कपूरथला, 2 फरवरी। विश्व जलगाह दिवस मौके पर पुष्पा गुजराल साइंस सिटी की ओर से जलगाहों की महत्ता, रख रखाव व इन्हें बनाए रखने के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों प्रति जागरूकता के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया। 1971 में हुए रामसर सम्मेलन की वर्षगांठ के तौर पर यह दिन हर साल 2 फरवरी को मनाया जाता है। इस वेबिनार में 100 से अधिक पंजाब की अलग-अलग विद्ययक संस्थाओं के विद्यार्थियों व अध्यापकों ने भाग लिया। विश्व जलगाह दिवस मनाने का इस बार का थीम “लोग व कुदरत की खातिर जलगाहों को संभालने के प्रयत्न है’।
इस मौके जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी नई दिल्ली के वातावरण विज्ञान स्कूल के पूर्व डीन प्रोफेसर डा.सीके वरशने मुख्य प्रवक्ता के तौर पर उपस्थित हुए। उन्होंने “मानवता की भलाई जलगाहों की महत्ता’ विषय पर लेक्चर दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बनाए रखने के लिए जलगाहें सबसे अहम है लेकिन यह सबसे प्रदूषित व दुर्व्यवहार का शिकार होने होने कारण खत्म होने की कगार पर है। जलगाहें जहां पूरी दुनिया में जल चक्कर का अटूट हिस्सा है, वहीं पर्यावरण के तौर पर इनकी कुछ खास विशेषताएं है। जलगाहें जल-जीव विभिन्नता की मददगार है। क्योंकि इनमें बहुत सी दुर्लभ जल जीवों की प्रजातियां वास करती है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए तो जलगाहों सबंधी दुनिया की गलत धारना रही है। इन्हें भूमिगत जल को रिचार्ज व स्तह के पानी को शुद्ध करने के लिए प्रयोग में न लाते हुए जलगाहों की जगह पर बंजर समझा जाता रहा है। इस कारण बिना सोचे समझे इन्हें दूसरे कामों के लिए प्रयोग किया जाता है और पुनर्जीवित करने के प्रयास नहीं किए गए। एक अनुमान के मुताबिक 1970 से 2015 तक 30 फीसदी जलगाहें सिकुड़ गई है। जोकि जंगलों की कटाई से तीन फीसदी अधिक है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जल-जीव विभिन्नता व अधिक कार्बन (प्रदूषण) को घटाने के लिए जलगाहों को संभालने के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है। जलवायु पैरिस समझौते के अनुसार मानवता की भलाई व जलवायु स्थिरता के लिए ऐसे प्रयत्न होना बहुत जरुरी है।
साइंस सिटी की डायरेक्टर जनरल डा.नीलिमा जेरथ ने विद्यार्थियों को जानकारी देते हुए बताया कि जलगाहें जैविक विभिन्नता के लिए बहुत अहम है। इसलिए इनकी संभाल व सुरक्षा बहुत जरुरी है। पंजाब का संतलुज दरिया, हरिके जलगाह, कांजली व चिट्टी वेईं जैविक विभिन्नता के मुख्य स्त्रोत है। लेकिन उद्योगों का प्रदूषित पानी इनके लिए खतरे का कारण बना हुआ है। पंजाब के पास बहुत सी कुदरती व लोगों द्वारा बनाई गई जलगाहें है। इनमें से हरिके, कांजली, रोपड़, केशोपुर व रामसर जलगाहें राष्ट्रीय स्तर की जलगाहें है। यह जलगाहें सिध दरिया की डॉलफिन, समूथ इंडिया ओटर के अलावा पक्षियों की 400 से अधिक प्रजातियां समेत दुर्लभ व खतरे की कगार पर पहुंचे पानी के जीवों का रहन बसेरा है। हालांकि यह जलगाहें बहुत सी निश्चित और अनिश्चित प्रदूषण के स्त्रोतों से खतरों का सामना कर रही है। विश्व प्रसिद्ध कुदरत प्रेमी व पक्षी विज्ञानी डा.सालिम अली ने 1984 में हरिके का दौरा किया था और पंजाब में 1987 से जलगाहों की बहाली के लिए प्रयत्न किए जा रहे है। जिससे प्रवासी पक्षियों की आबादी में स्थिरता व सुधार हुआ है। उन्होंने अपना काम 1988 में शुरु किया था और डब्लयू डब्लयू एफ इंडिया के संयुक्त प्रयत्नों के चलते हरिके को 1990 में रामसर साइट का दर्जा मिला।
साइंस सिटी के डायरेक्टर डा.राजेश ग्रोवर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि अमानवीय गतिविधियां जलगाहों की निकासी व रूपांतरण का मुख्य कारण है। उन्होंने जलगाहों को पुर्नजीवित करने व बचाने के लिए वित्तीय, मानवता व राजनीतिक निवेश की जरूरत पर जोर दिया।