नौजवानों के लिए वोटर सूची में नाम दर्ज करवाने का मौका

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चंडीगढ़, 28 जुलाई। 17 साल से अधिक उम्र के नौजवान अब वोटर सूची में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए पहले ही अर्जी दे सकते हैं और उनके लिए साल की 1 जनवरी को 18 साल की उम्र पूरी करने सम्बन्धी निर्धारित मापदंड की एंट्री करना लाजि़मी नहीं है। मुख्य चुनाव कमिश्नर राजीव कुमार और चुनाव कमिश्नर अनूप चंद्र पांडे के नेतृत्व वाले भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों के सीईओज़/ईआरओज़/एईआरओज़ को निर्देश दिए हैं कि वह तकनीक-अधारित हल ढूँढें, जिससे नौजवानों को वोटर सूची में नाम दर्ज करवाने सम्बन्धी 1 जनवरी के साथ -साथ तीन योग्यता तारीख़ें 01 अप्रैल, 01 जुलाई और 01 अक्तूबर के संदर्भ में अपने अग्रिम आवेदन पत्र दायर करने की सुविधा दी जा सके। इसके उपरांत वोटर सूची को हर तिमाही में अपडेट किया जायेगा और जिस साल नौजवानों ने 18 साल उम्र सम्बन्धी योग्यता पूरी कर ली, उस साल की अगली तिमाही में उनको रजिस्टर किया जायेगा। रजिस्टर होने के बाद, उनको एक इलैकटोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड जारी किया जायेगा। वोटर सूची, 2023 की सालाना संशोधन के मौजूदा दौर के लिए, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्तूबर 2023 तक 18 साल की उम्र पूरी करने वाला कोई भी नागरिक मसौदा प्रकाशित होने की तारीख़ से वोटर सूची में वोटर के तौर पर रजिस्ट्रेशन के लिए अग्रिम अजऱ्ी भी जमा करवा सकता है।
आरपी एक्ट 1950 की धारा 14(बी) में कानूनी संशोधन और रजिस्ट्रेशन ऑफ इलैकटोरस रूल्स, 1960 में से संशोधन की पैरवी करते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने विधान सभा/संसदीय चुनावी हलकों की मतदान की तैयारी/संशोधन के लिए प्रक्रिया शुरू की है। जि़क्रयोग्य है कि भारत निर्वाचन आयोग की सिफ़ारिशों पर कानून और न्याय मंत्रालय ने हाल ही में आरपी एक्ट में संशोधन करके नौजवानों को वोटर सूचियों में रजिस्ट्रेशन करवाने की योग्यता के लिए चार योग्यता तारीख़ें भाव 01 जनवरी, 01 अप्रैल, 01 जुलाई और 01 अक्तूबर प्रदान की हैं। पहले सिफऱ् एक योग्यता तारीख़ 1 जनवरी ही थी।
मौजूदा नीति के अनुसार, वोटर सूचियों की संशोधन आने वाले साल की 1 जनवरी के संदर्भ में योग्यता तारीख़ के रूप में आम तौर पर सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों (आम तौर पर साल की आखिरी तिमाही में) हर साल के आखिर में से जाती थी, जिससे अंतिम वोटर सूचियों की प्रकाशित करना अगले साल जनवरी के पहले हफ़्ते किए जा सके। इसका भाव यह था कि बड़ी संख्या में नौजवान जिन्होंने 1 जनवरी के बाद 18 साल पूरे कर लिए थे, को रजिस्ट्रेशन के लिए अगले साल की विशेष संशोधन का इंतज़ार करना पड़ता था और वह बीच वाले समय में होने वाली मतदान में हिस्सा लेने के योग्य नहीं होते थे।
आयोग ने रजिस्ट्रेशन फार्मों को और अधिक उपभोक्ता अनुकूल और सरल बनाया है। नए सुधारे हुए फॉर्म 1 अगस्त, 2022 से लागू होंगे। 1 अगस्त, 2022 से पहले पुराने फॉर्मों में प्राप्त हुई सभी अजिऱ्याँ (दावों और ऐतराज़ों) पर कार्यवाही की जायेगी और उनका निपटारा किया जायेगा और नए फॉर्म में अजऱ्ी दायर करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
आयोग द्वारा मतदान वाले राज्यों को छोडक़र सभी राज्यों में 01.01.2023 को योग्यता तारीख़ के तौर पर सालाना संशोधन का आदेश दिया गया है। पूर्व संशोधन सम्बन्धी सभी गतिविधियाँ आयोग की मौजूदा हिदायतों और दिशा-निर्देशों और मैनुअल ऑन इलैकटोरल रोल, 2016 और मैनुअल ऑन पोलिंग स्टेशन, 2020 के अनुसार की जाती हैं। संशोधन और पूर्व-संशोधन की गतिविधियों इस तरीके से की जाती हैं कि वोटर सूचियां अंत में राष्ट्रीय वोटर दिवस (हर साल 25 जनवरी) से बहुत पहले प्रकाशित की जा सकें, जिससे नए वोटरों ख़ासकर नौजवान वोटरों (18-19 साल) के लिए तैयार किए गए वोटर आईडी कार्डों राष्ट्रीय वोटर दिवस वाले दिन औपचारिक ढंग से बाँटे जा सकें।
पूर्व-संशोधन गतिविधियों में पोलिंग स्टेशनों की तर्कसंगत/पुन:-प्रबंध; डैमोग्राफिक/फोटो समान एंट्रियों को हटाना; योग्यता तारीख़ के तौर पर 01.10.2022 के हवाले से पूरकों और एकीकृत वोटर मसौदे की तैयारी शामिल है। अयोग ने पूर्व-संशोधन गतिविधियों के मौजूदा दौर के दौरान वोटर सूची में से डीएसईज़/पीएसईज़ को 100 प्रतिशत हटाने और ईपीआईसीज़ के बीच की गड़बडिय़ों को दूर करने के लिए सभी प्रयास करने के निर्देश दिए हैं।
नवंबर में शुरू होने वाली संशोधन गतिविधियों में एकीकृत ड्राफ्ट वोटर सूची के प्रकाशन के बाद प्राप्त हुए दावों और ऐतराज़ों का निपटारा करना शामिल है। विशेष संशोधन के अंतर्गत, ड्राफ्ट वोटर सूची में दावे और ऐतराज़ दायर करने के लिए एक महीने की समय-सीमा उपलब्ध है। हफ्ते के आखिरी दिन पर सी.ई.ओज द्वारा विशेष कैंप लगाए जाएंगे और इन कैंप की तारीख़ संबंधी संबंधित सी.ई.ओज द्वारा बताया जायेगा। अंतिम वोटर सूची 5 जनवरी 2023 को प्रकाशित की जायेगी।
पोलिंग स्टेशन को तर्कसंगत करना सालाना संशोधन के हिस्से के तौर पर, पोलिंग स्टेशनों जिनमें 1500 से अधिक वोटर हैं, को दी गई अनुसूची के अनुसार और 2020 के मैनुअल में दर्ज हिदायतों के अनुसार वोटर सूचियों के ड्राफ्ट प्रकाशन से पहले तर्कसंगत/संशोधन किया जाये। एक नया पोलिंग स्टेशन संभावित हद तक पास के पोलिंग स्टेशनों के भागों को तर्कसंगत बनाने के बाद ही बनाए जाएंगे। पोलिंग स्टेशनों को तर्कसंगत बनाने के अन्य उद्देश्यों में सभी पारिवारिक सदस्यों और पड़ोसियों को एक सैक्शन में शामिल करना है।
वोटर सूची के विवरणों के साथ आधार नंबर जोडऩा:
आधार नंबर को वोटर सूची के विवरणों के साथ जोडऩे के लिए वोटरों के आधार विवरण मांगने के लिए संशोधित किए गए रजिस्ट्रेशन फॉर्मों में व्यवस्था की गई है।
मौजूदा वोटरों के आधार नंबर एकत्रित करने के लिए एक नया फॉर्म-बी भी पेश किया गया है। हालाँकि, वोटर सूची में नाम शामिल करने के लिए किसी भी अर्जी के लिए इन्कार नहीं किया जायेगा और व्यक्ति द्वारा आधार नंबर देने या सूचित करने में असमर्थ रहने पर वोटर सूची में किसी भी प्रविष्टि को मिटाया नहीं जायेगा।
इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि आवेदनकर्ता के आधार नंबर संभालते समय आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडियाँ, लाभ और सेवाओं की लक्ष्य सुपुर्दगी) एक्ट, 2016 की धारा 37 के अधीन व्यवस्था की पालना की जानी चाहिए।
किसी भी हालत में इसको सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। यदि वोटरों की जानकारी को सार्वजनिक करने की ज़रूरत है तो आधार विवरणों को हटा दिया जाना चाहिए या गुप्त रखना चाहिए।
मौजूदा वोटरों के आधार नंबर एकत्रित करने के लिए 01.8.22 से एक समयबद्ध मुहिम शुरू की जा रही है। आधार नंबर देना पूरी तरह स्वैच्छित है। प्रोग्राम का उद्देश्य वोटरों की पहचान और वोटर सूची में ऐंट्रियों की प्रामाणिकता स्थापित करना है।
वोटर सूची में से एक से अधिक समान ऐंट्रियों को मिटाना:
एक से ज़्यादा समान एंट्रियों को मिटाने की विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित की गई है। व्यक्तिगत नागरिकों, राजनीतिक पार्टियों के बी.एल.एज या आर.डब्ल्यू.ए. के प्रतिनिधियों द्वारा एक से अधिक समान एंट्रियों की रिपोर्ट करने के हरेक मामले में फील्ड वैरीफिकेशन लाजि़मी तौर पर की जाती है। वोटर का नाम वोटर सूची में सिफऱ् उस जगह पर ही मिटाया जायेगा जहाँ वह आम तौर पर न रह रहा हो।
दुरुसत वोटर सूची के लिए फील्ड वैरीफिकेशन और सुपर चैकिंग:
चुनाव आयोग ने वोटर सूची पूरी तरह दुरुस्त होने के उद्देश्य से बूथ स्तर के अफ़सरों द्वारा फील्ड वैरीफिकेशन करवाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है। चुनावी मशीनरी के अलग-अलग स्तरों, जैसे कि सुपरवाइजऱ, ईआरओज़ और फील्ड वैरीफिकेशन द्वारा किए गए काम की सख़्त जवाबदेही को लागू करने के लिए निगरानी और जांच के लिए एक विधि है।
इसी तरह डीईओज़, रोल ऑबजऱवर और सीईओ भी दावों और ऐतराज़ों पर अंतिम फ़ैसला लेने से पहले ईआरओज़ द्वारा किए गए काम की जांच करते हैं। इसके अलावा आगे और जांच एवं निगरानी के लिए भारत निर्वाचन आयोग और कार्यालय, मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अधिकारी भी तैनात किए गए हैं।
भागीदारी प्रक्रिया-बी.एल.एज. को शामिल करना:
राजनीतिक पार्टियों की और ज्यादा शमूलियत को यकीनी बनाने के लिए, आयोग ने मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों के बूथ लेवल एजेंटों (बी.एल.एज) को एकत्रित कई अजिऱ्याँ देने की इजाज़त दी है, बशर्ते कि एक बी.एल.ए. एक बार/एक दिन में बी.एल.ओ. के पास 10 से अधिक फॉर्म जमा नहीं करेगा। यदि कोई बी.एल.ए. दावे और ऐतराज़ दायर करने की पूरी समय-सीमा के दौरान 30 से अधिक अर्जियां/फॉर्म दायर करता है तो ई.आर.ओ./ए.ई.आर.ओ. द्वारा ख़ुद क्रास वैरीफिकेशन की जानी चाहिए। इसके अलावा बी.एल.ए. एक घोषणा पत्र के साथ अजऱ्ी फॉर्मों की एक सूची भी जमा करेगा कि उसने निजी तौर पर अजऱ्ी के विवरणों की पुष्टि की है और वह संतुष्ट है कि यह सही हैं।

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