जल है तो कल है – जल संचयन की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही हरियाणा सरकार

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चंडीगढ़, 28 फरवरी। वर्तमान समय में बढ़ती आबादी के कारण पानी की उपलब्धता में तेजी से कमी होती जा रही है। अगर समय रहते जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी। इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार ने जल संरक्षण के प्रयास अभी से तेज कर दिए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की दूरगामी सोच के फलस्वरूप हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय कार्य किया जा रहा है। जल ही जीवन है और प्रदेश में जल की उपलब्धता कैसे अधिक से अधिक हो, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री का मानना है कि पानी का प्रबंधन सही हो तो हम पानी को बचा सकते हैं।

व्यर्थ बह रहे पानी को बांध बनाकर किया जा रहा संरक्षित
प्रदेश में कम होते भूजल स्तर और राज्य में पानी की मांग को देखते हुए जल संरक्षण के नए-नए तरीकों की अपनाया जा रहा है। अरावली व शिवालिक की पहाडिय़ों में छोटे-छोटे झरनों के माध्यम से व्यर्थ बह रहे पानी को बांध बनाकर संरक्षित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि तालाब, बावड़ी और झीलों के संरक्षण के लिए बारिश के पानी का संचय किया जाना चाहिए। गौर करने वाली बात है कि देश में मानसूनी वर्षा जल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है लेकिन वर्तमान में वर्षा जल का समुचित संग्रह एवं संचयन न होने के कारण, इसका एक बड़ा हिस्सा बहकर निकल जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने व्यर्थ बह रहे पानी को बांध बनाकर संरक्षित कर वर्षा जल संचयन का बीड़ा उठाया है।

मेरा पानी मेरी विरासत योजना भी जल संरक्षण में काफी अहम
इसके साथ ही जल संरक्षण के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। मेरा पानी मेरी विरासत योजना भी जल संरक्षण में काफी अहम भूमिका निभा रही है। हरियाणा सरकार की इस अनूठी योजना के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। किसानों का रुझान धान जैसी अधिक पानी से तैयार होने वाली फसलों की बजाय अन्य फसलों की ओर बढ़ा है। राज्य में लगभग 37 लाख एकड़ में धान की खेती की जाती है जो गिरते भू-जल स्तर का मुख्य कारण है। हालांकि हरियाणा सरकार की मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत वर्ष 2021 में 32196 किसानों ने 51874 एकड़ क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य फसलों की बुआई की और 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ लिया। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलों को अपनाने पर किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

माइक्रो इरिगेशन अपनाने के लिए भी किसानों को प्रोत्साहन
वहीं प्रदेश में किसानों को माइक्रो इरिगेशन अपनाने के लिए भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सूक्ष्म सिंचाई के उपकरणों पर सरकार द्वारा खासा अनुदान दिया जा रहा है। खेत में तालाब निर्माण के लिए किसान को कुल खर्च पर 70 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी और उसे केवल 30 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। इसी तरह 2 एचपी से 10 एचपी तक की क्षमता वाले सोलर पंप की स्थापना के लिए किसान को 25 प्रतिशत राशि देनी होगी और उसे 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। सूक्ष्म सिंचाई से ना केवल किसानों को पूरा पानी मिलेगा, बल्कि आगामी कई सालों तक खेती के लिए पर्याप्त पानी का पक्का प्रबंध हो जाएगा।

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