चंडीगढ़, 21 जनवरी। इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति की मशाल और वहां से कुछ दूरी पर बने नैशनल वॉर मेमोरियल में अमर जवान ज्योति की मशाल, ये दोनों मशालें क्यों नहीं जल सकतीं ? यह सवाल युवा कांग्रेस नेता सुनील यादव और प्रदेश महासचिव विनायक बंगिया द्वारा इसलिए उठाया गया है क्योंकि 21 जनवरी को एक समारोह में इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति की मशाल की लौ को नैशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में मिलाया गया है। इसके बाद अमर जवान ज्योति की मशाल बंद हो गई है। शहीदों को श्रद्धांजलि देने और देश के प्रति उनके बलिदान को याद रखने के लिए 1971 युद्ध के शहीद सैनिकों के सम्मान में ‘अमर जवान ज्योति’ जलाई गई थी।
इस दौरान युवा नेताओं ने बताया की ‘आजादी के बाद 1971 में हम पहली बार जीते थे, इसलिए उस लड़ाई का अपना महत्व है। हमें इसकी अहमियत बरकरार रखने के लिए इसे अलग रखना चाहिए। इंडिया गेट को अंग्रेज़ों ने बनाया था, लेकिन उसमें अमर जवान ज्योति की मशाल हम भारतीयों ने ही जलाई थी। 1971 का युद्ध जीतने के बाद उन सैनिकों की याद में, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान कुर्बानी की। अब इस मशाल को बंद कर हम उनके परिवार की भावनाओं का सम्मान नहीं कर रहे हैं। 1971 युद्ध की अपनी अहमियत है और इसके लिए जलाई गई मशाल को भी उतनी ही अहमियत मिलती रहे, इसलिए इसे अलग से जलते रहना चाहिए। इस मशाल को दूसरे में मिलाकर हम 1971 युद्ध की अहमियत कम कर रहे हैं।’
यादव ने कहा कि इससे क्या मकसद हल हो रहा है, मुझे समझ नहीं आ रहा, सिवाय इसके कि एक सेरेमनी कम हो जाएगी। मेरी व्यक्तिगत राय है कि दोनों जगह मशाल जली रहनी चाहिए।’उन्होंने कहा कि यह इतिहास की, हमारे कल्चर की और भावनाओं की बात है। इंडिया गेट और वॉर मेमोरियल दोनों जगह की अमर जवान ज्योति जली रह सकती है।