चण्डीगढ़, 12 मार्च। यूटी पावरमैन यूनियन चण्डीगढ़ के आह्वान पर शुक्रवार को निजीकरण के खिलाफ चण्डीगढ़ के बिजली कर्मियों ने बिजली दफ्तर सैक्टर 17 के सामने विशाल रैली व प्रर्दषन किया।
रैली को सम्बोधित करते हुए यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोषी ने कहा कि आज की रैली बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ, बिजली अमैन्डमैंट बिल 2021 को रद्द करने, निजीकरण के दस्तावेज स्टैन्डर्ड बिडिंग डाकूमैंट को निरस्त करने व विषेष रूप से सुचारू रूप से चल रहे तथा मुनाफा कमा रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण रद्द कर गैर जरूरी व शंका से घिरा बिडिंग प्रोसेस खत्म करने के लिए किया गया। उन्होंने केन्द्र सरकार तथा चण्डीगढ़ प्रषासन की तीखी निन्दा करते हुए कहा कि आखिर चण्डीगढ़ प्रषासन सोने की चिडिया (मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग) को थाली में रखकर मुनाफाखोरों को बेचने केलिए इतना आतुर क्यों है तथा किसके हितों की पूर्ति करने को बेचैन है? जनता तथा कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात क्यों किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अन्तरिम रोक के बाद तो चण्डीगढ़ प्रशासन इतनी हड़बडी में है कि उसे सही व गलत का भी आभास नहीं हो रहा है। जिसमें कई नियमों व प्रक्रियाओं को नजर अंदाज किया है। आखिर इतनी जल्दबाजी की वजह क्या है। प्रषासन की जल्दबाजी अपने आप में कई अहम सवाल खडे करती है जो उच्चस्तरीय जांच का विषय बन चुका है। उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय के अन्तिम फैसले का इन्तजार करने पर जोर देते हुए प्रषासन पर आरोप लगाया कि इस सारी कार्यवाही में जनता तथा कर्मचारियों के हितों की तिलांजली दी जा रही है। कर्मचारियों की सेवाषर्तो पर सरकार ने अभी तक कोई नीति नहीं बनाई है न ही यूनियन के मांग पत्रों को अहमियत दी जा रही है। प्रषासन कम्पनियों से तो लगातार बातचीत व मीटिंगे कर रही है लेकिन मुख्य स्टेक होल्डरों से कोई बातचीत नहीं करना चाहती जिनके हित दांव पर लगाये जा रहे हैं।
यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह ने कहा कि विभाग ने पिछले 5 सालों से बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं की है। 24 घंटे निर्विघ्न बिजली दी जा रही है। विभाग को वैस्ट यूटिलिटी का अवार्ड भी लगातारा मिल रहा है बिजली की दर भी पडौसी राज्यों व केन्द्रषासित प्रदेषों से कम है। ट्रांसमिषन व डिस्ट्रीब्यूषन (टी एण्ड डी) लास भी बिजली मंत्रालय के तय मानक 15 प्रतिषत से काफी कम है। पिछले 5 साल से विभाग लगातार 150 करोड से 250 करोड़ तक मुनाफा कमा रहा है। विभाग का वार्षिक टर्न ओवर 1000 करोड़ के करीब है जिस हिसाब से कम से कम कीमत 15000 करोड़ से अधिक बनती है लेकिन ताजुब्ब की बात है कि बोली सिर्फ 174 करोड की लगाई जा रही है। जमीन व इमारतों का किराया सिर्फ एक रूपया प्रति महिना , 157 करोड़ रूप्या जनता का जमा एसीडी निजी मालिकों को देने का फैसला, 300 करोड़ से अधिक कर्मचारियों का फण्ड निजी ट्रस्ट के हवाले करने की बात की जा रही है जिसे किसी भी हालत में बर्दास्त नहीं किया जा सकता।
यूनियन के सयुंक्त सचिव अमरीक सिंह, सुखविन्द्र सिंह, गुरमीत सिंह, पान सिंह व रणजीत सिंह ने सरकार की निजीकरण की नीति पर करारा हमला करते हुए केन्द्र सरकार की तीखी निन्दा करते हुए आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार अपने वायदे से मुकर गई है। केन्द्र सरकार बार बार सिर्फ घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण की बात कर रही है तथा इसीलिए सरकारी या निजी कंपनी की मनोपली खत्म कर कई कंपनीयों को लाईसैंस देकर कंपीटीषन की बात कर रही है लेकिन चण्डीगढ़ में बिजली विभाग को मुनाफे में चलने के बावजूद निजी कंपनीयों को बेचा जा रहा है। उन्होंने सरकार की करनी व कथनी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर बिजली विभाग का 100 प्रतिषत शेयर निजी मालिको को बेच दिया जाएगा तो कंपीटिषन की बात कहा रह जाती है। वक्ताओं ने बिडिंग प्रोसैस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक बार आरएफपी बेचने के बाद अंतिम दिनांक से कम से कम 45 दिन पहले आरएफपी में बदलाव किया जा सकता है लेकिन प्रषासन बिडिंग के लिए छः कंपनियों के आवेदन के बाद आरएफपी में बदलाव कर रहा है जो गैर कानूनी है। इसलिए प्रषासन को तुरंत बिडिंग सिस्टम रद्द करना चाहिए।
यूटी पावरमैन यूनियन के पूर्व प्रधान उजागर सिंह मोही , नरिन्द्र कुमार, हरजिन्द्र सिंह, कुलविन्द्र सिंह, आदि वक्ताओं ने कहा कि प्रषासन एक तरफ तो यूनिफार्म पॉलिसी की बात कर रहा है लेकिन उसके उल्ट चण्डीगढ़ बिजली विभाग के 100 प्रतिषत शेयर बेचने की बात की जा रही है जिसके लिए अपने तौर पर गैर कानूनी फैसला लिया जा रहा है जबकि अन्य केन्द्रषासित प्रदेषों का केस गृह मंत्रालय से संषोधन कराने की बात की जा रही है। वक्ताओं ने चण्डीगढ़ के उपभोक्ताओं को बिजली कर्मचारियों के संघर्ष को समर्थन की अपील की है क्योंकि विभाग निर्विघ्न सप्लाई देने के बाद भी सस्ती बिजली उपलब्ध करवा रहा है तथा पिछले पांच साल से बिजली की दरों में कोई भी बढ़ौतरी नहीं की गई है। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी की शीघ्र ही बिडिंग प्रोसेस बंद नहीं किया तो 18 मार्च को समस्त कामकाज बंद कर बिजली दफ्तर न्यू पावरहाऊस के सामने धरना दिया जाएगा। जिस कारण आम जनता को होने वाली परेषानी के लिए प्रषासन का अड़ियल रवैया जिम्मेवार होगा।