चण्डीगढ़, 2 मार्च। हरियाणा में बड़े पैमाने पर उद्योगों को बढ़ावा देने, 5 लाख नए रोजगार सृजित करने, एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के अवसर पैदा करने तथा निर्यात को दो लाख करोड़ रुपये तक करने के उद्देश्य से ‘हरियाणा उद्यम एवं रोजगार नीति-2020’ लागू की है।
देश की आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आज यहां आरंभ हुए हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सदन में राज्यपाल बंडारू दतात्रेय ने अपना अभिभाषण देते हुए यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के विकास और रोजगार-सृजन में उद्योगों के बड़े योगदान को देखते हुए राज्य सरकार ने उद्योग को गति प्रदान करने और राज्यभर में संतुलित विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हरियाणा सरकार ने एमएसएमई की उन्नति के लिए विकास में तेजी लाने के लिए पद्मा योजना शुरू की है। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई विभाग का गठन किया गया है। सभी जिलों में मिनी कलस्टर विकास कार्यक्रम के तहत उद्योगों के मिनी कलस्टर बनाए जा रहे हैं। हरियाणा देश का पहला राज्य है, जिसके सभी जिलों में कलस्टर के रूप में उद्योग शुरू करने व हर जिले के एक उत्पाद को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है। राज्य मिनी कलस्टर विकास कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 15 मिनी कलस्टर पूरे हो चुके हैं। प्रदेश में ब्लॉक स्तर पर भी लघु व मध्यम उद्योगों के कलस्टर स्थापित करने की योजना है।
राज्यपाल ने कहा कि इसीप्रकार, कृषि तथा बागवानी उत्पादों के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ के तहत 59 ऋण आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। हरियाणा कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति-2018 के तहत मैगा फूड पार्क तथा कृषि प्रसंस्करण उद्योग से जुड़ी 108.21 करोड़ रुपये की कुल छ: परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसीप्रकार, ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमों के लिए पूंजी सब्सिडी, ब्याज सब्सिडी और डीजी सेट सब्सिडी जैसे प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए ‘हरियाणा ग्राम उद्योग विकास योजना’ लागू की गई है। इसके अतिरिक्त, स्टार्ट-अप, नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए ‘राज्य में स्टार्टअप के लिए सहायता योजना’ के तहत 10 लाख रुपये तक सीड सब्सिडी, 5 लाख रुपये तक लीज रेंटल सब्सिडी, 5 वर्ष के लिए 8 प्रतिशत तक ब्याज सब्सिडी और 7 वर्ष के लिए 100 प्रतिशत एसजीएसटी प्रतिपूर्ति के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड, नगर तथा ग्राम आयोजना विभाग आदि के ब्याज, पीनल ब्याज, वैट व जीएसटी विवादों, परिवहन करों, खनन बकायों और स्टाम्प ड्यूटी जैसे सरकारी बकायों व अन्य विवादों के निपटान के लिए विवादों का समाधान योजना शुरू की गई है। इसके अलावा, उद्योगों की लागत को कम करने के लिए औद्योगिक प्लाटों के लिए विशेष लीजिंग पॉलिसी बनाई गई है। प्रदेश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक हब बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की कमी और बंदरगाहों से राज्य की दूरी के बावजूद निर्यात के मामले में राज्य का प्रदर्शन सराहनीय रहा है। वर्ष 2020-21 के दौरान निर्यात बढ़कर लगभग 1745.72 करोड़ रुपये का हो गया है। राज्यों के लाजिस्टिकस सुगमता सूचकांक में हरियाणा द्वितीय स्थान पर पहुंच गया है। महेंद्रगढ़ में 886 एकड़ क्षेत्र में एकीकृत मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हब विकसित किया जा रहा है। इसकी लागत 5000 करोड़ रुपये होगी तथा इसे दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रोजेक्ट के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। इसी परियोजना के तहत गुरुग्राम में ग्लोबल स्मार्ट सिटी और मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम जैसी प्रारंभिक महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का कार्यान्वयन शुरू कर दिया गया है।
आबकारी एवं कराधान
राज्यपाल ने कहा कि जी.एस.टी. संग्रहण में भी हरियाणा की उपलब्धियां सराहनीय रही हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में 24,300 करोड़ रुपये के लक्ष्य के समक्ष जनवरी, 2022 तक ही 20,491 करोड़ रुपये का संग्रहण हो चुका है, जोकि गत वर्ष की तुलना में 24.77 प्रतिशत अधिक है। सरकार ने जी.एस.टी. की चोरी व हेराफेरी को रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाए हैं। बिल के बिना और फर्जी बिलों पर माल और सेवाओं की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए ‘हरियाणा स्टेट जी.एस.टी. इंटेंलीजेंस यूनिट’ स्थापित की गई है। इस यूनिट द्वारा 549 मामले दर्ज किए गए और 213 करोड़ रुपये की राशि वसूली गई।
खनन, लोहा और इस्पात, ऑनलाइन गेमिंग एवं तम्बाकू तथा पान मसाला आदि जैसी चोरी की संभावना वाले क्षेत्र, इस यूनिट की निरन्तर निगरानी में हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आमजन को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने पैट्रोल पर वैट की दर 25 प्रतिशत से घटाकर 18.2 प्रतिशत और डीजल पर वैट की दर 16.40 प्रतिशत से घटाकर 16 प्रतिशत की है। इसके अतिरिक्त, रीजनल कनैक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल पर वैट 21 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत किया है।