चंडीगढ़, 23 मार्च। चंडीगढ़ में रहने वाले अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ी जाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्रों को लेने में आ रही काफी दिक्कतों को सरलीकरण करने हेतु भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद के नेतृत्व में पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने चंडीगढ़ प्रशासन के उपयुक्त मनदीप सिंह बराड से भेंटवार्ता की और उन्हें ज्ञापन भेंट किया। प्रतिनिधिमंडल में अन्य पिछड़ी जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नाथी राम मेहरा, महामंत्री ओम प्रकाश मेहरा और राजिन्द्र बग्गा, अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार, महामंत्री भरत कुमार, शामिल थे।
गौरतलब है कि उपरोक्त दोनों जाति प्रमाण पत्रों को हासिल करने में लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है और इन लोगों की ये कई वर्षों से समस्या है जिसका हल अभी तक नहीं हुआ है। प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को अन्य पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्र को बनवाने में आने वाली परेशानियों को बताते हुए कहा कि चंडीगढ़ में लगभग 60 प्रकार की जातियां इस वर्ग में आती हैं। वर्तमान में चंडीगढ़ में इस श्रेणी के लोगों को प्रमाण पत्र प्राप्त करना जैसे एक युद्ध को जीतने के समान हो। लोगों को एक तो दौ राजपत्रित अधिकारियों से हस्ताक्षर करवाने होते हैं और साथ ही जिन अधिकारियों ने उस पर हस्ताक्षर किये हो, उनका पहचान पत्र भी साथ लगाना पडता है | उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ प्रशासन के नियमों के अनुसार अधिकतर तो राजपत्रित अधिकारी न तो लोगों के जानकार होते हैं और दूसरा कोई भी अपना पहचान पत्र देने में हिचकाता है | इस से अधिकतर लोग प्रमाण पत्र हासिल कर पाने में असहाय महसूस करते हैं | उन्होंने उपयुक्त से आग्रह किया कि चंडीगढ़ में रहने वाले इन लोगों को प्रमाण पत्र आसानी से उपलब्ध हो सके इसके लिए नियमों में परिवर्तन करना जरूरी हो गया है | चंडीगढ़ के आसपास के प्रदेशों की तर्ज पर नियमों में परिवर्तन कर इस जाति प्रमाण पत्र के आवेदन को सत्यापित करने का अधिकार वार्ड के पार्षद को देना चाहिए | उनके सत्यापन के उपरान्त चंडीगढ़ प्रशासन जाति प्रमाण पत्र को जारी करे |
आये हुए प्रतिनिधिमंडल की इस मांग को लेकर उपयुक्त मनदीप सिंह बराड ने सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (सेंट्रल) हरजीत सिंह संधू को बुधवार तक इस समस्या को हल करने से जुड़े पहलुओं को बारीकी से चेक करने के लिए कहा और आश्वासन दिया कि आने वाले दिनों में जल्द ही इस परेशानी का समाधान किया जायेगा।
उधर अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को हासिल करने को लेकर आ रही परेशानियों के बारे में प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को बताया कि इस श्रेणी के लोगों को प्रमाण पत्र लेने के लिए वर्ष 1966 का रिहायशी प्रमाण पत्र संलग्न करना होता है। इस विषय पर प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद ने उपायुक्त को बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन के पास खुद का रिकॉर्ड भी वर्ष 1966 का नहीं है, ऐसे में आवेदन करने वाला व्यक्ति कहाँ से रिहायशी प्रमाण पत्र संलग्न करेगा। उन्होंने मध्यप्रदेश की सरकार के नियम का हवाला देते हुआ कहा कि वहां पर यदि कोई व्यक्ति कम से कम 5 वर्षों का अपना वोटर कार्ड और आधार कार्ड संलग्न करता है तो उसका जाति प्रमाण पत्र जारी हो जाता है। क्यों न चंडीगढ़ में भी मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रमाण पत्र जारी करने हेतु चंडीगढ़ के नियमों में संशोधन किया जाए और साथ ही जो व्यक्ति प्रमाण पत्र का आवेदन कर रहा हो उसी के दस्तावेजों को लिया जाये न की उनके बुजुर्गों का। इस संशोधन से चंडीगढ़ में अनुसूचित जाति के लोगों को भी आसानी से प्रमाण पत्र प्राप्त हो सके।
प्रतिनिधिमंडल ने उपयुक्त को अवगत कराया कि जिन लोगों का वर्ष 1966 के आधार पर किसी अन्य राज्य में अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी हुआ है उसके सत्यापन के लिए भी वर्तमान में जिस व्यक्ति ने आवेदन करना होता है उसको स्वयं ही सत्यापन करवाने के लिए उस राज्य के चक्कर लगाने पड़ते हैं | इस नियम को भी सरल बनाने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि नियमों में परिवर्तन कर क्यों न चंडीगढ़ में उस क्षेत्र के सब डिविज़नल मजिस्ट्रेट के माध्यम से ईमेल, पत्राचार और टेलीफोन के द्वारा उसका विभाग द्वारा ही सत्यापन करवाया जाये और यदि एक माह तक कोई जवाब नहीं आता तो उस प्रमाण पत्र को सत्य मान लिया जाये और आवेदक को बिना किसी परेशानी के जारी कर दिया जाये।
उपरोक्त सभी मांगों को सुनने के उपरान्त उपयुक्त ने आये हुए प्रतिनिधिमंडल का आभार व्यक्त किया और कहा कि सभी समस्याओं को लेकर गहन अध्यन कराया जायेगा और कुछ ही दिनों में इसकी रिपोर्ट तैयार करवा कर जरूरत अनुसार इनको हल करवाया जायेगा।