चंडीगढ़, 6 मार्च। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि देश की मजबूती, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और अध्यात्म के क्षेत्र में महर्षि दयानंद और उनके अनुयायियों के विचार आज भी प्रासंगिक है। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय आज आर्य प्रतिनिधि सभा, हरियाणा द्वारा रोहतक के दयानंद मठ में पंडित लेखराम के 125 में बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि महर्षि दयानंद ने 19वीं सदी में देश को जो दर्शन दिया था, उसी दर्शन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आगे बढ़ाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की नई शिक्षा नीति में नैतिक मूल्यों की शिक्षा, रोजगार उन्मुख की शिक्षा, सभ्यता संस्कृति व वैज्ञानिक सोच पर विशेष बल दिया गया है। ये सारे मूल तत्व स्वामी दयानंद के शिक्षा दर्शन को परिलक्षित करते हैं।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने वर्ष 2025 तक प्रदेश में नई शिक्षा नीति को लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में डॉक्टर व इंजीनियर जैसी महत्वपूर्ण डिग्रियां प्राप्त करने का अधिकार बच्चों को दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा नीति से गरीब व पिछड़े परिवारों के बच्चों को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भाषाएं सीखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अंग्रेजी भाषा का गुलाम नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि नशा व जात-पात आदि कुरीतियों को लेकर ही आर्य समाज की स्थापना हुई थी और आज फिर से इन्हीं मुद्दों को लेकर आर्य समाज को गांव-गांव में जाने की जरूरत है।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने महान विद्वान पंडित लेखराम के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे भारतीय संस्कृति और सभ्यता के पुरोधा थे। उन्होंने अपने जीवन में में महर्षि दयानंद के ये वाक्य धर्मो रक्षति रक्षत: और आदर्शों को जीवन में उतार कर पूर्ण समर्पित भाव से आर्य समाज का प्रचार-प्रसार किया। वे आर्य समाज के प्रचार-प्रसार में इतने लीन हुए कि उस समय उन्हें लोग आर्य मुसाफिर के रूप में जानने लगे।
बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि महर्षि दयानंद की शिक्षाओं से ओतप्रोत पंडित लेखराम की भी तर्क-वितर्क और शास्त्रार्थ में गहरी रुचि बन गई। इसी रुचि को उन्होंने हथियार बनाया और धर्मांतरण पाखंडता और जातिगत भेदभाव के खिलाफ लोगों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि देश की नई पीढ़ी को वैदिक संस्कृति का ज्ञान देने में आर्य समाज अग्रणी रहा है। उन्होंने आर्य प्रतिनिधि सभा को 35 लाख रुपए की अनुदान राशि देने की भी घोषणा की।
महर्षि दयानंद की विचारधारा को आगे बढ़ाना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी: आचार्य देवव्रत
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि महर्षि दयानंद की विचारधारा को आगे बढ़ाना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद की विचारधारा आज के परिवेश में भी प्रासंगिक है, क्योंकि समाज में आज भी बहुत सी कुरीतियां है और सामाजिक कुरीतियों का खात्मा करने के लिए ही आर्य समाज की स्थापना हुई थी। आर्य समाज को राष्टï्रवादी आंदोलन बताते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि आर्य समाज ने हमेशा ही देश की एकता और अखंडता के लिए कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद और आर्य समाज की विचारधारा के चलते ही सरदार भगत सिंह और उनके परिवार की तीन पीढिय़ां देश के काम आई थी। उन्होंने कहा कि उस काल में जात- पात व सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए महर्षि दयानंद व आर्य समाज ने उल्लेखनीय कार्य किया था। उन्होंने युवा पीढ़ी को आर्य समाज की विचारधारा से जोडऩे का आह्वान भी किया। इसके लिए अधिक से अधिक आर्य वीर दल के शिविर आयोजित करने होंगे।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि आर्य समाज की विचारधारा को आगे बढ़ाने और कार्यक्रमों के आयोजन के लिए धन की कमी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। पंडित लेखराम को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि उन्होंने ही आर्य समाज में प्रचार की परंपरा को आरंभ किया था। उन्होंने कहा था कि लेखनी और उपदेश का कार्य कभी बंद नहीं होना चाहिए। पंडित लेख राम में हिंदू समाज के बेटों को विधर्मी होने से बचाने के लिए अपनी जान तक की परवाह भी नहीं की थी।
आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के प्रधान मा0 रामपाल आर्य ने हुए मेहमानों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा वेद प्रचार के लिए मौजूदा समय में 11 रथ चलाए जा रहे हैं और ‘आओ वेदों की ओर लौटो’ का नारा दिया गया है। उन्होंने आर्य प्रतिनिधि सभा की खुर्द-बुर्द संपत्तियों की वापसी का ब्यौरा भी इस अवसर पर दिया। उन्होंने कहा कि सभा को आर्थिक तौर पर सुदृढ़ बना दिया गया है। संगठन को और अधिक मजबूत बनाने के कार्य किए जा रहे हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सीकर के सांसद स्वामी सुमेधानंद ने भी पंडित लेखराम के जीवन पर प्रकाश डाला और बताया कि उनका पूरा जीवन आर्य समाज व सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में समर्पित था। वे धर्मांतरण के सख्त खिलाफ थे।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह, गुरुकुल गौतम नगर दिल्ली के स्वामी प्रणवानंद आर्य व वीर दल के संचालक स्वामी देवव्रत ने भी अपने विचार रखें। मंच का संचालन सभा मंत्री उमेश शर्मा ने किया। इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय तथा अध्यक्ष गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नवनिर्मित यज्ञशाला का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार, जिला पुलिस अधीक्षक उदय सिंह मीना, अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्रपाल, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय सिंह मलिक, डीएसपी कृष्ण कुमार, डीएसपी सज्जन कुमार, ब्रह्माचार्य सोमदेव, अनिल आर्य, राज आयर्, कमलेश आर्य, पूजा आर्य, स्वामी धर्मदेव, स्वामी सुखानंद, वैद्य दयानंद गिरी, डॉक्टर सुकामा आर्य, मुनि जी ऋतमा, आचार्य जयावती, आचार्य हरिदत्त, आचार्य ऋषिपाल, प्रोफेसर रूपकिशोर, श्री प्रकाश आर्य व डॉ सुरेंद्र कुमार आदि मौजूद थे।