम धीमान ने इस अवसर पर एक पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से एग्री-इंफ़्रा फंड स्कीम की बारीकियों और पेचीदगियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागी किसानों के सवालों और समस्याओं को भी सुना।
किसानों की असल आर्थिक स्वतंत्रता का मार्ग एफपीओ: डॉ. चौहान
