मोहाली, 19 नवंबर। कैंसर असामान्य कोशिका वृद्धि का कारण बनता है और शरीर के कुछ हिस्सों पर धुस सकता है। यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है और हर साल कई लोगों की जान ले लेता है। पिछले कुछ वर्षों में गैस्ट्रिक या पेट के कैंसर के मामले भी बढ़े हैं। इस पर जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल नवंबर को पेट कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है।
फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के जीआई सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन कंसल्टंेट डॉ. जितेंद्र रोहिला ने एक एडवाइजर के माध्यम से पेट के कैंसर के कारणों, चेतावनी संकेतों और रोकथाम के तरीकों पर प्रकाश डाला और बताया कि पेट का कैंसर तब होता है जब पेट की परत में कोशिकाएं असामान्य और अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं, जिससे ट्यूमर का निर्माण होता है। यह ट्यूमर या तो कैंसरयुक्त गैर-कैंसरयुक्त हो सकता है। डॉ. जितेंद्र रोहिला बताते हैं, “पाचन तंत्र के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में, पेट भोजन पचाने में सहायता करता है। कैंसर से प्रभावित होने पर, यह कार्य काफी हद तक खराब हो सकता है, जिससे व्यक्ति के पाचन स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
डॉ. जितेंद्र रोहिला कई कारकों की पहचान करते हैं जो पेट के कैंसर के विकास के खतरे को बढ़ाते हैं। इनमें तंबाकू उत्पादों का आदतन उपयोग, उच्च नमक और कम फाइबर वाला आहार, प्रोस्सेड फूड का लगातार सेवन, अत्यधिक शराब का सेवन, मोटापा होना शामिल है। ये जोखिम तत्व सामूहिक रूप से पेट के कैंसर की बढ़ती संभावना में योगदान करते हैं। .
डॉ. जितेंद्र ने पेट के कैंसर के प्रमुख चेतावनी संकेतों जिसमें लगातार पेट में दर्द या जलन, बार-बार सीने में जलन या अपच, मतली, उल्टी, कम भूख, महत्वपूर्ण वजन घटाने, पेट में सूजन, थकान महसूस होना, काले रंग के मल की उपस्थिति आदि शामिल है, पर प्रकाश डाला। इन संकेतों के पता लगने पर डाॅक्टर से जांच करवाने की सलाह दी।
डॉ. जितेंद्र ने पेट के कैंसर की निदान प्रक्रिया की रूपरेखा बताते हुए कहा, पेट के कैंसर की पहचान रक्त परीक्षण, एंडोस्कोपी और सीटी स्कैन या पीईटी स्कैन जैसी एडवांसड इमेजिंग टेक्नोलाॅजी सहित विभिन्न तरीकों का उपयोग करके की जा सकती है। स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए प्राथमिक उपचार में आमतौर पर सर्जरी,जिसमें कुछ मामलों में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी भी शामिल होती है।
डॉ. रोहिला ने पेट के कैंसर से निपटने में रोकथाम के महत्व पर जोर देते हुए सलाह देते हैं, ऐसी जीवनशैली अपनाएं जिसमें फलों और सब्जियों से भरपूर आहार शामिल हो, नमकीन और प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम से कम करें, धूम्रपान से बचें, स्वस्थ वजन बनाए रखें और संतुलित आहार सुनिश्चित करना, नियमित शारीरिक गतिविधि, नियमित स्वास्थ्य जांच महत्वपूर्ण है।