बठिंडा, 1 मार्च: पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) में 13वां स्थापना दिवस सोमवार को एक विशेष कार्यक्रम के साथ शिक्षकों, कर्मचारी सदस्यों और छात्रों को उनके संबंधित क्षेत्रों में दिए योगदान को पुरस्कृत करते हुए मनाया गया। कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में आयोजित आठ दिवसीय स्थापना दिवस कार्यक्रम (जिसमें अंतर्राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, विशिष्ट वक्ताओं द्वारा व्याख्यान श्रृंखला, सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य गतिविधियां शामिल थी) का समापन सोमवार को विश्वविद्यालय में एक भव्य समारोह के साथ हुआ। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने इस स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और ‘सतत विकास के लिए शिक्षा’ विषय पर स्थापना दिवस भाषण दिया। वहीँ पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति प्रो. जै रूप सिंह इस कार्यक्रम के सम्मानीय अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित शिक्षाविद प्रो. बूटा सिंह (कुलपति, महाराजा रणजीत सिंह पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी) और प्रो. गुरमेल सिंह (कुलपति, अकाल विश्वविद्यालय) विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. एम. जगदीश कुमार (अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेरह वर्ष पूर्ण करने पर सीयूपीबी परिवार को बधाई दी। आभासी पटल के माध्यम से प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए प्रो. जगदीश कुमार ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचारों ने हमारे जीवन को कुछ हद तक आरामदायक बना दिया है, लेकिन प्लास्टिक कचरे के उत्पादन के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग ने हमारे पर्यावरण को अत्यधिक प्रदूषित कर दिया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सतत विकास की अवधारणा को सभी स्तरों पर समन्वित प्रयासों, सुशासन और सतत विकास के लिए शिक्षा के साथ ही प्राप्त किया जा सकता है।
प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया कि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के दर्शन पर आधारित भारतीय संस्कृति और सभ्यता ने हमें हमेशा मानव को प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना सिखाया है। उन्होंने रेखांकित किया कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को युवाओं में पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने और उन्हें वैश्विक नागरिक बनने हेतु प्रेरित करने के लिए मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर एक सरल जीवन शैली अपनाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. जै रूप सिंह (संस्थापक कुलपति, पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय) ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि विश्वविद्यालय, जिसने 2009 में केवल 10 छात्रों के साथ एक छोटे से शिविर कार्यालय से अपनी यात्रा शुरू की थी, 500 एकड़ परिसर में विकसित हो चुका है, जो देश भर और विदेशों से संकाय और छात्रों को आकर्षित कर रहा है। उन्होंने सीयूपीबी के असाधारण विकास का श्रेय विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्रित दृष्टिकोण, पारदर्शी प्रणाली और विश्वविद्यालय के समर्पित शिक्षकों व कर्मचारीगण को दिया। उन्होंने छात्रों के बीच वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस स्थापना दिवस समारोह कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथियों ने विश्वविद्यालय समुदाय को अपनी शुभकामनाएं दीं। अकाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुरमेल सिंह ने कहा कि सीयूपीबी की विकास यात्रा सराहनीय है क्योंकि विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से 13 वर्षों की लघु अवधि के भीतर सबसे कम उम्र के केंद्रीय विश्वविद्यालय जिसने एनआईआरएफ 2021 रैंकिंग में 84 वीं रैंक (विश्वविद्यालय श्रेणी) प्राप्त करने तथा पहले चक्र में नैक से “ए” ग्रेड मान्यता प्राप्त करने जैसे महत्वपूर्ण मील के पत्थर पार किए हैं। महाराजा रणजीत सिंह पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. बूटा सिंह ने युवाओं के कौशल विकास के लिए क्षेत्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण अपनाने के लिए पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तिवारी की सराहना की और आशा व्यक्त की कि पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय उनके योग्य नेतृत्व में शिक्षा क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करेगा।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने विश्वविद्यालय को एक मजबूत नींव प्रदान के लिए सीयूपीबी के पूर्व कुलपतियों (प्रो. जै रूप सिंह और प्रो. आर.के. कोहली) के प्रति आभार व्यक्त किया, जो ‘कौशल और नवाचार संचालित शिक्षण, अनुसंधान, मूल्य और सामुदायिक पहुंच के माध्यम से मानवता की सेवा करने के विश्वविद्यालय के दूरदृष्टि को साकार करने में सहयोगी सिद्ध हो रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि ‘सतत विकास के लिए शिक्षा’ का अंतिम उद्देश्य युवाओं के बीच प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने के प्रति जागरूकता पैदा करना है ताकि भावी पीढ़ियों के लिए हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित किया जा सके। उन्होंने शिक्षार्थियों के समग्र विकास के लिए पाठ्यक्रम में एक सार्वभौमिक मानव मूल्य घटक को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया तथा शिक्षकों व शोधार्थियों अंतरविषयी अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करते हुए सामाजिक समस्याओं के अभिनव समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया।
इस स्थापना दिवस समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारीगण को उनके वार्षिक प्रदर्शन के आधार पर विशेष पुरस्कार और प्रशंसा प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। डॉ. सचिन कुमार (गणित और सांख्यिकी विभाग) और डॉ. रूबल कनौजिया (जनसंचार और मीडिया अध्ययन विभाग) ने क्रमशः विज्ञान और मानविकी विषयों में उत्कृष्ट अनुसंधान पुरस्कार प्राप्त किए। डॉ. विनोद कुमार और डॉ. अकलंक जैन को पांच प्रशंसा प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए ‘रोल ऑफ ऑनर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. अकलंक जैन, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. नासिर सलाम, डॉ. शशांक कुमार, प्रो. राज कुमार, डॉ. प्रफुल्ल कुमार साहू, डॉ. अनूप कुमार, डॉ. जसविंदर सिंह भट्टी, प्रो. अंजना मुंशी, प्रो. अनिल कुमार मंथा, प्रो. मोनिषा धीमान, डॉ. विकास जैतक, डॉ. पुनीत कुमार, डॉ. कृष्ण कांता हलदर, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. योगलक्ष्मी केएन, डॉ. संदीप सिंह, डॉ. उमा शंकर, डॉ. सुनील मित्तल, डॉ. सुरेश थरेजा, डॉ. वीरेंद्र सिंह, डॉ. मंजू जैन, डॉ. प्रीतम चंद और डॉ. अच्छे लाल को शोध पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा प्रो. राज कुमार, प्रो. फेलिक्स बास्ट और डॉ. जे.के. पटनायक को उनके विषयों में सराहनीय कार्य करने के लिए प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया। पीएचडी शोधार्थी अतुल कुमार सिंह और रितु आर्य को सर्वश्रेष्ठ शोधार्थी पुरस्कार मिला। सुश्री श्वेता बावा, श्री दीपक कुमार और ज्योति सिंह को सर्वश्रेष्ठ गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए कुलसचिव पुरस्कार मिला।
पुरस्कार वितरण समारोह के बाद छात्रों ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। अंत में कुलसचिव कंवल पाल सिंह मुंदरा ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन दिया।