चंडीगढ़, 19 फरवरी। केन्द्र सरकार व चण्डीगढ़ प्रशासन, पिछले पांच साल से सस्ती तथा निर्विघ्न बिजली देकर भी मुनाफे में चल रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग का गैर कानूनी तौर पर निजीकरण करने पर अड़ा हुआ है। कर्मचारियों ने भी इस अड़ियल रवैये के खिलाफ 22 फरवरी से 72 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया हुआ है जिसकी सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। इस संबध में बिजली के सभी कार्यालयों में गेट मीटिंगों व रैलियों का दौर पूरा हो चुका है और सभी कर्मचारी सरकार के रवैये के खिलाफ लगातार प्रर्दशन कर रहे हैं। कर्मचारियों के साथ साथ चण्डीगढ़ की सभी ट्रेड यूनियनें तथा सामाजिक, धार्मिक संगठन भी सरकार के फैसले के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं क्योंकि कर्मचारियों के साथ साथ आम जनता को भी सरकार के फैसले से बिजली के मंहगे बिलों की मार झेलनी पड़ेगी।
यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह, महासचिव गोपाल दत्त जोशी, वरिष्ठ उप प्रधान अमरीक सिंह, उप प्रधान गुरमीत सिंह, सुखविन्द्र सिंह, पान सिंह, रंजीत सिंह, र्स्वण सिंह आदि ने चण्डीगढ़ प्रशासन की तीखी निन्दा करते हुए कहा कि भारत सरकार व चण्डीगढ़ प्रशासन देश में सबसे सस्ती व 24 घंटे अबाधित बिजली देकर भी पिछले 5 सालों से 150 करोड़ से 350 करोड़ तक मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग को देश में सबसे महँगी बिजली दे रही कोलकाता की एक निजी कम्पनी को बेचने पर क्यों तुली है। उन्होंने कहा कि जब चंडीगढ़ बिजली विभाग का गठन हुआ तब 1 लाख 10 हजार के करीब कनेक्शन थे और 2200 कर्मचारी काम करते थे। आज 2.50 लाख के करीब कनेक्शन हैं और करीब 1000 कर्मचारी है, जिसमें भी करीब 400 ठेका कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में 66 केवी के 14 और 33 केवी के 5 सब स्टेशन तथा 2500 के करीब डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफर है। कनेक्शन दुगुने से भी ज्यादा कर्मचारी आधे से भी कम होने के बावजूद रात दिन काम कर 24 घंटे निर्बाध बिजली दी जा रही है। चण्डीगढ़ में 100 प्रतिशत मीटरिंग सप्लाई है। लाइन लॉस केन्द्र सरकार के मानक 15 प्रतिशत से काफी कम 10 प्रतिशत से भी नीचे हैं। विभाग को अच्छी सेवा के लिए अवार्ड दिये गये हैं। पिछले 5 साल से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई है, बल्कि इस साल रेट घटाये हैं तथा बिजली की दर 150 युनिट तक 2.50 रूपये तथा अधिकतम 4.50 रूपये है। लेकिन ऐमीनेंट कम्पनी ( जिसे सरकार विभाग को बेच रही है) का 150 यूनिट तक का रेट 7.16 रूपये तथा 300 यूनिट से आगे 8.92 रूपये है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के निर्देश पर बिजली कानून- 2003 की धज्जियाँ उड़ाकर गैर कानूनी तरीके से बिजली विभाग निजी हाथों में बेचा जा रहा है, वह भी सबसे मंहगी बिजली बेचने वाली निजी कम्पनी को, जो सिर्फ 2 साल पहले अस्तित्व में आई है। यह शक के दायरे में भी है व समझ से बाहर भी है कि 20000-25000 करोड़ की अनुमानित सम्पत्ति सिर्फ 871 करोड़ में बेची जा रही है। बेचने से पहले मशीनरी, बिल्डिंग व जमीन की कीमत तय कर आडिट भी नहीं कराया। निजीकरण के बाद तो ए.जी. का ऑडिट का प्रावधान भी खत्म हो जायेगा। सरकार व प्रशासन निजी कम्पनियों को जमीन व बिल्डिंग को 1 रूपये प्रति महीने किराये पर दिया जा रहा है, जो हास्यास्पद भी है। यह भी बड़ी हैरानी की बात है कि इतना बड़ा जनविरोधी फैसला लेने से पहले प्रशासन ने मुख्य हितधारकों विशेषकर कर्मचारियों व उपभोक्ताओं से जरूरी सुझाव व एतराज लेना भी उचित नहीं समझा। अरबों / करोड़ों की प्रोपर्टी को कोड़ियों के भाव निजी घरानों को लुटाया जा रहा है । जिसे बचाना हमारा अधिकार भी है व कर्त्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन के इस कदम से जहाँ जनता पर कई गुना मँहगी बिजली का भार पडेगा व बिजली गरीब लोगों की पहुँच से दूर हो जायेगी।
यूनियन के प्रदाधिकारियों ने सभी कर्मचारियों से 22 फरवरी से 72 घंटे की हो रही हड़ताल को कामयाब करने की अपील की तथा 22, 23, 24 फरवरी को परेड़ ग्राऊंड के सामने शिवालिक होटल के साथ वाले ग्राऊंड में रोज10 बजे से 2 बजे तक की जा रही रैली में भारी संख्या में शामिल होने की अपील की है तथा चण्डीगढ़ की सभी ट्रेड यूनियनों से इस संघर्ष में शामिल होने की अपील की है। यह जानकारी जारी एक विज्ञप्ति में महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने दी।