चण्डीगढ़, 5 अप्रैल। पूरे देश में सबसे सस्ती व 24 घंटे निर्विघ्न बिजली देने तथा मुनाफे में चल रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ 7 अप्रैल को बिजली दफ्तर सैक्टर 17 में दिये जा रहे विशाल धरने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस धरने व रोष मार्च में चण्डीगढ़ के अलग अलग विभागों के कर्मचारी, शहर के सैक्टरों की वैल्फेयर ऐसोसिएशन, पेंडू संघर्ष कमेटी तथा केन्द्रीय ट्रेड यूनियने भी शामिल होंगी। इस संबध में आज बिजली के सभी दफ्तरों में गेट मीटिंग कर धरने की तैयारी पूरी कर ली गई तथा चण्डीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार, गृह सचिव, मुख्य अभियन्ता व अधीक्षक अभियन्ता को 20 अप्रैल की मुकम्मल हड़ताल के संबंध में नोटिस भी जारी कर दिया है।
अलग अलग दफ्तरों में की गई गेट मीटिंगों को यूनियन तथा फैड़रेषन के महासचिव गोपाल दत्त जोषी, प्रधान ध्यान सिंह, अमरीक सिंह, सुखविन्द्र सिंह, गुरमीत सिंह, नरेन्द्र कुमार, हरजिन्द्र सिंह, कष्मीर सिंह, रणजीत सिंह, पान सिंह, राजिन्द्र कुमार, दर्षन सिंह आदि यूनियन के पदाधिकारियों ने संबोधित करते हुए मुनाफे में चल रहे बिजली विभाग का निजीकरण करने के लिए चण्डीगढ़ प्रषासन तथा केन्द्र सरकार की कड़ी निन्दा की तथा चण्डीगढ़ की आम जनता को प्रषासन की नीति का कड़ा विरोध करने की अपील करते हुए कहा कि बिजली विभाग में सामान का प्रबन्ध न करने तथा 1780 संषोधित पोस्टों में से सिर्फ 1000 से कम कर्मचारियों के बावजूद उपभोक्ताओं को सस्ती तथा निर्विघ्न बिजली सप्लाई दी जा रही है। चण्डीगढ़ की जनता को बिजली की दरों में पिछले पांच साल से कोई बढ़ोतरी न करने तथा इस साल बिजली की दरें घटाने की बात को गंभीरता से सोचना चाहिए जो बिजली कर्मचारियों की कर्मठता तथा कड़ी मेहनत का नतीजा है। इसलिए आम जनता को निजकरण के खिलाफ हल्ला बोलना समय की ऐतिहासिक जरूरत है।
चण्डीगढ़ प्रशासन द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाकर निजीकरण के लिये नियुक्त नोडल अधिकारी की अनुपस्थिति में बिड़ खोलने से कई शंकाऐं पैदा होती है जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है। वक्ताओं ने कहा कि देष के प्रमुख संगठनों तथा औद्योगिक क्षेत्र के संगठनों के ऐतराज के बावजूद प्रषासन ने गैर कानूनी तौर पर बिड को खो दिया गया जिसे तुरंत रद्द करने की जरूरत है।
वक्ताओं ने प्रशासन की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि अभी कंपनी बनी भी नहीं है लेकिन उसको 100 प्रतिषत बेचने के लिए बिड़िग खोली गई है जबकि इस सारी प्रक्रिया को करने से पहले कर्मचारियों तथा उपभोक्ताओं से सुझाव व ऐतराज लेने चाहिए थे तथा ट्रांसफर पॉलिसी की अधिसूचना जारी करनी चाहिए थी तथा स्टेट ट्रांसमिषन यूनिट व स्टेट लोड़ डिस्पेच सैंटर का गठन करना चाहिए था। जिसकी प्रक्रिया अभी शुरू ही नहीं हुई है लेकिन बीडिंग खोल दी गई जो सरासर धोखा तथा एकतरफा फैसला हैं जिसमें गैर जरूरी जल्दबाजी की गई है। यूनियन द्वारा बार बार अपील करने तथा ज्ञापन देने के बावजूद कर्मचारियों के हितों को भी सुरक्षित रखने के लिए प्रषासन चर्चा करने को भी तैयार नहीं है।
वक्ताओं ने सरकार की निजीकरण की नीति पर करारा हमला करते हुए केन्द्र सरकार की तीखी निन्दा करते हुए आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार अपने वायदे से मुकर गई है। केन्द्र सरकार बार बार सिर्फ घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण की बात कर रही है तथा सरकारी या निजी कंपनी की मनोपली खत्म कर कई कंपनीयों को लाईसैंस देकर कंपीटीषन की बात कर रही है लेकिन चण्डीगढ़ में बिजली विभाग को मुनाफे में चलने के बावजूद निजी कंपनीयों को बेचा जा रहा है। उन्होंने सरकार की करनी व कथनी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर बिजली विभाग का 100 प्रतिषत शेयर निजी मालिको को बेच दिया जाएगा तो कंपीटिषन की बात कहा रह जाती है। वक्ताओं ने बिडिंग प्रोसैस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक बार आरएफपी बेचने के बाद अंतिम दिनांक से कम से कम 45 दिन पहले आरएफपी में बदलाव किया जा सकता है लेकिन प्रषासन बिडिंग के लिए छः कंपनियों के आवेदन के बाद आरएफपी में बदलाव किया तथा 10 दिन के अंदर ही नयी कंपनीयों को उसमें शामिल कर लिया नियमों को ताक में रख कर किया गया यह फैसला कर्मचारियों तथा जनता के खिलाफ धोखा है।
यूनियन के प्रतिनिधियों ने आगे कहा कि विभाग को वैस्ट यूटिलिटी का अवार्ड भी लगातार मिल रहा है बिजली की दर भी पडौसी राज्यों व केन्द्रषासित प्रदेषों से कम है। ट्रांसमिषन व डिस्ट्रीब्यूषन (टी एण्ड डी) लास भी बिजली मंत्रालय के तय मानक 15 प्रतिषत से काफी कम है। पिछले 5 साल से विभाग लगातार 150 करोड से 250 करोड़ तक मुनाफा कमा रहा है। विभाग का वार्षिक टर्न ओवर 1000 करोड़ के करीब है जिस हिसाब से कम से कम कीमत 15000 करोड़ से अधिक बनती है लेकिन ताजुब्ब की बात है कि बोली सिर्फ 174 करोड की लगाई जा रही है। जमीन व इमारतों का किराया सिर्फ एक रूपया प्रति महिना , 157 करोड़ रूप्या जनता का जमा एसीडी निजी मालिकों को देने का फैसला, 300 करोड़ से अधिक कर्मचारियों का फण्ड निजी ट्रस्ट के हवाले करने की बात की जा रही है जिसे किसी भी हालत में बर्दास्त नहीं किया जा सकता।
वक्ताओं ने चण्डीगढ़ के सभी विभागों की ट्रेड यूनियनों तथा उपभोक्ताओं के विभिन्न संगठनों से 7 अप्रैल को दिये जा रहे विषाल धरने तथा 20 अप्रैल को की जा रही हड़ताल को समर्थन तथा सहयोग देने की अपील की है तथा सभी कर्मचारियों से इन संघर्षो में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने का आह्वान किया।