चंडीगढ़, 15 अक्टूबर। अगर कुछ करने का सबक लेना हो तो रामदरबार के कुछ बच्चों से लेना चाहिए जिन्होंने बिना किसी के सहयोग से न केवल रावण का पुतला बनाया बल्कि धुम धाम से रामलीला का आयोजन किया। यह सभी बच्चे 5 से 10 वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक ही गली में रहते है। इन बच्चों ने बिना किसी बड़े व्यक्ति या संस्था की मदद लिए इस काम को पूरा किया है। जबकि शहर में छोटी-बड़ी सभी रामलीलाओं संस्थानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसे में इन बच्चों का आपसी तालमेल से कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करना वाकई काबिले तारीफ है।
इन बच्चों में मन्नू, साहिल, राजगुरु सिंह, आदित्य सिंह, आदित्य, मिलन, अनमोल, सक्षम, अर्जुन, हिरो, हिमांशु, उदय आदि बच्चों ने एक महिने की कड़ी मेहनत से रावण को बनाया। बच्चों को पहले तो लगा कि 500-1000/- रुपये में रावण बन जाएंगा। मगर जैसे ही काम शुरू किया उन्हें पता चला कि इतने में रावत तो नहीं बनेगा, फिर समस्या यह पैदा हुई कि रावण अब बनेगा कैसे। बच्चों ने हिम्मत नहीं हारी और घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा किया और धिरे-धिरे रावण को बनाने में जुट गए। अंत में रावण बनकर तैयार हुआ और सभी बच्चों ने एक साथ मिलकर रावत को जलाकर धूमधाम से दशहरा मनाया।