चंडीगढ़, 8 जनवरी। हरियाणा सरकार के जल संरक्षण उद्देश्य की दिशा में कदम बढ़ाते हुए हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन और प्रबंधन) प्राधिकरण (एचडब्ल्यूआरए) ने जून 2020 तक भू-जल स्तर तालिका की गहराई की स्थिति के आधार पर राज्य को सात जोन में वर्गीकृत किया है । यह ग्राम स्तरीय वर्गीकरण जागरूकता पैदा करने में सहायता करेगा और वर्तमान ब्लॉक स्तरीय वर्गीकरण को अपनाने के बजाय गांवों के भू-जल प्रबंधन के संबंध में नीतियों की सूक्ष्म स्तरीय योजना और उपचारात्मक कार्रवाई में उपयोगी होगा।
प्राधिकरण ने इस सार्वजनिक नोटिस के जारी होने के 30 दिनों के भीतर अपनी आधिकारिक ईमेल आईडी objections2022.hwra@gmail.com पर प्रस्तावित वर्गीकरण पर जनता से आपत्तियां या सुझाव मांगे हैं। अंतिम तिथि के बाद किसी भी सुझाव /आपत्ति पर विचार नहीं किया जाएगा।
एचडब्ल्यूआरए के प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यह ग्राम स्तरीय वर्गीकरण मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा दिए गए निर्देश का अनुपालन करते हुए किया गया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में घटते भू-जल स्तर पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए गाँव में भू-जल स्तर की स्थिति के अनुसार राज्य को विभिन्न जोन में बांटने के निर्देश दिए थे, ताकि पानी की कमी को पूरा करने या भू-जल प्रबंधन और भू-जल स्तर में वृद्धि करते हेतु विभिन्न योजनाएं गाँव स्तर पर ही बनाई जा सकें। उन्होंने बताया कि जिन गांवों में भू-जल स्तर कम है, उन गांवों को सभी जल संरक्षण योजनाओं में प्राथमिकता दी जाएगी।
प्रवक्ता ने बताया कि जिन गाँवों में भू-जल स्तर कम है, वहां अटल भू-जल योजना के तहत अच्छा कार्य किया जा रहा है। अब यह वर्गीकरण भू-जल के समान उपयोग के लिए किसानों/समाज के बीच जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण साबित होगा और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में कम पानी की खपत वाली फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। इस डाटा का उपयोग भू-जल प्रबंधन और विनियमन, अनुसंधान तथा नीति निर्माण में किया जाता है। उन्होंने बताया कि सभी गांवों (6885) का भू-जल स्तर भूजल प्रकोष्ठ, आई एंड डब्ल्यूआरडी, हरियाणा द्वारा मौजूदा 2200 अवलोकन बिंदुओं के आधार पर एकत्र किया गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि किसानों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा एक पोर्टल विकसित किया जाना है। साथ ही, उन किसानों के खेतों पर जलभराव और लवणीय मिट्टी के सुधार का कार्य किया जाएगा जो अपनी रुचि दिखाते हुए पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराएंगे और कार्य की लागत का 20 प्रतिशत हिस्सा देने के लिए सहमत होंगे। पोर्टल पर किसानों की सहमति लेकर क्लस्टर तैयार किए जाएंगे।
लाल श्रेणी के अंतर्गत 1780 गांव
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के सभी गांवों के जल स्तर की गहराई के साथ-साथ पिछले 10 वर्षों (जून-2010 से जून-2020) के घटती दर के आंकड़े उपलब्ध हैं। 30.00 मीटर से अधिक की जल तालिका वाले गांवों को गंभीर रूप से भूजल संकट ग्रस्त गांवों के रूप में वर्गीकृत किया गया है और लाल रंग द्वारा दर्शाया गया है। इस श्रेणी में कुल 1780 गांव आते हैं। पिछले 10 वर्षों के उतार-चढ़ाव के आधार पर कुल 957 गांवों में भू-जल स्तर की गिरावट दर 0.00-1.00 मीटर प्रति वर्ष के बीच है। कुल 707 गांवों में गिरावट दर 1.01-2.00 मीटर प्रति वर्ष के बीच है। कुल 79 गांवों में गिरावट दर 2.00 मीटर प्रति वर्ष से अधिक है और 37 गांवों में भू-जल स्तर में कोई गिरावट नहीं आई है।
गुलाबी श्रेणी के अंतर्गत 1041 गांव
प्रवक्ता ने बताया कि 20.01 से 30.00 मीटर जल स्तर वाले गांवों को मध्यम भू-जल संकट ग्रस्त गांवों के रूप में वर्गीकृत किया गया है और गुलाबी रंग से दर्शाया गया है। जून 2020 के भू-जल स्तर के आंकड़ों के अनुसार इस श्रेणी में कुल 1041 गांव आते हैं। पिछले 10 वर्षों के उतार-चढ़ाव के आधार पर कुल 874 गांवों में भू-जल स्तर की गिरावट दर 0.00-1.00 मीटर प्रति वर्ष है। कुल 102 गांवों में गिरावट दर 1.01-2.00 मीटर प्रति वर्ष है और 65 गांवों में भू-जल स्तर में कोई गिरावट नहीं आई है।
बैंगनी श्रेणी के अंतर्गत 319 गांव
इसी प्रकार 1.51 से 3.00 मीटर की जल तालिका वाले गांवों को सेमग्रस्त गांवों के रूप में वर्गीकृत किया गया है और बैंगनी रंग द्वारा दर्शाया गया है। जून 2020 में भू-जल स्तर के आंकड़ों के अनुसार इस श्रेणी में कुल 319 गांव आते हैं। पिछले 10 वर्षों के उतार-चढ़ाव के आधार कुल 203 गांवों में हाई ट्रेंड है, जो 0.01 मीटर प्रति वर्ष से अधिक या बराबर है और 116 गांवों में हाई ट्रेंड दर्ज नहीं किया गया है।
नीली श्रेणी के अंतर्गत 85 गांव
प्रवक्ता ने बताया कि 1.50 मीटर से कम जल स्तर वाले गांवों को गंभीर रूप से सेमग्रस्त गांवों के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इन्हें ‘नीले’ रंग से दर्शाया गया है। जून 2020 में भू-जल स्तर के आंकड़ों के अनुसार कुल 85 गांव आते हैं। पिछले 10 वर्षों के उतार-चढ़ाव के आधार पर कुल 72 गांवों में हाई ट्रेंड है, जो 0.01 मीटर प्रति वर्ष से अधिक या बराबर है और 13 गांवों में हाई ट्रेंड दर्ज नहीं किया गया है।