चंडीगढ़, 28 नवंबर। किसान को देश की रीढ माना जाता है। इसी रीढ़ को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रदेश सरकार अहम कदम उठा रही है। सरकार बीज से बाजार तक किसान के साथ खड़ी है। उनकी फसलों की बिजाई से लेकर अच्छे दाम तक दिलाए जा रहे हैं। अब किसानों को फसल बेचने के लिए मंडियों में कई-कई दिनों तक परेशान नहीं होना पड़ता है। हरियाणा एमएसपी पर 14 फसलों की खरीद करने वाला देश का पहला राज्य है। इसी तरह से गन्ना किसानों की सरकार ने पौ-बारह कर दी है। गन्ने के प्रति क्विंटल दाम 372 रुपये से बढ़ाकर 386 रुपये कर दिए हैं, जोकि देश में सबसे अधिक हैं। मनोहर सरकार ने गन्ना किसानों की भविष्य की भी सुध लेते हुए आगामी वर्ष के लिए भी दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल देने की घोषणा की है। इससे किसानों का न सिर्फ गन्ने की खेती की ओर रुझान बढ़ेगा, बल्कि उन्हें आर्थिक मजबूती भी मिलेगी।
इसके अलावा सरकार ने किसानों को अन्य कई योजनाओं का अभूतपूर्व लाभ दिया है। इस कड़ी में मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल के तहत पिछले 7 सीजन में 12 लाख किसानों के खातों में 85,000 करोड़ रुपये डाले गए हैं। प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से 29.45 लाख किसानों की बल्ले-बल्ले कर दी है। उनको 7656 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम किया है। इससे किसानों को फसल के बर्बाद होने से दिक्कत नहीं रही है। किसानों को फसल बेचने में असुविधा न हो। इसके लिए प्रदेश सरकार गन्नौर, सोनीपत में 7,000 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर की हॉर्टिकल्चर मार्केट का निर्माण करा रही है। मार्केट चालू होने के बाद किसानों को फसल बेचने के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। इसी तरह से प्रदेश सरकार पिंजौर में 150 करोड़ रुपये की लागत से सेब, फल और सब्जी मंडी का निर्माण करा रही है। मनोहर सरकार ने नई व अतिरिक्त मंडियों के विकास पर 1074 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
पानी बचाने के लिए वैकल्पिक फसलों की खेती करने पर किसानों को दी 118 करोड़ रुपये की सहायता
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रदेश सरकार पानी बचाने के लिए संकल्पबद्ध है। इसी के तहत सरकार ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना को अमलीजामा पहनाया है। किसानों का रुझान धान की खेती की बजाय अन्य वैकल्पिक खेती की ओर किया है। 1,74,464 एकड़ धान की खेती की जगह वैकल्पिक फसलों की खेती कराई गई। इसी के तहत प्रदेश सरकार ने 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से 118 करोड़ रुपये की किसानों को सहायता दी है। सरकार ने भावांतर भरपाई योजना के तहत बाजरा उत्पादन करने वाले किसानों के खाते में 836 करोड़ रुपये डाले।
प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का रुख मोड़ा
मनोहर लाल की सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने किसानों को अनुदान देकर उनका रुख प्राकृतिक खेती की ओर भी मोड़ा है। प्राकृतिक खेती योजना के तहत 11,043 किसानों को पंजीकृत किया। उनको प्रशिक्षण देने के लिए गुरुकुल कुरुक्षेत्र, हमेटी (जींद), मंगियाना (सिरसा) और घरौंडा में प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण केंद्र शुरू किए गए हैं।
किसानों का ध्यान रखते हुए सरकार ने अटल किसान मजदूर कैंटीन योजना के माध्यम से 10 रुपये प्रति थाली भोजन उपलब्ध करवाने के लिए 25 मंडियों में कैंटीन शुरू की है। राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल (ई-नाम) से राज्य की 108 मंडियों को जोड़ा गया है। पंचकूला, सेक्टर-20 और गुरुग्राम में किसान बाजार शुरू किया गया है, जिससे किसानों को बड़ा फायदा मिल रहा है।
पराली प्रबंधन पर प्रति एकड़ 1000 रुपये अनुदान
किसान पराली को खेतों में जला देते थे, जिससे वायु प्रदूषण हो जाता है। इस वजह से लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ने की आशंका बनी रहती थी। श्री मनोहर लाल की सरकार ने पराली प्रबंधन पर असरदार योजना बनाई है। इसके तहत फसल अवशेष प्रबंधन पर होने वाली खर्च की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ की दर से किसान को 1000 रुपये अनुदान दिया जाता है। इसका असर ये रहा कि 2022 की तुलना में इस साल खेतों में कम पराली जली और किसानों को भी आर्थिक लाभ हुआ।