तालिबान की तरह लखबीर सिंह की हत्या, हमारे ‘पवित्र’ संविधान की हत्या: कैंथ

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नई दिल्ली/ चंडीगढ़, 16 अक्टूबर। नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस के अध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने बीते कल 15 अक्टूबर को एनसीआर क्षेत्र के सिंघू सीमा पर तरनतारन निवासी 3 बेटियों के दलित नौजवान पिता लखबीर सिंह की बड़ी बेहरमी से हाथ-पैर काट कर अमानवीय हत्या किए जाने के संबंध में नई दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला से मुलाकात की और इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की। संगठन ने इस मामले में अपना मांग पत्र संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत गठित संवैधानिक बॉडी को सौंपाते हुए इस जघन्य मामले के त्वरित कानूनी समाधान की मांग करते हुए पीड़ित परिवार के लिए वित्तीय सहायता और इस जघन्य अपराध के दोषियों के लिए कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाने की मांग की।
कैंथ ने कहा कि आंदोलकारियों ने मोबलिंचिंग के साथ ‘तालिबानकारी’ शैली को प्रदर्शित करते हुए अपनी घृणा को प्रदर्शित किया है। यही कारण है कि स्वतंत्रता के 74 वर्षों के बाद भी अनुसूचित जाति समुदाय को भेदभाव और असमानताओं का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि सिंघु बॉर्डर पर हुई इस हृदय-विदारक घटना को देख कर पूरा देश इस बात हैरान है कि इस उम्र में लोगों में इस तरह के जघन्य अपराध की कल्पना करने का कितना दुस्साहस है? उन्होंने कहा कि मृतक गरीब आदमी अपने पीछे 3 बच्चियां छोड़ गया है जिन्होंने न केवल अपने पिता को खो दिया है बल्कि अपनी परिवार की आजीविका का स्रोत और अपनी खुशी खो दी है। इस राक्षसी प्रवृति वाले दोषियों को बिना किसी दया के कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। एनएससीए ने मृतक के परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने और परिजनों को सरकारी नौकरी सुनिश्चित करने की भी मांग की।
कैंथ ने कहा कि आंदोलनकारियों द्वारा पुलिस को गुमराह करने के लिए इस अपराध को ‘धार्मिक बेअदबी’ से जोड़ कर इसे विवादास्पद बनाने की कोशिश की गई है। भले ही कथित कारण कोई भी बताया गया हो, लेकिन इस देश में किसी को भी इस तरह के अमानवीय हत्या करने की आजादी नहीं है। लखबीर सिंह की हत्या एक मायने में हमारे संविधान की हत्या है जो अनुसूचित जाति समुदाय के मूल अधिकारों और स्वतंत्रता के साथ-साथ अनुच्छेद 21 के तहत सभी के जीवन के मूल अधिकार की रक्षा करता है। सरकार को ऐसे घृणित अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उदाहरण पेश करनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी और के खिलाफ इस तरह के जघन्य अपराध करने का किसी का साहस न हो। कैंथ ने कहा कि इस मामले ने एक बार फिर हमारे समाज में गहरे दबे दरारों को सामने ला दिया है और हम इसे अनुसूचित जाति के खिलाफ घृणा अपराध मानकर खारिज नहीं कर सकते। हम मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं और अगर मामले का समाधान नहीं हुआ तो हमें व्यापक विरोध शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मैंने मामले के संबंध में डीजीपी हरियाणा और पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिव से बात की है और जब तक अपराधी सलाखों के पीछे नहीं पहुँच जाते और न्याय नहीं हो जाता, तब तक आयोग के माध्यम से में खुद इस मामले की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करूंगा।

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