बठिंडा, 3 मार्च। पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) के घुद्दा परिसर में बुधवार को 7वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति प्रो. जगबीर सिंह ने की। भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष पद्म विभूषण डॉ. अनिल काकोदकर इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
इस दीक्षांत समारोह के दौरान हाइब्रिड मोड में कुल 675 स्नातकोत्तर / पीएचडी. उपाधियां प्रदान की गई, जिसमें 650 स्नातकोत्तर उपाधियां और 25 पीएचडी. उपाधियां शामिल हैं। इस समारोह में विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 35 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। 675 उपाधि प्राप्तकर्ताओं में से 12 विदेशी छात्र (अफगानिस्तान, स्वाज़ीलैंड और बांग्लादेश के नागरिक) थे, जिन्हें पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा स्नातकोत्तर उपाधि प्रदान की गई। कोविड-19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह दीक्षांत समारोह हाइब्रिड मोड पर आयोजित किया गया जिसमें पीएचडी छात्रों ने अपनी उपाधि ऑफ़लाइन प्राप्त की, जबकि स्नातकोत्तर छात्रों ने अपनी उपाधि हाइब्रिड मोड से प्राप्त की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि पद्म विभूषण डॉ. अनिल काकोदकर ने उपाधि प्राप्तकर्ता छात्रों और स्वर्ण पदक विजेताओं को बधाई दी। अपने दीक्षांत समारोह अभिभाषण में डॉ. काकोदकर ने उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकियों के युग में हमारे समाज में ग्रामीण-शहरी ज्ञान अंतर को समाप्त करने हेतु देश के शैक्षिक ढांचे में नवोन्मेषी सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने देश के शहरी-ग्रामीण अंतर पर प्रकाश डालते हुए साइलेज (‘शहर और गांव’ के संयोजन के साथ तैयार किया गया शब्द, जो ज्ञान एकीकृत सतत ग्राम विकास मॉडल है) और आकृति (उन्नत ज्ञान आधारित ग्रामीण प्रौद्योगिकी उप-केंद्र) की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने रेखांकित किया कि समाज में प्रौद्योगिकी अनुकूलन वातावरण विकसित करने तथा शहरी-ग्रामीण अंतर में बढ़ती असमानता को समाप्त करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को मानव क्षमता का निर्माण करने, ज्ञान और मूल्य निर्माता तैयार करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों के साथ शैक्षणिक साझेदारी को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने उद्योग और अनुसंधान विश्वविद्यालय पारिस्थितिकी के निर्माण, स्थानीय लोगों की क्षमता निर्माण और ज्ञान-एकीकृत सतत ग्राम विकास मॉडल के कार्यान्वयन के माध्यम से प्रौद्योगिकी उन्नत देशों के साथ हमारे बढ़ते अंतराल को पाटने के लिए एक विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया।
उपाधि प्राप्तकर्ताओं को बधाई देते हुए कुलाधिपति प्रो. जगबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में स्नातक छात्रों को नवीन विचारों पर कार्य करने और अपनी रुचि का व्यवसाय चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि भारत में प्राचीन काल से दुनिया को शिक्षा प्रदान करने की विरासत रही है और शिक्षा का अंतिम उद्देश्य केवल दक्षता प्राप्त करना नहीं है बल्कि जीवन में बहुलवादी दृष्टिकोण के साथ समाज में योगदान देना है। उन्होंने श्रीमद भगवद गीता, विष्णु पुराण और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जैसी पवित्र पुस्तकों के छंदों का हवाला देते हुए कहा कि हमारी प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपराएं निरंतर संवाद विनिमय पर जोर देती हैं और सभी दृष्टिकोणों की स्वीकृति को प्रोत्साहित करती हैं, ताकि हम सभी एक दूसरे के साथ स्वतंत्रता और अखंडता में जीवन जी सकें। उन्होंने उपाधि प्राप्तकर्ताओं को आजीवन शिक्षार्थी का दृष्टिकोण अपनाने और अपने ज्ञान को राष्ट्र के कल्याण के लिए उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने स्वागत संबोधन दिया। अपने संबोधन के दौरान प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 2009 में 10 छात्रों के साथ एक कैंप कार्यालय की साधारण शुरुआत के बाद, अब विश्वविद्यालय के 500 एकड़ के स्थायी परिसर में लगभग 2398 छात्र 44 स्नातकोत्तर और 36 पीएचडी कार्यक्रमों में अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक विविधता सीयूपीबी परिसर को लघु भारत के रूप में प्रतिबिंबित करती है, जो इसमें अध्ययनरत भारत के 26 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों सहित 13 अन्य देशों के 41 अंतर्राष्ट्रीय छात्रों से स्वतः स्पष्ट है। उन्होंने पिछले एक वर्ष में प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में 360 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित करने और वित्तपोषण एजेंसियों से 19 परियोजनाओं में 7 करोड़ से अधिक के शोध अनुदान प्राप्त करने पर सीयूपीबी शिक्षकों, वैज्ञानिकों और शोधार्थियों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि विश्वविद्यालय ने अपनी राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार करते हुए एनआईआरएफ 2021 में 84वीं रैंक प्राप्त की है और दुनिया भर में शीर्ष 10% उच्च शिक्षण संस्थानों की सूची (विश्व विश्वविद्यालयों की वेबमेट्रिक्स रैंकिंग) में अपना स्थान अर्जित किया है। उन्होंने स्नातक करने वाले छात्रों से विभिन्न समस्याओं के समाधान खोजने के लिए हमेशा नवीन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का उपयोग करने और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने की अपील की।
कार्यक्रम के दौरान डीन इंचार्ज अकादमिक प्रो. आर.के. वुसिरिका, डीन छात्र कल्याण प्रो. वी.के. गर्ग, और डीन रिसर्च प्रो. अंजना मुंशी ने उपाधि प्राप्तकर्ताओं को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। इस कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव श्री कंवल पाल सिंह मुंदरा ने डिग्री वितरण हेतु मंच समन्वय किया। वहीं परीक्षा नियंत्रक प्रो. बी.पी. गर्ग ने स्वर्ण पदक विजेताओं की घोषणा की। उन्होंने कार्यक्रम के अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन दिया।