साबरमती आश्रम में दुनिया भर से लोग शांति की तलाश में खिंचे चले आते हैं: देवराज त्यागी

चंडीगढ़, 24 अक्टूबर। गांधी स्मारक भवन सेक्टर-16 चंडीगढ़ में आज एक विशेष गोष्ठी साबरमती आश्रम अहमदाबाद के बारे में हुई जिसमे मुख्य वक्ता निदेशक देवराज त्यागी ने बोलते हुए बताया कि केन्द्र और गुजरात राज्य सरकार द्वारा महात्मा गांधी के विश्व प्रसिद्ध साबरमती आश्रम के स्वरूप में बदलाव की कोशिश के विरुद्ध देश भर की प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं ने सेवाग्राम आश्रम से साबरमती संदेश यात्रा दिनांक 17-10-2021 से शुरू की थी तथा 24 अक्टूबर को अहमदाबाद पहुंच गई। सेवाग्राम आश्रम में यात्रा प्रारंभ से पहले वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा स्थापित आश्रम तथा संस्थाएं सत्य और अहिंसा की प्रयोगशालाएं रहीं है। जीवन और समाज का आदर्श रूप कैसा हो इसकी साधना उन्होंने आश्रमों में की और अपने साथ असंख्य मानवों को प्रेरित व प्रशिक्षित किया। गांधी जी के जाने के बाद भी उनके आश्रम उनकी विचारधारा और जीवन शैली को जानने-समझने और प्रेरणा प्राप्त करने के पवित्रतम स्थल रहे हैं जिनके प्रति देश और दुनिया के असंख्य नर-नारी गहरी आस्था रखते है। यही वजह है कि गांधी आश्रमों में दुनिया भर से लोग शांति और प्रेरणा की तलाश में खिंचे चले आते हैं।
डॉ. एम.पी डोगरा ने कहा साबरमती आश्रम गांधी जी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हमको जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार साबरमती आश्रम परिसर की स्वरूप में तब्दीली से सादगी में सौंदर्य की विचारधारा और विरासत की पवित्रता पर सीधा आघात है। साबरमती आश्रम एक ऐतिहासिक धरोहर है। आश्रम के साथ ऐसे बदलाव से इस आधुनिक निर्माण से पवित्र स्थल की गरिमा खत्म हो जाएगी। सरकार की इस कोशिश से गांधी विचार की संस्थाएं और शांति प्रेमी नागरिक बेहद चिंतित हैं और ऐसे किसी प्रयास का पुरजोर विरोध करते है।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता के हीरक जयंती वर्ष के पवित्र और ऐतिहासिक अवसर पर गांधीजी की स्मृति के संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के लिए उनके द्वारा चलाए गए रचनात्मक कार्यक्रमो में सरकार को सहयोग करना चाहिए। देश के लिए बलिदान करने वाले स्वतंत्र सेनानियों और वीरों  की स्मृतियां स्थलों में परिवर्तित कर उसे व्यवसायिक स्वरूप देना उनके त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ जनभावना का भी अनादर है।
डॉ. अनीश गर्ग ने कहा कि केन्द्र सरकार से भी अनुरोध करते हैं कि वह अपने कदम पीछे ले और राष्ट्रीय धरोहरों में छेड़छाड़ करने तथा उनका स्वरूप बदलने का प्रयास न करे।
मंच का संचालन पापिया चक्रवर्ती ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कंचन त्यागी के भजन से हुआ। इस अवसर पर चंडीगढ़ का बुद्धिजीवी वर्ग, पत्रकार एवं साहित्यकारों के अलावा अमनदीप सिंह, कंचन त्यागी डा. अनीश शर्मा, डेजी बेदी जुनेजा, आर.के.भगत, वी.के.गुप्ता, राशि श्रीवास्तव, कंचन भल्ला, बलंवत तकषक, डॉ. सरिता मेहता, संगीता शर्मा इत्यादि शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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