चंडीगढ़, 7 जनवरी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के आधार पर राज्य में 34 प्रतिशत बेरोजगारी दर के बारे में राजनीतिक बयानबाजी करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हरियाणा में वास्तविक बेरोजगारी दर केवल 6.1 प्रतिशत है।
आज यहां एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मनोहर लाल ने रिपोर्ट को निराधार और झूठ का पुलिंदा बताते हुए स्पष्ट किया कि हरियाणा में पिछले तीन साल से परिवार पहचान पत्र कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इसके तहत करीब 98 फीसदी परिवारों का पंजीकरण हो चुका है। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री कंवर पाल और मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ अमित अग्रवाल भी उपस्थित रहे।
उन्होंने कहा कि 65,78,311 परिवारों का पंजीकरण हुआ है और 2,57,99,000 जनसंख्या अंकित है। इस आंकड़े में 18 साल से 58 वर्ष की आयु वर्ग के 1 करोड़ 72 लाख 96 हजार व्यक्ति हैं जिनमें से 10,59,530 व्यक्तियों ने स्वयं को बेरोजगार घोषित किया है। इस आंकड़े के आधार पर यदि बेरोजगारी दर को मापा जाए तो हरियाणा में मात्र 6.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर है। लेकिन कांग्रेस को भ्रम फैलाने की आदत है और वे सीआईएमए द्वारा जारी 34 प्रतिशत बेरोजगारी दर के गलत आंकड़ें पर बेवजह राजनीतिक बयानबाजी कर रही है।
उन्होंने कहा कि जब लोग ही स्वयं को बेरोजगार नहीं मान रहे तो कांग्रेस किस आधार पर प्रदेश में अधिक बेरोजगारी दर का ढिंढोरा पीट रही है। उन्होंने कहा कि सीएमआईई कुछ लोगों के सैंपल के आधार पर आंकड़े जारी करती है। उसमें भी तरह-तरह के हथकंडे अपना कर 34 प्रतिशत जैसा गलत आंकड़ा जारी करके राज्य सरकार को बदनाम करने का काम करती है।
उन्होंने कहा कि राजनीति में इस तरह का प्रचलन गलत है। तथ्यों को सही पेश करना चाहिए, तभी उसका लाभ होता है। एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो गलत आंकड़े जारी करने के लिए सीएमआईई के खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि नीति आयोग और केन्द्र सरकार ने भी ऐसे समाचारों पर कभी ध्यान नहीं दिया। नीति आयोग सभी नीतिगत निर्णयों के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एन.एस.ओ.) द्वारा किए गए सर्वेक्षण को ही मानता है। एन.एस.ओ. ने केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत 2017 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) शुरू किया था और पीएलएफएस की नवीनतम रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इन दोनों सर्वेक्षणों को एक साथ देखने से हरियाणा में बेरोजगारी दर के आंकड़ों में काफी भिन्नता दिखाई देती है। पीएलएफएस ने जनवरी-मार्च 2021 के दौरान भारत में बेरोजगारी दर 9.4 प्रतिशत जबकि हरियाणा में 10.3 प्रतिशत दिखाई है। परन्तु सीएमआईई ने इसी अवधि के दौरान देश में 7.4 प्रतिशत जबकि हरियाणा में 29.3 प्रतिशत बेरोजगारी दशाई है।
उन्होंने कहा कि सीएमआईई ने कभी भी सही आंकड़ें प्रस्तुत नहीं किए हैं। कम्पनी ने अपनी रिपोर्ट में नवंबर 2021 के दौरान हरियाणा में बेरोजगारी दर 29.3 प्रतिशत दिखाई है। हालांकि यह रिपोर्ट भी सत्य से कोसों दूर है।, क्योंकि महज 3 महीने के अंदर ही बेरोजगारी दर 34 प्रतिशत दिखा रहे हैं, जो अपने आप में विरोधाभासी है। विपक्ष को ऐसे भ्रामक आंकड़ों पर बयान देने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सी.एम.आई.ई. जैसाकि इसके नाम से स्वतः स्पष्ट है, लाभ कमाने के लिए बनाई गई निजी स्वामित्व वाली कंपनी है। अतः इसे निष्पक्ष और पूर्वाग्रह से मुक्त नहीं कहा जा सकता। काल्पनिक आंकड़ों के आधार पर प्रदेश में रोजगार परिदृश्य की एक झूठी तस्वीर पेश करना कम्पनी की आदत रही है।