चण्डीगढ़, 18 मार्च। यूटी पावरमैन यूनियन चण्डीगढ़ के आह्वान पर निजीकरण के खिलाफ चण्डीगढ़ के बिजली कर्मियों ने वीरवार को काम छोड़कर बिजली दफ्तर न्यू पावर हाऊस, औद्योगिक क्षेत्र, फेज-1 के सामने विशाल धरना व प्रर्दषन किया। धरने में सीटू, ऐटक व अन्य केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के इलावा यूटी व एमसी के सभी कर्मचारी फैड़रेषनों का संयुक्त मोर्चा, पैन्षर्नस ऐसोसिेऐषन, पेडूं संघर्ष कमेटी तथा सैक्टर वैल्फेयर ऐसोसिऐषन ने हिस्सा लिया तथा निजीकरण के खिलाफ सीधी व संयुक्त कार्यवाही करने का संकल्प लिया तथा एक सुर से व ध्वनिमत से सरकार के खिलाफ सड़को पर उतरने का ऐलान किया।
धरने को सम्बोधित करते हुए यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोषी, अमरीक सिंह सुखविन्द्र सिंह ने बिजली अमैन्डमैंट बिल 2021 को रद्द करने, निजीकरण के दस्तावेज स्टैन्डर्ड बिडिंग डाकूमैंट को निरस्त करने व विषेष रूप से सुचारू रूप से चल रहे तथा मुनाफा कमा रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण रद्द कर गैर जरूरी व शंका से घिरा बिडिंग प्रोसेस खत्म करने की मांग की। उन्होंने केन्द्र सरकार तथा चण्डीगढ़ प्रषासन की तीखी निन्दा करते हुए कहा कि आखिर चण्डीगढ़ प्रषासन सोने की चिडिया (मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग) को थाली में रखकर मुनाफाखोरों को बेचने केलिए इतना आतुर क्यों है तथा किसके हितों की पूर्ति करने को बेचैन है? जनता तथा कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात क्यों किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अन्तरिम रोक के बाद तो चण्डीगढ़ प्रषासन इतनी हड़बडी में है कि उसे सही व गलत का भी आभास नहीं हो रहा है। जिसमें कई नियमों व प्रक्रियाओं को नजर अंदाज किया है। आखिर इतनी जल्दबाजी की वजह क्या है। प्रषासन की जल्दबाजी अपने आप में कई अहम सवाल खडे करती है जिसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए। उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय के अन्तिम फैसले का इन्तजार करने पर जोर देते हुए प्रषासन पर आरोप लगाया कि इस सारी कार्यवाही में जनता तथा कर्मचारियों के हितों की तिलांजली दी जा रही है। कर्मचारियों की सेवाषर्तो पर सरकार ने अभी तक कोई नीति नहीं बनाई है न ही यूनियन के मांग पत्रों को अहमियत दी जा रही है। प्रशासन कम्पनियों से तो लगातार बातचीत व मीटिंगे कर रही है लेकिन मुख्य स्टेक होल्डरों से कोई बातचीत नहीं करना चाहती जिनके हित दांव पर लगाये जा रहे हैं।
पान सिंह, कषमीर सिंह, गुरमीत सिंह, रणजीत सिंह, ने कहा कि विभाग ने पिछले 5 सालों से बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं की है। 24 घंटे निर्विघ्न बिजली दी जा रही है। विभाग को वैस्ट यूटिलिटी का अवार्ड भी लगातार मिल रहा है बिजली की दर भी पडौसी राज्यों व केन्द्रषासित प्रदेषों से कम है। ट्रांसमिषन व डिस्ट्रीब्यूषन (टी एण्ड डी) लास भी बिजली मंत्रालय के तय मानक 15 प्रतिषत से काफी कम है। पिछले 5 साल से विभाग लगातार 150 करोड से 250 करोड़ तक मुनाफा कमा रहा है। विभाग का वार्षिक टर्न ओवर 1000 करोड़ के करीब है जिस हिसाब से कम से कम कीमत 15000 करोड़ से अधिक बनती है लेकिन ताजुब्ब की बात है कि बोली सिर्फ 174 करोड की लगाई जा रही है। जमीन व इमारतों का किराया सिर्फ एक रूपया प्रति महिना , 157 करोड़ रूप्या जनता का जमा एसीडी निजी मालिकों को देने का फैसला, 300 करोड़ से अधिक कर्मचारियों का फण्ड निजी ट्रस्ट के हवाले करने की बात की जा रही है जिसे किसी भी हालत में बर्दास्त नहीं किया जा सकता।
फैड़रेषन ऑफ यूटी इम्पलाईज एण्ड वर्करस चण्डीगढ़ के प्रधान रघवीर चन्द, वाटर सप्लाई के नेता राजिन्द्र कटोच, हॉर्टीकल्चर के प्रधान हरकेष चन्द, एम सी मनीमाजरा के नेता नसीब सिंह व हरपाल सिंह ने सरकार की निजीकरण की नीति पर करारा हमला करते हुए केन्द्र सरकार की तीखी निन्दा करते हुए आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार अपने वायदे से मुकर गई है। केन्द्र सरकार बार बार सिर्फ घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण की बात कर रही है तथा इसीलिए सरकारी या निजी कंपनी की मनोपली खत्म कर कई कंपनीयों को लाईसैंस देकर कंपीटीषन की बात कर रही है लेकिन चण्डीगढ़ में बिजली विभाग को मुनाफे में चलने के बावजूद निजी कंपनीयों को बेचा जा रहा है। उन्होंने सरकार की करनी व कथनी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर बिजली विभाग का 100 प्रतिषत शेयर निजी मालिको को बेच दिया जाएगा तो कंपीटिषन की बात कहा रह जाती है। वक्ताओं ने बिडिंग प्रोसैस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक बार आरएफपी बेचने के बाद अंतिम दिनांक से कम से कम 45 दिन पहले आरएफपी में बदलाव किया जा सकता है लेकिन प्रषासन बिडिंग के लिए छः कंपनियों के आवेदन के बाद आरएफपी में बदलाव कर रहा है जो गैर कानूनी है। इसलिए प्रषासन को तुरंत बिडिंग सिस्टम रद्द करना चाहिए।
धरने को यूटी पावरमैन यूनियन के पूर्व प्रधान उजागर सिंह मोही, पैंर्नस एसोसिऐशन के सचिव मनमोहन सिंह, सीटू पंजाब के महासचिव कामरेड चन्द्रषेखर, चण्डीगढ़ के प्रधान कुलदीप सिंह तथा ऐटक के प्रधान राज कुमार, संयुक्त कर्मचारी मंच के नेता अषोक कुमार, विपिन शेर सिंह, पेंडू संघर्ष कमेटी के प्रधान दलजीत सिंह, सचिव अमरीक सिंह, शरणजीत सिंह, गुरदयाल सिंह आदि ने चण्डीगढ़ प्रषासन को चेतावनी दी की अगर प्रषासन ने निजीकरण का फैसला रद्द नहीं किया तो चण्डीगढ़ के समूह कर्मचारी, शहर तथा ग्रामीण संगठन व समस्त ट्रेड यूनियन सड़को पर आएगी।
यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह ने आये हुए भ्राती संगठनों व कर्मचारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रषासन एक तरफ तो यूनिफार्म पॉलिसी की बात कर रहा है लेकिन उसके उल्ट चण्डीगढ़ बिजली विभाग के 100 प्रतिषत शेयर बेचने की बात की जा रही है जिसके लिए अपने तौर पर गैर कानूनी फैसला लिया जा रहा है जबकि अन्य केन्द्रषासित प्रदेषों का केस गृह मंत्रालय से संषोधन कराने की बात की जा रही है। वक्ताओं ने चण्डीगढ़ के उपभोक्ताओं को बिजली कर्मचारियों के संघर्ष को समर्थन की अपील की है क्योंकि विभाग निर्विघ्न सप्लाई देने के बाद भी सस्ती बिजली उपलब्ध करवा रहा है तथा पिछले पांच साल से बिजली की दरों में कोई भी बढ़ौतरी नहीं की गई है। उन्होंने प्रषासन को चेतावनी दी की शीघ्र ही गैर कानूनी तौर पर चलाया जा रहा बिंिडंग प्रोसेस रद्द नहीं किया तो यूनियन बीड खुलने की तारीख को कामकाज ठप्प कर लड़ीवार संघर्ष शुरू कर देगी। यह जानकारी जारी एक विज्ञप्ति में यूनियन के गोपाल दत्त जोशी ने दी।