पंजाब के राज्यपाल से मिला नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस का प्रतिनिधिमंडल, पीएमएस घोटाले में दोषियों के खिलाफ सीबीआई जांच की करी मांग

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चंडीगढ़, 24 जनवरी। नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस ने आज पंजाब के माननीय राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और कांग्रेस के नेतृत्व वाली पंजाब कैबिनेट द्वारा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के तहत दोषी ठहराए गए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के प्रबंधन के बचाव के लिए चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा एफआईआर से मुक्त करने और बहुत कम जुर्माना वसूलने के विरोध में मिला और 1 जनवरी को पंजाब कैबिनेट की पिछली बैठक के दौरान लिए गए निर्णय की सीबीआई जांच जांच के लिए एक मांग पत्र माननीय राज्यपाल को सौंपा।राजपाल पंजाब ने इस गंभीर मसले पर खेद भी प्रकट किया और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में घपला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा । उन्होंने आश्वासन दिया कि नई सरकार गठित होने के बाद जांच पड़ताल करा कर सख्त कार्रवाई की जाएगी और यह गरीब परिवार के विद्यार्थियों के साथ धोखा और धक्का हो रहा है और इस मुद्दे पर आप राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन नई दिल्ली के पास भी जाकर भी इसके लिए कार्रवाई करें।पिछले महीने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मिला और एक गुप्त समझौता किया और घोटाले में शामिल कॉलेजों के प्रबंधकों को राहत प्रदान करने से लाखों के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के साथ धोखा किया गया है। नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस ने आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार की कैबिनेट का फैसला पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला,कोविड -19 से अधिक अनुसूचित जातियों के विद्यार्थियों के जीवन को प्रभावित करता है और गरीब हज़ारों छात्रों का जीवन बर्बाद किया है।
पंजाब के राज्यपाल के साथ बैठक के बाद नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस के अध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के प्रबंधन से गुप्त समझौतों की आलोचना की है। कैंथ ने कहा, “नैशनल शेड्यूल्ड कास्टस अलायंस इस गंभीर मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है और हमारा मानना है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इन शैक्षणिक संस्थानों से चुनावी फंड व वोटे बटोरने के लिए फैसला लिया है।” आगामी चुनाव को देखते हुए कैबिनेट निर्णय से 300 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की फाइलों को बंद कर दिया है। आरोपी कॉलेज यूनिवर्सिटियों की  मैनेजमेंट को बचाने के लिए समाज कल्याण विभाग की अनदेखी की गई है।
जुर्माने का ब्याज कुल एकत्रित राशि का 9% है, जिसे वास्तव में वसूल किया जाना है। जिन संस्थानों की तरफ 50 लाख से ज्यादा की इतराजयोग राशि निकाली गई है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। ऐसे 70 संस्थानों की शनाख्त की भी गई जिनके पास 100 करोड़ से ज्यादा की (101.51 करोड़) बकाया राशि पाई गई परंतु मुख्य मंत्री द्वारा दिए आदेशों के बाद दोबारा रिव्यू किया गया और ये बकाया राशि 56.64 करोड़ रुपए रह गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार वजीफा राशि में गड़बड़ी वाले 70 शिक्षा संस्थानों में से 34 ने ब्याज समेत बकाया राशि सरकार को वापस कर दी जबकि 25.23 करोड़ को राशि अभी भी बकाया खड़ी है। प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद पंजाब सरकार ने निजी कॉलेजों के खिलाफ एफ आई आर से मुक्त करने को भी हरी झंडी दे दी है।  यह पहले से ही विवादास्पद घोटाले से कहीं बड़ा घोटाला है। “पंजाब में राजनीतिक दलों ने इन चुनाव अभियानों के दौरान इस मुद्दे को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। उन्होंने खुद इस मुद्दे पर बात नहीं की कि दलित समुदाय के लिए उनकी योजनाएं क्या हैं। एस सी समुदाय के लिए उनकी नीतियां क्या है? यह हर बार चुनाव में होता है। दलित समुदाय को फिर से सामाजिक बहिष्कार, भेदभाव और हिंसा की उन्हीं समस्याओं का सामना करता है।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक महत्वपूर्ण बिंदु पर ध्यान देते हुए, कैंथ ने कहा, “117 वें विधानसभा चुनाव में लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार का कर्तव्य है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी के लिए अपने कार्यक्रमों और नीतियों को बताया जाना चाहिए और आवाज बुलंद करनी चाहिए।”  यह समुदाय राज्य की आबादी का लगभग 35 प्रतिशत है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब भी अनुसूचित जातियों के बारे में कुछ कहा जाता है तो इन पार्टियों में हमेशा अनुसूचित जाति के नेता ही सामने आते हैं।  एक बेहतर पंजाब बनाने के लिए आम समुदाय के नेताओं को भी अपने क्षेत्र में आवाज उठानी चाहिए, खासकर अनुसूचित जाति के निर्वाचन क्षेत्रों के लिए। राजनैतिक दलों द्वारा अनुसूचित जातियों के मुद्दों और समस्याओं को नजरअंदाज किया है।

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