चंडीगढ़, 19 अक्तूबर। पंजाब में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने संबंधी केंद्र सरकार के फ़ैसले का विरोध करते हुए तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण, रोज़गार सृजन और प्रशिक्षण, बाग़बानी और भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने आज कहा कि सरहदी राज्य को नज़र अंदाज़ किया गया है, हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों को पूँजी निवेश सब्सिडी के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज दिया गया जबकि पंजाब में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से 50 किलोमीटर तक बढ़ाकर एक और बड़ा झटका दिया गया है। इससे निवेशकों में एक डर और असुरक्षा की भावना पैदा होती है। राणा गुरजीत ने पूछा कि निवेशक 25,000 वर्ग किलोमीटर सरहदी पट्टी (कुल 50,000 में से) में निवेश क्यों करेगा जब यह क्षेत्र सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र अधीन है। यहाँ तक कि घरेलू उन्नत उद्योगों के साथ लगती औद्योगिक इकाइयां भी सुरक्षित स्थानों पर जाने बारे विचार कर रही हैं।
पंजाब भवन में एक प्रैस कॉन्फ्रेंस को संबोधन करते हुए कृषि प्रधान राज्य के साथ सौतेला व्यवहार करने के लिए मोदी सरकार पर बरसते हुए राणा गुरजीत सिंह ने कहा कि 5 उत्तर पूर्वी राज्यों मणीपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में अधिकार क्षेत्र 20 किलोमीटर तक घटा दिया गया है जिनका अधिकार क्षेत्र 80 किलोमीटर था। गुजरात में इसको 80 से घटाकर 50 कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का असंतुलन लैंड-लॉक्ड राज्यों में व्यापार, वाणिज्य और उद्योग को प्रभावित करेगा, इसके अलावा केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच तनाव पैदा करेगा।
राणा गुरजीत ने कहा कि गेहूँ और चावल की नमीयुक्त पैदावार के कारण पंजाब पहले ही आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, फसलों की विभिन्नता, मूल्यवर्धन के लिए खाद्य प्रसंस्करण, बाग़वानी और वानिकी में भी कोई ख़ास सफलता नहीं मिल रही। पानी के लगातार घट रहे स्तर से पंजाब एक मरूस्थल राज्य बन जायेगा। पंजाब के कृषि क्षेत्र को और मज़बूत करने की ज़रूरत है। पंजाब बासमती चावल और मानक सब्जियों का प्रमुख उत्पादक है। उन्होंने कहा कि यह समय की ज़रूरत है कि इस ज़ोन से बासमती चावलों के निर्यात की इजाज़त दी जाये और सब्जियों के लिए प्रसंस्कारण इकाइयों को स्थापित किया जाये जिससे किसान अपनी उपज को लाभकारी बना सकें।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि ख़ासकर सरहदी क्षेत्र में कृषि क्षेत्र पहले से ही तनाव में है और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार उनकी मुश्किलों को और बढ़ा देगा। कृषि क्षेत्र को स्थायी बनाने की अपील करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार को कहा कि पंजाब को और ज्यादा प्रोत्साहन दिए जाने की ज़रूरत है। पंजाब में पानी के स्तर में लगातार गिरावट के मद्देनज़र, राज्य सरकार बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाने पर ज़ोर दे रही है। केंद्र सरकार को उदारीकरण और प्रोत्साहन योजनाएँ पेश करनी चाहीएं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरहदी क्षेत्र के किसानों को बूंद सिंचाई प्रणाली के लिए केंद्रीय योजनाओं के अंतर्गत 90 फ़ीसदी सब्सिडियाँ दी जानी चाहिएं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर फिर से विचार करना चाहिए और उत्तर पूर्वी राज्यों के बराबर पंजाब को विशेष प्रोत्साहन देने चाहिएं। इस दिशा में पहला कदम वेस्टर्न बॉर्डर स्टेटस एडवाईजर कौंसिल का गठन करना होगा जो राज्यों के मुख्यमंत्री /राज्यपाल को केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में नोर्थ ईस्ट कौंसिल की तर्ज़ पर मैंबर बनाएगा ताकि केंद्रीय बजट में सभी केंद्रीय मंत्रालयों के अनिवार्य योगदान के द्वारा फंड एकत्रित करके एक समर्पित कॉर्प्स फंड बनाने के मुद्दे पर विचार किया जा सके।
कैबिनेट मंत्री ने भरोसा दिया कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से अनुरोध करेंगे कि वह प्रस्ताव पास करने के लिए विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाएं और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के विस्तार पर फिर से विचार करने के लिए केंद्र सरकार के समक्ष मामला उठाएं और भारत के प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग के लिए सभी हितधारकों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करें।