नई दिल्ली, 05 अप्रैल। इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरेपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी), रेल मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। 27 सितंबर 1999 को भारतीय रेलवे के विस्तारित अंग के रूप में आईआरसीटीसी को शामिल किया गया, ताकि खानपान को उन्नत किया जा सके। रेल यात्रियों को उच्च कोटि की सेवा बहाल करने एवं व्यावसायिक रूप देने के लिए और स्टेशनों, ट्रेनों और अन्य स्थानों पर आतिथ्य सेवाओं और बजट होटल, विशेष टूर पैकेज, सूचना और व्यवसायिक प्रचार और व्यापक आरक्षण प्रणालियों के विकास के माध्यम से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने में आईआरसीटीसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
रेल नीर, रेल यात्रियों के लिए यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के लिए एक ब्रैंडेड पैकेज्ड पेयजल है। जो इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) का एक ‘उत्कृष्ट’ उत्पाद है।
रेल नीर को मशीनी प्रक्रिया द्वारा शुद्ध किया जाता है और अत्याधुनिक संयंत्रों में तैयार करके पैक किया जाता है। पूरी तरह से स्वचालित संयंत्र के इस उत्पाद की किसी भी स्तर पर कोई मैनुअल हैंडलिंग नहीं है। आईआरसीटीसी से तात्पर्य उस गुणवत्ता से है जो यात्रियों को किसी भी रेलवे परिसर में रेलनीर पेयजल के
साथ-साथ उच्चतम गुणवत्ता की सेवा और उत्पाद सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद केवल तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब उत्पादन आईआरसीटीसी के पूर्ण नियंत्रण और पर्यवेक्षण में इन-हाउस स्तर पर किया गया हो और यही वजह है रेल नीर को देश के अन्य प्रतिष्ठित पैकेज्ड पेयजल ब्रांडों में शीर्ष पर है।
वर्तमान में, आईआरसीटीसी के पास नांगलोई, दानापुर, पालूर, अंबरनाथ, अमेठी, पारसला, बिलासपुर, सानंद, हापुड़, मंडीदीप, नागपुर, जागीरोड, संकराइल और मनेरी में स्थित 14 रेल नीर संयंत्र हैं, जिनमें से अमेठी, पारसला, सानंद, हापुड़, मंडीदीप, नागपुर, जागीरोड, संकराइल और मनेरी में पीपीपी मोड के अन्तर्गत बनाए गए हैं। आईआरसीटीसी संयंत्र के निर्माण हेतु आर्थिक मदद भी मुहैया कराती है। इस समर्थन के साथ पीपीपी मॉडल के अन्तर्गत छह और संयंत्र लगाए जा रहे हैं। 14 रेल नीर संयंत्रों की कुल क्षमता 14,08,000 लीटर प्रति दिन है जो संभवतः वित्त वर्ष 2021-22 में 06 रेलनीर संयंत्र को स्थापित करने के बाद 18,40,000 बोतल प्रति दिन तक बढ़ जाएगी। कोटा, विजयवाडा, भुसावल, विशाखापटन्म, भुवनेश्वर और ऊना में 06 नए रेलनीर प्लांटों की स्थापना के साथ कुल रेल नीर प्लांटों की संख्या 20 जाएगी।
रेल नीर का कुल उत्पादन 2020-21 (फरवरी माह तक) मात्र 06.10 करोड़ बोतल का हुआ जो सम्पूर्ण भारत में रेल नीर संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता का मात्र 17.21: ही था। वर्ष 2019-20 में उत्पादन 27.5 करोड़ बोतल प्रतिवर्ष की थी जो सारे प्लांट के कुल उत्पादन क्षमता का मात्र 79: ही था।
रेल नीर से वर्ष 2020-21 में कुल आय लगभग 50 करोड़ हुई जबकि वर्ष 2019-20 में यह आय 238 करोड़ हुई थी। वर्ष 2020-21 में कम उत्पादन क्षमता, क्षमता की पूर्ण उत्पादकता को प्राप्त करना, रेल नीर की राजस्व में कमी इत्यादि, का मुख्य कारण कोविड-19 महामारी रहा । स्थिति सामान्य होते ही रेल यात्रियों द्वारा रेल नीर की मांग को देखते हुए जोरदार वापसी भी हुई है। रेल नीर की डिमांड को देखते हुए ये 20 प्लांट भारतीय रेल यात्रियों की मांग को पूरा करने में आंशिक रूप से सक्षम है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कुछ स्टेशनों एवं रेल गाड़ियों में इसकी पूर्ति करने हेतु उन्हें मैन्डेटरी किया गया है। इसमें खासकर के बड़े रेलवे स्टेशनों एवं जंक्शन रेलवे स्टेशनों के साथ राजधानी,शताब्दी, दुरोंतो, वन्दे भारत,गतिमान जैसी ट्रंेनो को भी रखने की कोशिश की जाती रही है।
निर्माण प्रक्रिया, निर्माण कार्यविधि
बोरवेल से निकाला गया पानी एक भूमिगत जलाशय में संग्रिहत किया जाता है और इसे अत्याधुनिक जल उपचार संयंत्र में पंप किया जाता है। संयंत्र प्रौद्योगिकी ठप्ै स्टैण्डर्ड (प्ै14543) के अनुरूप बताए मानक के हिसाब से आठ चरणों में शुद्धि प्रक्रियाओं को उपयोग में लाकर तैयार किया जाता है।
स्वचालित बोतल ब्लोइंग मशीनः
रेल नीर की बोतलें उच्च ग्रेड च्म्ज् रेजीन प्रीफॉर्म के साथ संयंत्र में स्वचालित ब्लोइंग मशीन के द्वारा निर्मित होती हैं। प्रीफॉर्म केवल विशेष मशीनों द्वारा ही तैयार किया जा सकता है।
आईआरसीटीसी की हमेशा से यही कोशिश रही है कि देश भर में रेल यात्रियों को शुद्ध, ठंडा और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाए, इसी दिशा में रेल मंत्रालय द्वारा पहल करते हुए आईआरसीटीसी में 1926 वाटर वेंडिंग मशीन लगाई। मशीनों को ए -1, ए, बी और सी श्रेणी के स्टेशनों पर लगाया जा चुका है। अब तक, लगभग ए-1 श्रेणी के रेलवे स्टेशनों 583 वाटर वेडिंग मशीनों को 60: तक लगाया जा चुका है।
‘‘जल ही जीवन है जल का संरक्षण करें, स्वच्छ वातावरण के निर्माण में सहभागी बने।’’