नाबार्ड, पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय ने राज्य क्रेडिट सेमिनार 2022-23 का किया आयोजन

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चंडीगढ़, 9 मार्च। नाबार्ड, पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय, चंडीगढ़ ने बुधवार 09 मार्च, 2022 को राज्य क्रेडिट सेमिनार 2022-23 का आयोजन किया। केएपी सिन्हा, आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त), पंजाब सरकार मुख्य अतिथि थे। एमके मल्ल, क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय रिजर्व बैंक; जसप्रीत तलवार, आईएएस, प्रधान सचिव, जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग; गरिमा सिंह, वित्त सचिव और एसएलबीसी-संयोजक सुमंत मोहंती अन्य विशिष्ट अतिथि संगोष्ठी में शामिल हुए। बैठक में वरिष्ठ बैंकरों, सरकारी विभागों, केवीके, गैर-सरकारी संगठनों, एफपीओ और एसएचजी आदि के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
केएपी सिन्हा ने अपने मुख्य भाषण में कृषि के सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए पंजाब सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला तथा वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए किए जाने वाले प्रस्तावित व्यय का 10.9% और ग्रामीण विकास क्षेत्र के लिए 2.2% का आवंटन इंगित किया। सिन्हा ने इस तथ्य पर ध्यान दिलाया कि पिछले कुछ वर्षों में पंजाब सरकार का पूंजीगत व्यय 2200 करोड़ रुपये से बढ़कर 8000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। राज्य सरकार के ठोस प्रयासों से बिना किसी वित्तीय बाधा के परियोजनाओं का सफल कार्यान्वयन किया गया। उन्होने ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में पूंजी निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान के लिए नाबार्ड की सराहना की।
विकास के मोर्चे पर सिन्हा ने इस बात पर जोर दिया कि प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के ऋण के लिए बैंकरों द्वारा ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उन्होने प्रगतिशील किसानों, स्वं सहायता समूहों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और पंजाब सरकार से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। संगोष्ठी में पंजाब में कृषि क्षेत्र की गतिविधियों के लिए यूनिट लागत पुस्तिका का भी अनावरण किया गया। सिन्हा ने इस बात पर जोर दिया कि बैंकों को इसका उपयोग बैंक योग्य परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए करना चाहिए।
डॉ राजीव सिवाच, सीजीएम नाबार्ड, पंजाब ने सदन को सूचित किया कि प्राथमिकता क्षेत्र के तहत, नाबार्ड ने राज्य के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 2.61 लाख करोड़ रुपये की ऋण क्षमता का अनुमान लगाया है। डॉ. सिवाच ने सदन को सूचित किया कि कृषि ने महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को आवश्यक आधार प्रदान किया है। उन्होने अबोहर में सब्जियों के माध्यम से विविधीकरण, पीएयू के साथ “तर-वतर” प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए चावल की सीधी बिजाई पर परियोजना, सीएसएसआरआई, करनाल के साथ क्षारीय मृदा का पुनर्जीवन और एनएएफसीसी के तहत जलवायु अनुकूल पशुधन उत्पादन आदि के लिए नाबार्ड के हस्तक्षेपों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सदन को यह भी सूचित किया कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान आरआईडीएफ के तहत 700 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 300 करोड़ रुपये से अधिक हैं, जो 2021-22 में पंजाब सरकार द्वारा 14,000 करोड़ रुपये से अधिक के बढ़े हुए नियोजित पूंजीगत व्यय के साथ प्रतिध्वनित है। इससे कृषि प्रसंस्करण, मूल्य-श्रृंखला विकास और कटाई के बाद के प्रबंधन अवसंरचना के तहत पर्याप्त संभावनाओं के साथ जमीनी स्तर पर एक बहुत आवश्यक पूंजी अवशोषण क्षमता का सृजन हुआ है। उन्होने इसके लिए पीएम-एफएमई, एआईएफ, पीएमकेएसवाई जैसी केन्द्रीय योजनाओं का दोहन करने का आह्वान किया।
संगोष्ठी में भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक एमके मल्ल ने नवीकरणीय ऊर्जा, शिक्षा और वित्तीय साक्षरता पर जोर देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होने बैंकों को सलाह दी कि वे एमएसएमई की ओर विचार करें क्योंकि वे रोजगार और निर्यात में प्रमुख योगदानकर्ता हैं और कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़े हुए हैं।
संगोष्ठी में नाबार्ड ने सर्वोत्तम कार्यान्वयन विभागों, बैंकों, एफपीओ, सहकारी समितियों, एसएचजी को भी सम्मानित किया। संगोष्ठी में एफपीओ और एसएचजी द्वारा प्रदर्शनी स्टाल भी लगाए गए थे, जिन्हें सभी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सराहा गया था।

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