ट्राईसिटी डॉक्टरों ने चेताया, बढ़ता वायु प्रदूषण सभी के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा जोखिम

Spread the love

चंडीगढ़, 5 अप्रैल। बढ़ते वायु प्रदूषण और पंजाब में लोगों पर इसके पड़ रहे गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों पर चिंता जताते हुए, सोमवार को चंडीगढ़ प्रैस कल्ब, सेक्टर 27 में आयोजित हेल्थ कन्वीनिंग (स्वास्थ्य सम्मेलन)के लिए ट्राइसिटी के प्रमुख अस्पतालों के सीनियर मेडिकल प्रेक्टिशनर्स एक साथ आए और इस संबंध में गहन विचार-विमर्श किया।
हेल्थ कन्वीनिंग 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस को ध्यान में रखते हुए आयोजित की गई थी, जिसका उद्देश्य मेडिकल प्रेक्टिशनर्स को वायु प्रदूषण के चलते उपचार पर बढ़ रहे खर्च और उसको कम करने की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक साझा प्लेटफॉर्म पर एक साथ लाना है। कन्वीनिंग का आयोजन क्लीन एयर पंजाब-स्वच्छ वायु के लिए लंग केयर फाउंडेशन और डॉक्टरों के साथ वायु प्रदूषण के मुद्दे पर काम करने वाले व्यक्तियों और संगठनों का एक समूह द्वारा किया गया था।
इनमें सीनियर्स डॉक्टर्स डॉ. जफर अहमद (सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी, स्लीप एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन, फोर्टिस हॉस्पिटल), डॉ.वनिता गुप्ता (प्रेसिडेंट, आईएमए, चंडीगढ़), प्रो.प्रीति अरुण (एमडी-साइकेट्री, ज्वाइंट डायरेक्टर, जीआरआईआईडी(ग्रिड), चंडीगढ़), डॉ.रीना जैन (एमडी-पेडियाट्रिक्स, क्लिनिक इंचार्ज, जीआरआईआईडी(ग्रिड), चंडीगढ़), डॉ. दिलजोत सिंह बेदी (कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल), डॉ.वसीम अहमद (पीएचडी. इंटलेक्चुअल डिसेबिलिटी-असिस्टेंट प्रोफेसर, जीआरआईआईडी (ग्रिड), चंडीगढ़) पैनल का हिस्सा थे। इस दौरान किए गए गहन विचार-विमर्श में आम लोगों में हवा की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा के प्रसार पर जोर दिया गया। इसके साथ ही स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के जोखिमों को कम करने के लिए मजबूत एवं निरंतर उपाय करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया।
डॉ. अरविंद कुमार, चेस्ट सर्जन, फाउंडर और मैनेजिंग ट्रस्टी, लंग केयर फाउंडेशन और डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर ने कहा कि ‘‘वायु प्रदूषण हमारे पूरे देश को प्रभावित करने वाला एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है। दुनिया के 30 प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में होने के कारण आम लोगों के स्वास्थ्य को जोखिम काफी बढ़ गयाहै। विभिन्न भारतीय और ग्लोबल रिपोर्ट्स में भारत में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की संख्या लाखों में बताई गई है। हालांकि, यह आंकड़ा उन लाखों लोगों को कवर नहीं करता है जो गंभीर श्वसन समस्याओं, हृदय की समस्याओं और अन्य बीमारियों के साथ जी रहे हैं, जो वायु प्रदूषण के सीधे संपर्क में हैं। प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर अपनी पास आ रहे मरीजों में वायु प्रदूषण के बढ़ते प्रभावों को भी देख रहे हैं। इसलिए इस समस्या को लेकर मेडिकल प्रोफेशनल्स को आगे आना और वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने में एक सक्रिय भूमिका निभाना जरूरी हो गया है और ये समय की भी मांग है। हमें अपने रोगियों और आम लोगों को शिक्षित करने के लिए, स्थानीय स्तर पर अधिकारियों और संगठनों के साथ मिलकर सामुदायिक स्तर पर उपायों की पहचान करने का काम सबसे पहले करना होगा। उसके बाद वायु प्रदूषण के स्रोत और उनमें कमी लाने के लिए प्रशासन के साथ मिल कर प्रयास करना होगा।’’
प्रो.प्रीति अरुण ने कहा कि ‘‘इस तरह की कई साइंटफिक रिसर्च रिपोट्र्स हैं, जो दर्शाती हैं कि पर्यावरण प्रदूषण मानव शरीर संरचनाओं को इस तरह से प्रभावित करता है कि उनमें अवसाद और चिंता जैसे सामान्य मानसिक विकारों का प्रसार बढ़ता जा रहा है। अगर प्रदूषण का वर्तमान स्तर बना रहता है तो आम लोगों में इस प्रकार की परिस्थितियां और भी बढ़ सकती हैं। यहां तक कि प्रदूषण के संपर्क में अधिक समय तक रहने वाले लोगों में कॉगनिटिव फंक्शंस और मनोविकार जैसे गंभीर प्रभाव को काफी व्यापक देखा जा रहा है। बच्चों में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर के लगातार बढ़ते मामलों में मुख्य कारण उनका प्रदूषण के बड़े कणों और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में रहना देखा जा रहा है।’’
डॉ. जफर अहमद (सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी, स्लीप एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन, फोर्टिस हॉस्पिटल) ने कहा कि ‘‘प्रति वर्ष 4.2 मिलियन से अधिक मौतों के साथ, आसपास के माहौल में वायु प्रदूषण दुनिया में कार्डियोपल्मोनरी मौतों का नौवां प्रमुख कारण बना हुआ है। भारत में, इनडोर वायु प्रदूषण भी 2 मिलियन से अधिक मौतों का कारण बनता है, जिनमें से निमोनिया के कारण 44 प्रतिशत, सीओपीडी के कारण 54 प्रतिशत और फेफड़ों के कैंसर के कारण 2 प्रतिशत मौतें होती हैं। बच्चे, किशोर, महिलाएं और बुजुर्ग सांस के विभिन्न रांगों का शिकार और सबसे अधिक मृत्यु वाले सबसे कमजोर समूह हैं।’’
डॉ. वनिता गुप्ता, प्रेसिडेंट, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, चंडीगढ़ ने कहा कि ऑक्सीडेटिव तनाव के प्रभाव के चलते वायु प्रदूषक तत्व त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। हालांकि मानव त्वचा प्रो-ऑक्सीडेटिव रसायनों और भौतिक वायु प्रदूषकों के खिलाफ एक जैविक ढाल के रूप में कार्य करती है, लेकिन इन प्रदूषकों के उच्च स्तर पर लंबे समय तक बने रहना या बार-बार उनके संपर्क में आने से त्वचा पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन भी स्पष्ट तौर पर त्वचा के तेजी से ढ़लने और स्किन कैंसर के मामलों के साथ सीधा संबंध रखता है।’’
डॉ. दिलजोत सिंह बेदी, कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स और नियोनेटोलॉजी ने कहा कि ‘‘दुनिया के 15 प्रतिशत (1.8 बिलियन बच्चे) से कम उम्र के लगभग 93 प्रतिशत बच्चे हर दिन इतनी प्रदूषित सांस लेते हैं जो उनके स्वास्थ्य और ग्रोथ को गंभीर खतरे में डालती है। दुखद रूप से, उनमें से कई मर जाते हैं: डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि 2016 में, प्रदूषित हवा के कारण होने वाले सांस संबंधित संक्रमणों से 6 लाख बच्चों की मृत्यु हो गई। ये बच्चे हमारे गलत कामों के निर्दोष शिकार हैं।’’
डॉ. रीना जैन, एमडी, पेडियाट्रिक्स ने कहा कि ‘‘पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाली 10 मौतों में करीब 1 का कारण वायु प्रदूषण है। यह बच्चों को क्रोनिक लंग और हृदय रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस के जोखिम के प्रति संवेदनशील बनाता है और अस्पताल में भर्ती होने और आईसीयू में जाने की संभावना को बढ़ाता है।’’
डॉ. वसीम अहमद (पीएचडी इंटलेक्चुअल डिसेबिलिटी) ने कहा कि ‘‘जबकि करीब करीब सभी बच्चे वायु प्रदूषण की चपेट में हैं, ऐसे में बौद्धिक और विकासात्मक अक्षमता (सीडब्ल्यूआईडीडी) से पीडि़त बच्चों को इससे सबसे अधिक खतरा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि हर साल 2.4 मिलियन लोग स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव के कारण मरते हैं।’’
पैनल के डॉक्टरों ने कहा कि इस कन्वीनिंग ने उन्हें देश भर में अन्य डॉक्टरों से समर्थन के लिए आहवान करने के लिए एक मंच प्रदान किया, जो पूरे भारत में रीजनल डॉक्टरों के नेटवर्क को मजबूत करने में मदद करेगा क्योंकि भारत का हर शहर वायु प्रदूषण से प्रभावित है।
ग्रीनपीस की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2020 में ही वायू प्रदूषण और इससे संबंधित समस्याओं के कारण 120,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई। ये एक स्थापित सत्य है कि बढ़ता वायु प्रदूषण पूरे देश में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का कारण बन रहा है, जो न केवल हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, बल्कि हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन को भी प्रभावित कर रहा है।
प्रेस क्लब में आयोजित इस कन्वीनिंग के दौरान कोविड 19 प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *