करनाल, 13 फरवरी। कम्युनिटी रेडियो एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संस्थापक संयोजक व प्रथम राष्ट्रीय महासचिव डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान सामुदायिक रेडियो स्टेशन अपने अपने क्षेत्र के भूले बिसरे स्वाधीनता सेनानियों की दास्तान जन प्रकाश में लाने का कार्य करें। वे एसोसिएशन द्वारा विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में बोल रहे थे। एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बृजेंद्र सिंह परमार की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में आयोजित इस कार्यक्रम में संगठन के संरक्षक डॉ. श्रीधर, प्रसार भारती रिक्रूटमेंट बोर्ड की सदस्य सुश्री दीपा चंद्रा, भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय में अतिरिक्त निदेशक जीएस केसरवानी, श्रीलंका से एमसी रश्मि, मलेशिया से नबील तिर्मजी व दुबई से रेडियो सिटी के पूर्व उपाध्यक्ष कंवर समीर सहित अनेक विख्यात रेडियो विशेषज्ञों ने देशभर से जुड़े सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधियों को संबोधित किया।
हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान सामुदायिक रेडियो नीति के अनुसार भारत में 4000 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित किए जाने की गुंजाइश है। आज की तारीख में देश में 351 ऐसे रेडियो स्टेशन कार्यरत हैं। वर्ष 2004 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा अन्ना यूनिवर्सिटी परिसर में उद्घाटित किए गए देश के पहले ऐसे स्टेशन की स्थापना से लेकर आज तक भारत में सामुदायिक रेडियो का विस्तार अपेक्षित गति से नहीं हो पाया है। उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों और बाइक रेडियो से जुड़े विशेषज्ञों से शीघ्र इसकी वजह तलाशने के लिए मंथन और विश्लेषण हेतु एक कार्यशाला आयोजित करने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि रेडियो के प्रति आमजन का विश्वास न केवल बरकरार है, बल्कि बढ़ भी रहा है। हरियाणा में रेडियो सिरसा और करनाल जिले के गोंदर स्थित ग्रामोदय के संस्थापक डॉ. चौहान ने कहा कि रेडियो सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का बहुत प्रभावी और सशक्त माध्यम है।
सूचना प्रसारण मंत्रालय में सामुदायिक रेडियो प्रकोष्ठ के अतिरिक्त निदेशक जी.एस. केसरवानी ने इस अवसर पर कहा कि भारत सरकार रेडियो को विकास और संचार का बहुत प्रभावी माध्यम मानती है और सामुदायिक रेडियो द्वारा कोरोना के संकट काल में निभाई गई सकारात्मक भूमिका के लिए सभी रेडियो स्टेशनों का अभिनंदन करती है। उन्होंने कहा कि भारत में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों पर आकाशवाणी के समाचार बुलेटिन प्रसारित करने की अनुमति तो दे दी गई है, परंतु उन्हें अपने स्तर पर समाचारों के प्रसारण की अनुमति देने से पहले स्टेशन संचालकों को बहुत सक्षम बनाना होगा।
अपने उद्बोधन में डॉ. आर. श्रीधर ने सामुदायिक रेडियो संचालकों का आवाहन किया कि उन्हें बदलती हुई प्रौद्योगिकी के अनुसार स्वयं को ढालने और आर्थिक स्वावलंबन के नए मॉडल विकसित करने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। देशभर के रेडियो स्टेशन आपस में कार्यक्रमों का लेनदेन करें, इसकी भी पुख्ता व्यवस्था खड़ी करनी होगी। कवर समीर ने रेडियो कार्यक्रमों के स्वरूप में नए प्रयोग करने की अथाह संभावनाओं पर चर्चा की। कम्युनिटी रेडियो एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. बृजेंद्र परमार ने इस अवसर पर कहा कि जीवन में जैसे विश्वास के बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता, ठीक उसी तरह समाज और समुदाय में काम करने वाले कम्युनिटी रेडियो कार्यकर्ताओं के लिए भी समुदाय का विश्वास अर्जित करना सफलता के लिए आवश्यक है। उन्होंने भारत में सामुदायिक रेडियो संचालकों की समस्याओं को लेकर संजीदगी के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया और संगठन द्वारा बीते 1 वर्ष के दौरान किए गए कार्यों पर भी चर्चा की। वेबीनार को यूनिसेफ की सुश्री लोपामुद्रा त्रिपाठी, दूरदर्शन की पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक और वर्तमान में विश्व बैंक के लिए वाशिंगटन डीसी में सलाहकार उषा भसीन, मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी के पूर्व सचिव डॉक्टर हिसमुद्दीन फारूखी ने भी संबोधित किया।