सशक्तिकरण जरूरी, पर राजनीति का मोहरा न बनें महिलाएं: डॉ. चौहान

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करनाल, 12 फरवरी। देश और समाज को मजबूत करने के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण जरूरी है। इसके लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा। महिला अधिकारों एवं उनके संरक्षण के लिए कानून में कई प्रावधान किए गए हैं। लेकिन अधिकारों के संरक्षण से पहले महिलाओं को अपने अधिकारों को भली-भांति समझना होगा। आजकल महिला अधिकारों के नाम पर महिलाओं को राजनीति का मोहरा बनाया जाता है जिसका महिला सशक्तिकरण से कोई लेना देना नहीं होता। इसलिए उन्हें इस षड्यंत्र से सावधान रहना होगा। यह बात हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कही। वह राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिला अधिकारों एवं उनके संरक्षण के कानूनी प्रावधानों पर रेडियो ग्रामोदय और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में अपने विचार रख रहे थे।
हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और रेडियो ग्रामोदय के संस्थापक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि रेडियो ग्रामोदय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर जिले में कानूनी जागरूकता के लिए नियमित साप्ताहिक कार्यक्रम शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि जिला व सत्र जिला व सत्र न्यायाधीश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर जिले में कानूनी जागरूकता के लिए एक और नियमित साप्ताहिक कार्यक्रम शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि जिला व सत्र न्यायाधीश करनाल के मार्गदर्शन में आमजन को इस कार्यक्रम के ज़रिए सजग बनाया जाएगा। डॉ. चौहान ने नागरिकों का आवाहन किया कि वे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जनहित में उपलब्ध करायी जा रही विभिन्न में निःशुल्क सेवाओं का लाभ लें। इस अवसर पर डॉ. चौहान ने भारत कोकिला सरोजिनी नायडू और आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद को भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।
पिछले छह सालों से जिला न्यायालय में एडवोकेट के तौर पर प्रैक्टिस कर रहे अंशुल चौधरी ने कहा कि महिलाये समाज की मुख्य धुरी हैं और उनके बिना संसार अधूरा है। सरकार भले ही महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए नियम कानून बना रही हो, लेकिन जब तक समाज में महिलाओं को बराबरी का साझीदार समझने की धारणा नहीं बनेगी, तब तक महिलाओं को उनका हक नहीं मिलेगा। इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने पर ही दुनिया में उनका अस्तित्व बन पाया है। इसलिए महिलाओं को ठुकराना या अपमान करना सही नहीं है। हम कह सकते हैं कि नारी समाज के विकास की धरोहर है। अंशुल चौधरी पिछले तीन साल से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण करनाल के पैनल एडवोकेट के तौर पर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता दिलाने समेत विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर समय-समय पर कैंप लगा कर लोगों को जागरूक करने का काम भी कर रहे हैं।
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली और पिछले 10 साल से महिला अपराध के विभिन्न मामलों को देख रही एडवोकेट सविता सिंह ने कहा कि तकनीकी उन्नयन का एक साइड इफेक्ट महिला अपराध के रूप में भी सामने आया है। सोशल मीडिया भी अपराध का एक बड़ा जरिया बनता जा रहा है। इसलिए अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने के अलावा महिलाओं को इन चीजों से भी सावधान रहने की जरूरत है। ऑनलाइन दोस्ती अपराध की किसी बड़ी घटना का कारण बन सकता है। महिलाओं को ऐसी किसी दोस्ती से बचना चाहिए। यह उन्हें फंसाने का एक बड़ा जाल भी हो सकता है।
करनाल जिला अदालत में वकील के तौर पर प्रैक्टिस करने वाली और अपना कोचिंग इंस्टिट्यूट चलाने वाली एडवोकेट मोनिका सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण अर्थात महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के साथ-साथ उनकी मानसिक स्थिति को भी मजबूत करने में मदद करने पर कभी ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया जाता, जबकि भारतीय संविधान में महिलाओं को कई विशेष अधिकार दिए गए हैं जिनके बारे में महिलाएं जानती तक नहीं हैं। उन्हें अपने अधिकार जानने चाहिए।
एडवोकेट मीनाक्षी चौधरी ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना होगा। इसकी शुरुआत घर से ही होनी चाहिए। बेटा और बेटी में कोई फर्क न करना महिला सशक्तिकरण का पहला कदम है। सशक्तिकरण का दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण कदम शिक्षा है। इस अवसर पर उन्होंने सेशन जज चंद्रशेखर और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जसबीर कौर का आभार जताया।
कार्यक्रम में घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकार और उत्पीड़न से जुड़े सवालों के अलावा पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकार से जुड़े कानूनी प्रावधानों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। एडवोकेट सुधीर चौहान ने इस आयोजन में समन्वयक की भूमिका निभाई।

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