चंडीगढ़, 22 जनवरी। पूरा देश महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी नेता, सच्चे देशभक्त सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान का कोई सानी नहीं है। वे एक साहसी और स्वतंत्रता के प्रति अति उत्साहित नेता थे। सुभाष चंद्र बोस श्रीमद्भगवद्गीता से गहराई से प्रेरित रहे थे, इसी कारण स्वतंत्रता, समानता, राष्ट्रभक्ति के लिए उनके संघर्ष को भुलाया नहीं जा सकता।
नेता जी के लिए राष्ट्र सर्वोपरि था। मातृभूमि को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए उन्होंने अपनी सेना ‘‘आजाद हिंद फौज’’ बनाने का रास्ता चुना। राष्ट्रभक्ति एवं स्वतंत्रता का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए बर्लिन में फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना और आजाद हिंद रेडियो की शुरुआत कर सवतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाया। इसमें अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, बंगाली, पश्तो, तमिल, फारसी और तेलुगु में प्रसारित समाचार बुलेटिन व स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए गए। इसी तरह, आजादी प्राप्ति की मुहिम को तेज करने के लिए यूरोप में भारतीय सेना का गठन किया गया। उन्होंने अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक नामक राजनीतिक इकाई की स्थापना भी की।
सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें नेताजी के नाम से जाना जाता है, ने नारा दिया था ‘‘तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हें आजादी दूंगा’’ जो आज भी देश के हर नागरिक व युवाओं के दिलों पर अंकित है। यह नारा राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता, कर्तव्य और जिम्मेदारी का अहसास कराता है। इसलिए हमें अपनी स्वतंत्रता को मजबूती देने के लिए अपने प्रयासों में दृढ़ रहना होगा, जो महान बलिदानों और प्रयासों से प्राप्त हुई है।
उनका प्रसिद्ध युद्ध नारा ‘‘दिल्ली चलो’’ उनके दृढ़ संकल्प का एक महान संकेतक नारा था। इसी नारे को ध्येय मानकर आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनका विचार था कि हमें अपनी राष्ट्रीय रक्षा को ऐसी मजबूत नीव रखनी चाहिए कि भविष्य में भी हमारी स्वतंत्रता पर कभी भी आंच न आए।
यह हमारे लिए खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। आज हम स्वतंत्रता के 75 वर्ष के रूप में ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ मना रहे हैं। इन अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों के माध्यम से आज के युवाओं और अपने बच्चों को महान स्वतंत्रता आंदोलनकारी विभूतियों से अवगत कराना होगा और उनमें ‘राष्ट्र पहले’ की भावना पैदा करनी होगी। युवा पीढ़ी को महान स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों की कहानियों के बारे में बताने की जरूरत है कि किस प्रकार से सुभाष चंद्र बोस, अन्य नेताओं व वीर शहीदों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नेताजी, जिनकी जयंती हम हर साल ‘‘पराक्रम दिवस’’ के रूप में मनाते हैं, उन्होंने कहा था ‘‘राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों, सत्यम, शिवम, और सुंदरम से प्रेरित हैं। भारत में राष्ट्रवाद ने उन रचनात्मक शक्तियों को जगाया है जो सदियों से हमारे लोगों में निष्क्रिय पड़ी थीं।
नेताजी निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा करने के लिए भारत की शक्ति, आकांक्षा, प्रेरणा और अदम्य भावना के प्रतीक हैं। उनके लिए गरीबी, अशिक्षा, बीमारियां देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक थीं। उन्होंने कहा था कि हम भारत को आत्मनिर्भर बनाकर ही इन समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
आज हम राष्ट्र को समृद्ध, उन्नत, अखण्ड तथा आत्मनिर्भर बनाए रखने के लिए कार्य करने का संकल्प लें, यही नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।