दशकों बाद विधानसभा हलका कपूरथला का चुनावी दंगल काफी रोचक, धरातल पर हालात कुछ और ही

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कपूरथला, 17 फरवरी। कई दशकों बाद विधानसभा हलका कपूरथला का चुनावी दंगल इस बार काफी रोचक होता दिख रहा है, धरातल पर हालात कुछ और ही है। कांग्रेस प्रत्याशी राणा गुरजीत सिंह को इस बार चुनाव में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। राणा गुरजीत सिंह ने पहले तो अपने बेटे के हलके सुल्तानपुर लोधी की तरफ ज्यादा फोकस किया हुआ था जिसके चलते भाजपा शहरी क्षेत्र में हिदू वोट बैंक को एकजुट करने में लगा रहा और आप की प्रत्याशी मंजू राणा ग्रामीण क्षेत्र में जुटी रही लेकिन राणा गुरजीत सिंह के चुनावी रणनीति से पार पाना काफी मुश्किल लग रहा है। राणा गुरजीत सिंह ने काम के लिए आने वाले किसी विरोधी दल के नेता अथवा वर्करों को कभी नाराज नही किया बल्कि संतुष्ट करवाने की कोशिश की। इससे सियासी विरोधी दल होने के बावजूद वह लोग राणा के पक्ष में भुगत जाते हैं। राणा की जफ्फी भी आम लोगों को प्रभावित करती है। उधर, बसपा व शिअद ग्रामीण क्षेत्रों में अपने वोट बैंक की किलेबंदी में जुटा है लेकिन बसपा को स्थानीय अकाली नेताओं से वह समर्थन नहीं मिल रहा जिसकी उन्हें उम्मीद थी।अकाली दल के जिला प्रधान हरजीत सिंह वालिया एवं उनकी टीम दविदर सिंह ढपई के पक्ष में जुटी है लेकिन किसी बड़े नेता का नदारद रहना कई सवाल खड़े कर रहा है। उधर, आम आदमी पार्टी शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्र में डटी है लेकिन भितरघात से आप भी अछूती नही है। राणा गुरजीत सिंह एवं उनके परिवार के सदस्य कपूरथला हलके से पांच चुनाव लड़े और हर बार उनकी जीत का अंतर पहले से बड़ा रहा है लेकिन इस बार धरातल पर हालात कुछ और ही है। भाजपा प्रत्याशी खोजेवाल के पक्ष में स्मृति ईरानी भी प्रचार कर गई है। कपूरथला हलके से एक लाख 49 हजार कुल वोटरों में करीब आधे वोटर शहरी क्षेत्र में है जिनमें भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक इस पार्टी के पक्ष में जाने की उम्मीद है। पहले भाजपा व अकाली में गुटबाजी का सबसे ज्यादा लाभ राणा गुरजीत सिंह को मिलता रहा है लेकिन फिलहाल इस बार ऐसा होता नजर नही आ रहा है। इस बार राणा के चुनावी कौशल की असल परीक्षा होगी। विधानसभा क्षेत्र कपूरथला —-कपूरथला विधानसभा का गठन 1972 में हुआ।कपूरथला का वर्तमान विधायक राणा गुरजीत सिंह (कांग्रेस)।पूर्व विधायक रघबीर सिंह (अकाली दल)।कपूरथला हलके में सबसे ज्यादा बार जीतने वाली कांग्रेस है।1972 से 2017 तक किस-किस दल के उम्मीदवार रहे विजेता–1972 में कांग्रेस के किरपाल सिंह 29778 वोट लेकर विधायक चुने गए। उन्होंने अकाली दल के सुखजिदर सिंह को हराया था, जिन्हें 26444 वोट मिले थे। 1977 में जनता पार्टी के हुकम चंद 18073 वोट लेकर विजयी हुए थे जबकि कांग्रेस के किरपाल सिंह 14864 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे। 1980 में अकाली दल के रघबीर सिंह 21194 वोट लेकर विजयी हुए जबकि दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के मिलखी राम को 18273 वोट मिले थे। जनता पार्टी सेकुलर के दयाल सिंह को मात्र 310 वोट मिले थे। 1985 में कांग्रेस के किरपाल सिंह 17072 वोट लेकर चुनाव जीते थे, जिन्होंने अकाली दल की महिला प्रत्याशी बीबी विनोद को हराया था। उन्हें 12460 वोट मिले थे। अकाली दल से अलग होकर आजाद चुनाव लड़ने वाले रघबीर सिंह को 10919 वोट मिले थे। सीपीआई के निरंजन सिंह को 1442 वोट मिले। 1992 में कांग्रेस के गुलजार सिंह 10710 वोट लेकर चुनाव जीत गए थे। बीजेपी के हीरा लाल धीर को 8652 वोट मिले थे। बसपा के ओम प्रकाश सिद्धी को 1500 वोट मिले थे। 1997 में रघबीर सिंह फिर से अकाली दल की टिकट पर चुनाव लड़े और 32405 वोट लेकर विजेता रहे। कांग्रेस के गुलजार सिंह को 20150 वोट मिले जबकि कांग्रेस से बागी होकर आजाद तौर पर लड़ने वाले मलविदर सिंह चाहल को 13044 वोट मिले थे। बसपा के ओम प्रकाश सिद्धी को 1948 व जनता दल के सुरिदर कुमार को 445 वोट मिले थे। 2002 को कांग्रेस के राणा गुरजीत सिंह ने 33715 वोट लेकर जीत हासिल की थी जिन्होंने अकाली दल की तरफ से चुनाव लडने वाले रघबीर सिंह को हराया था। रघुबीर सिंह को कुल 23590 वोट मिले थे। आजाद चुनाव लड़ने वाले मलविदर सिंह चाहल को 3999 वोट मिले थे। अकाली दल मान के प्रत्याशी जगीर सिंह वडाला को 3574, बसपा (अ) के जिया लाल नाहर को 3107, बहुजन समाज पार्टी के ओम प्रकाश सिद्धी को 756 वोट मिले जबकि समता पार्टी के अजयदीप पांधी को 439 वोट मिले थे। 2007 में राणा गुरजीत सिंह की पत्नी राणा राजबंस कौर ने रिकार्ड 47173 वोट हासिल कर विधान सभा का चुनाव जीता जबकि अकाली दल के प्रत्याशी रघबीर सिंह ने भी रिकार्ड 40888 वोट हासिल किए लेकिन उन्हें हार का सामना करना पडा। बसपा (अ) के जिया लाल नाहर को 2236 वोट मिले जबकि बसपा के सुखविदरसिंह को 1026 वोट ही मिले। 2012 में राणा गुरजीत सिंह चुनाव लड़े थे जिन्होंने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 54221 वोट हासिल कर बड़ी जीत दर्ज की। अकाली दल के प्रत्याशी सर्बजीत सिंह मक्कड़ को 39739 वोट प्राप्त हुए थे। बसपा के चरणजीत को 1421 एवं पीपीपी के रघुबीर सिंह को 948 वोट ही मिले थे। 2017 में राणा गुरजीत सिंह ने 56378 वोट हासिल कर बड़ी जीत हासिल की जिन्होंने अकाली दल की तरफ से चुनाव लड़ कर 27561 वोट हासिल करने वाले एडवोकेट परमजीत सिंह एडवोकेट को हराया था। इस चुनाव में पहली बार चुनावी दंगल में कूदे आप के प्रत्याशी सुखवंत सिंह पड्डा की तरफ से 18076 वोट हासिल किए गए थे। बसपा (अ) के मनोज कुमार नाहर को 1115 एवं अकाली दल मान के नरिंदर सिंह खुसरोपुर को 615 वोट मिले थे। विधानसभा हलका कपूरथला,कुल मतदाता -148267,पुरुष मतदाता- 77415,महिला मतदाता-70834 थर्ड जेंडर-18।

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